सोया बाजार पर संकट गहराया: क्रशिंग धीमी, कीमतें MSP से नीचे | जाने आगे का अनुमान
किसान साथियो और व्यापारी भाइयो, 26 अप्रैल से 02 मई 2025 के सप्ताह में सोया बाजार पर कई तरह का दबाव बना रहा। डिस्टिलर्स ड्राइड ग्रेन्स विथ सॉल्युबल्स (DGS) की बढ़ती खपत के कारण सोयामील की मांग में गिरावट आई, जिससे क्रशिंग गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा और सोया प्लांट भाव कमजोर बने रहे।
ट्रेंड को देखें तो पिछले कुछ सप्ताहों से सोयाबीन का प्लांट डिलीवरी भाव स्थिर या मजबूत बना हुआ था मगर 26 अप्रैल से 2 मई वाले सप्ताह के दौरान क्रशिंग- प्रोसेसिंग इकाइयों की मांग कमजोर पड़ने से कीमतों में नरमी आ गई। सोया तेल एवं सोया मील में कारोबार सुस्त होने से मिलर्स को सोयाबीन की खरीद ऊंचे दाम पर करने का प्रोत्साहन नहीं मिल सका।
मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र में सोयाबीन के प्लांट डिलीवरी मूल्य में 50 से 100 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई जबकि राजस्थान में भाव काफी हद तक स्थिर बना रहा। सोयाबीन का प्लांट डिलीवरी भाव अब भी 4892 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी नीचे चल रहा है।
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घरेलू बाजार में सोया तेल (रिफाइंड)
सोयाबीन में नरमी के असर से सोया रिफाइंड तेल का दाम भी 10 से 30 रुपए प्रति 10 किलो तक घट गया। मंदसौर की एक इकाई में यह 30 रुपए घटकर 1220 रुपए प्रति 10 किलो पर आ गया। उज्जैन में भी 28 रुपए की गिरावट रही । महाराष्ट्र के धुलिया, हिंगोली एवं लातूर में सोया रिफाइंड तेल के दाम में 20 से 30 रुपए नागपुर में 30-35 रुपए तथा नांदेड में 25-30 रुपए प्रति 10 किलो की गिरावट रही। कोटा तथा कांडला में भाव 35-35 रुपए घटकर क्रमशः 1255 रुपए एवं 1225 रुपए प्रति 10 किलो, हल्दिया में 20 रुपए गिरकर 1235/1240 रुपए तथा मुम्बई में 10 रुपए फिसलकर 1250 रुपए प्रति 10 किलो पर आ गया।
सोयाबीन की बुवाई
अगले महीने से सोयाबीन की बिजाई शुरू होने वाली है और किसानों को खेती का साधन जुटाने के लिए पैसो की आवश्यकता है। सरकारी खरीद पहले ही समाप्त हो चुकी है इसलिए उत्पादकों को प्रचलित बाजार भाव पर अपना उत्पाद बेचने के लिए विवश होना पड़ सकता है।
सोयाबीन स्टॉक की स्थिति
सरकारी एजेंसी - नैफेड के पास रिकॉर्ड मात्रा में सोयाबीन का स्टॉक मौजूद है जिसकी खरीद 2024-25 के खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की गई थी। यह एजेंसी अपने स्टॉक को बाजार में उतारने के लिए बेचैन है मगर सरकार उसे उसकी अनुमति नहीं दे रही है। समझा जाता है कि अगले महीने (जून) के अंत से सोयाबीन के सरकारी स्टॉक की बिक्री आरंभ हो सकती है।
सोया डीओसी बाजार अपडेट
सोया डीओसी में कारोबार अत्यन्त सुस्त होने से सप्ताह के दौरान डीओसी के भाव में भारी गिरावट दर्ज की गई। कुछ प्लांटों पर तो यह 2000-3500 रुपए प्रति टन तक घट गयी। निर्यात के लिए ज्यादा पूछ-परख नहीं देखी गई जबकि घरेलू मांग भी कमजोर रही। मिलर्स प्रोसेसर्स को ज्यादा पड़ता नहीं बैठ रहा है। अप्रैल में विदेशों से क्रूड डीगम सोयाबीन तेल के आयात में कुछ बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।
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सरकारी खरीद और भाव पर प्रभाव
सरकारी खरीद में वृद्धि देखी गई है, लेकिन अधिकांश मंडियों में सोयाबीन के भाव अब भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से काफी नीचे हैं। प्रमुख प्रोसेसरों का कहना है कि आयात शुल्क बढ़ने के बावजूद भाव VSP (वैयक्तिक समर्थन मूल्य) से नीचे हैं, ऐसे में कार्य संचालन कठिन हो गया है। देशभर में छोटे और मध्यम स्तर के कई प्रोसेसरों ने या तो उत्पादन घटा दिया है या संयंत्र अस्थायी रूप से बंद कर दिए हैं।
DGS का प्रभाव और आयात दबाव
DGS के बढ़ते उपयोग से पारंपरिक खल की मांग में गिरावट आई है, जिससे तेल-तिलहन की क्रशिंग मांग घटी है। DGS के बढ़ते उपयोग से सोयामील की डिमांड घटी है और इसके चलते क्रशिंग यूनिट्स आर्थिक रूप से अस्थिर हो गईं हैं।
विदेशों से तेलों का भारी मात्रा में आयात
