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चने के किसान और व्यापारी हो तो यह तेजी मंदी रिपोर्ट जरूर पढ़ लें | काबुली चने मे आगे क्या है तेजी मंदी का भविष्य

चने के किसान और व्यापारी हो तो यह तेजी मंदी रिपोर्ट जरूर पढ़ लें | काबुली चने मे आगे क्या है तेजी मंदी का भविष्य
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किसान  साथियो और व्यापारी भाइयो, काबुली चना, जिसे सफेद चना या विदेशी चना भी कहा जाता है, भारत के कृषि बाजार में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह न केवल भारतीय घरेलू बाजार में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोकप्रिय है। काबुली चना अपने बड़े आकार, उच्च पोषण मूल्य और विशिष्ट स्वाद के लिए जाना जाता है। इसके साथ ही, यह भारत से निर्यात होने वाले प्रमुख कृषि उत्पादों में से एक है। पिछले कुछ महीनों में काबुली चने के बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। अगस्त 2024 के बाद से काबुली चने की कीमतों में 20-21 रुपये प्रति किलो तक की गिरावट देखी गई है। इससे किसानों को तो घाटा हुआ ही साथ में व्यापारियों के लिए भी चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा हो गयी है। काबुली चने में गिरावट के पीछे कई वजहें बताई जा रही हैं, जैसे उच्च स्टॉक, निर्यात में कमी, और बाजार में मांग का घटना। हालांकि, 4 महीने के मंदे के बाद अब संकेत मिल रहे हैं कि काबुली चने के बाजार में स्थिरता आ सकती है, और भाव में सुधार होने की संभावनाएं बन सकती हैं। दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में काबुली चने का उत्पादन मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, कर्नाटक, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में होता है। इस वर्ष मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के चलते काबुली चने के उत्पादन में कमी आई है।  इस रिपोर्ट में हम काबुली चने की मौजूदा स्थिति, इसके उत्पादन, व्यापार, कीमतों में उतार-चढ़ाव, और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे। किसानों और व्यापारियों के लिए इस रिपोर्ट के माध्यम से बाजार की वर्तमान स्थिति को समझने और आगामी रणनीतियों को तय करने में काफी मदद मिल सकती है, तो चलिए काबुली चने को प्रभावित करने वाले सभी कारकों पर विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त करने के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।

काबुली चने में गिरावट का कारण

किसान साथियों, अगस्त 2024 के बाद से काबुली चने के भाव में 20-25 रुपये प्रति किलो तक की गिरावट आई है। इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण बाजार में स्टॉक का अत्यधिक बढ़ना और निर्यात की गति धीमी होना बताया जा रहा है। साथियों, काबुली चने का उत्पादन बढ़ने के समाचार के चलते चने का रेट अपने ऊपरी भाव से काफी नीचे बिक रहा है।  जो चना 120-130  रूपए तक बिक गया था अब वह महाराष्ट्र का काबुली चना 85/86 रुपये हो गया है।  अगर बढ़िया माल को भी देखें तो 88/89 से ऊपर के रेट नहीं हैं। बात मध्य प्रदेश और कर्नाटक की करें तो इन राज्यों में काबुली चने के भाव 90-95 रुपये प्रति किलो तक गिर चुके हैं।  व्यापारियों के अनुसार, इस गिरावट का एक बड़ा कारण यह है कि निर्यात के लिए उपलब्ध माल के हिसाब से मांग नहीं बन पाई है।   कई कारोबारियों ने ऊंचे भाव पर माल खरीद लिया था, जो बाद में उनके लिए घाटे का सौदा साबित हुआ। इन परिस्थितियों में व्यापारियों ने अपने स्टॉक को तेजी से निकालना शुरू किया, जिससे बाजार पर दबाव और बढ़ गया।

उत्पादन स्थिति
किसान भाइयों, काबुली चने का उत्पादन इस साल औसत से कम रहा है। पिछले साल देश में 30-31 लाख मीट्रिक टन काबुली चने का उत्पादन हुआ था, जबकि इस वर्ष यह आंकड़ा 25 लाख मीट्रिक टन से नीचे रहने का अनुमान है। इसका मुख्य कारण मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों को बताया जा रहा है, जिसने फसल की पैदावार को प्रभावित किया है। मध्य प्रदेश, कर्नाटक, और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में बुवाई सामान्य रही, लेकिन नई फसल की गुणवत्ता और मात्रा पर असर पड़ा है। इसके अलावा, वैश्विक बाजारों में तनाव और निर्यात की अनिश्चितता ने भी उत्पादन में कमी को बढ़ावा दिया है।