अंतरराष्ट्रीय बाजार जैसे KLCE, CBOT, ICE, ZCE दबाव में हैं वैश्विक बिक्री और उत्पादन आंकड़े (अर्जेंटीना फोकस)। अर्जेंटीना में 2024–25 सीजन में सोयाबीन उत्पादन का अनुमान 60 लाख टन लगाया गया है, लेकिन अब तक केवल 24.5% अर्थात् 14.7 लाख टन ही बेची गई है।23 अप्रैल तक के आंकड़ों के अनुसार एक सप्ताह में 7.13 लाख मीट्रिक टन बिक्री हुई। औसतन प्रतिदिन बिक्री 1.02 लाख टन रही। पिछले सप्ताह की बिक्री दर पिछले 10 वर्षों में सबसे धीमी रही इस मंदी का कारण विनिमय दर में अस्थिरता और भारी वर्षा के चलते कटाई में देरी रहा, जिससे किसान बिक्री से झिझक रहे हैं।
भारत का खाद्य तेल उद्योग संकट में
DGS के उपयोग के कारण पारंपरिक खल की मांग में गिरावट दर्ज की। सस्ते आयातित तेलों के चलते रिफाइनरियों पर मार्जिन दबाव। थोक विक्रेताओं से लेकर किसानों तक आपूर्ति शृंखला दबाव में हैं। कम रिटर्न, कमजोर मांग और नीतिगत अनिश्चितता ने असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। विशेषज्ञों की राय है कि यदि सरकार ने जल्द DGS नियंत्रण, मूल्य समर्थन, और क्रशिंग प्रोत्साहन जैसे निर्णय नहीं लिए, तो भविष्य में खाद्य तेल क्षेत्र को अपूरणीय क्षति हो सकती है।
चीन पोर्ट पर खाद्य तेल स्टॉक स्थिति (25 अप्रैल 2025 तक)
कुल स्टॉक: 6.04 लाख टन (पिछले सप्ताह 5.37 लाख टन) यानी कि 12.47% वृद्धि दर्ज हुई है। बात पाम ऑयल स्टॉक की करें तो 0.34 लाख टन – 5.43% कमी और सोयाबीन तेल का स्टॉक 0.58 लाख रहा स्टॉक में 4.81% की साप्ताहिक और 22.98% मासिक कमी दर्ज हुई। अन्य स्टॉक की बात करें तो रेपसीड ऑयल: 0.81 लाख टन – 1.88% वृद्धि, सोयाबीन स्टॉक: 4.25 लाख टन – 21.43% वृद्धि, सोयामील स्टॉक: 0.057 लाख टन (5700 टन) – 44.66% कमी दर्ज की गई
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बढ़ सकता है पाम तेल का आयात
साथियो मार्च में आयात: 4,24,599 टन का था और अब अप्रैल में अपेक्षित वृद्धि: 1–2 लाख टन की हो सकती है। पिछले सात महीनों में लगातार ऊँची कीमत रहने के कारण पाम के आयात में गिरावट देखने को मिली है। हालांकि अब CPO भाव में गिरावट के चलते आयात बढ़ने की संभावना है।
इंडोनेशिया से पाम ऑयल निर्यात रिपोर्ट (मार्च 2025)
भारत को निर्यात: 4,97,685 टन, फरवरी से 35.9% (2,79,780 टन) की गिरावट
कुल निर्यात: 20.47 लाख टन, फरवरी में 21.19 लाख टन – 3.4% कमी
CPO शिपमेंट: 1,01,660 टन, फरवरी से 1,12,785 टन (52.6%) की गिरावट
RBD पाम ओलिन: 8,10,978 टन, 13.5% घटा
RBD पाम ऑयल: 4,53,696 टन, 12.2% गिरावट
EU को निर्यात: 3,24,421 टन, 10.1% वृद्धि
चीन को निर्यात: 2,30,035 टन, 19.2% कमी
सोयाबीन में आगे क्या रह सकता है माहौल
किसान साथियो और व्यापारी भाइयों सोया और तेल तिलहन बाजार बहुस्तरीय दबाव में हैं। घरेलू क्रशिंग यूनिट्स की हालत कमजोर है, सोयामील की मांग घट रही है और अंतरराष्ट्रीय बाजार भी सुस्त हैं। अगर सरकार ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए तो यह संकट और भी गहरा सकता है। कीर्ति प्लांट पर इस समय सोयाबीन के भाव 4530 के आस पास चल रहे हैं। इस में 4500 के स्तर पर बड़ी सपोर्ट है। जानकारों का मानना है कि यदि यह सपोर्ट टूटती है तो भाव और ज्यादा गिरावट दिखा सकते हैं। पिछले दिनों चीन और अमेरिका के टेरिफ विवाद के चलते भारतीय सोयामील और सरसों DOC की डिमांड निकलने की उम्मीद बनी थी और सोयाबीन, सोयामील और सरसों खल भाव में बढ़ोतरी दिखी थी। यही समय था जब सोयाबीन के भाव भी 4910 तक गए थे। अब चीन और अमेरीका में टेरिफ विवाद सुलझता दिख रहा है जिसके कारण भारतीय बाजार में गिरावट बनी है। सोयाबीन की सरकारी बिकवाली का भी दबाव बाजार पर आया है लेकिन निचले भाव की बिड रिजेक्ट होने के कारण और ज्यादा दबाव बनता नहीं दिख रहा। सोयाबीन के भाव इस समय MSP से 500 रुपये प्रति क्विंटल तक नीचे चल रहे हैं। बात बिल्कुल पड़ते की चल रही है और इसके नीचे के भाव में किसानों को पड़ता नहीं लगेगा। इसलिए यहां से आगे बड़ी गिरावट मुश्किल लगती है। इसलिए आप चाहें तो माल को होल्ड कर सकते हैं लेकिन आपको 200 रुपये का रिस्क लेकर चलना होगा। उपर में आपको MSP तक के भाव आने वाले समय में मिल सकते हैं। व्यापार अपने विवेक से करें। सोयाबीन मंडियों ताजा भाव की जानकारी ग्रुप में पहले से डर दी गई है
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।