स्टॉक की स्थिति

किसान साथियों, मौजूदा समय में बाजार में स्टॉक की स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। पिछले कुछ महीनों में स्टॉक का दबाव अधिक था, लेकिन व्यापारियों ने धीरे-धीरे इसे बाजार में उतार दिया है। अब स्थिति यह है कि पुराना स्टॉक लगभग खत्म होने की कगार पर है, और नई फसल के आने में अभी समय है। व्यापारियों का मानना है कि दिसंबर के दूसरे पखवाड़े से बाजार में मांग बढ़ने की संभावना है। इस समय तक पुराना स्टॉक समाप्त हो जाएगा, जिससे बाजार में कीमतों में सुधार हो सकता है। वर्तमान में, कर्नाटक और महाराष्ट्र के काबुली चने 90-95 रुपये प्रति किलो के स्तर पर बिक रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि दिसंबर के अंत तक अनुमानित भाव 10 रुपये प्रति किलो तेजी के साथ ये भाव 100 रुपये प्रति किलो के आसपास जा सकते हैं।

निर्यात की क्या है स्थिति 
किसान साथियों, काबुली चने की मांग घरेलू बाजार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बनी रहती है। भारत से काबुली चने का निर्यात मुख्य रूप से मध्य एशिया, यूरोप, और उत्तरी अफ्रीका के देशों में होता है। हालांकि, हाल के महीनों में निर्यात की रफ्तार धीमी रही है, जिसका मुख्य कारण है उच्च कीमतें और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा। लेकिन पिछले कुछ महीनों में अब जब भारतीय बाजार में काबुली चने की कीमतें कम हो गई हैं, तो निर्यात के लिए एक बार फिर अनुकूल परिस्थितियां बन रही हैं। व्यापारियों का मानना है कि यदि निर्यात की गति बढ़ी, तो घरेलू बाजार में भी कीमतों में सुधार देखने को मिलेगा।

चने में मंदी रुकने के कितने चांस 
दोस्तों, विशेषज्ञों के अनुसार, काबुली चने में अब मंदी रुकने के संकेत हैं। बताया जा रहा है कि दिसंबर के अंत तक इसके भाव में 10 रुपये प्रति किलो तक की बढ़ोतरी हो सकती है। इसके पीछे का मुख्य कारण है बाजार में स्टॉक की कमी और नई फसल के आने में देरी। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग बढ़ने और कम उत्पादन के कारण भाव में और सुधार हो सकता है। यह स्थिति किसानों और व्यापारियों दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। इसके साथ ही, कनाडा में 2024-25 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के लिए काबुली चने के उत्पादन के प्रति कुछ अनिश्चितता बनी हुई है क्योंकि सरकारी एजेंसी- स्टैट्स कैन ने उत्पादन का जो आंकड़ा अनुमानित किया है वह वास्तविकता से कुछ ऊंचा प्रतीत होता है। इसके बावजूद इतना तो अनुमान लगाया जा रहा है कि वहां काबुली चने की कुल उपलब्धता पिछले कुछ वर्षों में सबसे अधिक हो सकती है, जिससे उसे निर्यात बढ़ाने का अच्छा अवसर मिल सकता है। अमेरिका पारंपरिक रूप से इसका प्रमुख खरीदार रहा है, लेकिन इस बार वहां इसका अधिक उत्पादन हुआ है, जिससे कनाडा से आयात घट सकता है। अमेरिकी बाजार की अनिश्चितता को देखते हुए कनाडा के काबुली चने के निर्यातकों को नए-नए बाजारों की तलाश करनी पड़ रही है और खासकर दक्षिण एशिया के देशों में इसका निर्यात बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है, जहां भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल जैसे देश मौजूद हैं। वर्तमान समय में कनाडा से काबुली चने के निर्यात की गति धीमी है और यदि 2024-25 के समग्र मार्केटिंग सीजन के लिए निर्धारित 2.00 लाख टन के निर्यात लक्ष्य को हासिल करना है, तो शिपमेंट की गति को जल्दी से जल्दी बढ़ाना आवश्यक होगा। मध्य सितंबर के बाद से ही कनाडा के घरेलू प्रभाग में काबुली चने का भाव नरम चल रहा है, लेकिन फिर भी इसकी जोरदार निर्यात मांग नहीं निकल रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिति को देखते हुए स्पष्ट रूप से कुछ कहना मुश्किल है। मौजूदा स्थिति को देखते हुए विशेषज्ञों और व्यापारियों को सलाह दी जाती है कि वह अपने स्टॉक को संभलकर बेचें और नई फसल के आने से पहले बाजार की स्थिति को देखते हुए अपनी माल का क्रय-विक्रय करें। मौजूदा परिस्थियों को देखकर यह कहा जा सकता है भले ही काबुली चना में तेजी न आये लेकिन बहुत बड़ी गिरावट की संभावना अब नहीं है।  इसलिए चने में अब ज्यादा डरने की जरुरत नहीं है।  

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी अनुमानों पर आधारित हैं। परिस्थितियां कभी भी बदल सकती हैं, इसलिए व्यापार अपने विवेक से करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।