प्याज़ की तेजी मंदी का पूरा हिसाब किताब | जानिए इस रिपोर्ट में
दोस्तो ऐसा लगता है कि यह साल हमारे प्याज, आलू, टमाटर और लहसुन के उत्पादन करने वाले किसान साथियों के लिए ही बना है। अच्छे भावों ने जहां एक तरफ किसानों की मौज करा रखी है वहीं केंद्र सरकार के लिए सब्जियों की महंगाई मुसीबत बन गई है। केंद्र सरकार चुनावी प्रक्रिया से पहले वह सब्जियां की कीमतों में आई उछाल पर काबू पाने की पुरजोर कोशिश कर रही है परंतु प्याज की महंगाई पर काबू पाना केंद्र सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनती नजर आ रही है। तो दोस्तो आखिर क्या ऐसे कारण है कि सरकार प्याज के भाव को नहीं रोक पा रही है और क्या यह साल हमारे किसानों के लिए और तेजी लेकर आएगा आज की रिपोर्ट में इस पर हम पूरी चर्चा करेंगे बात करेंगे।
बांग्लादेश में प्याज का निर्यात
अच्छी बात यह है कि सरकार ने प्याज महंगी होने के बावजूद प्याज के निर्यात को जारी रखा हुआ है। बांग्लादेश में कल प्याज का गोस डा बॉर्डर से लगभग 28 ट्रक निर्यात हुए और इतने ही ट्रक मेहंदीपुर बॉर्डर से भी निर्यात हुए लगभग कल वहां पर जो 15 से 16 ट्रक का बैलेंस बचा वह भी निकल गया
बांग्लादेश से क्या मिल हैं भारतीय प्याज के रेट
बांग्लादेश में नासिक का मीडियम मोटा प्याज 85 से 88 टका के भाव में बिक रहा है गोल्टा गोल्टी 80 से 83 के भाव में बिक रहा है सुपर गोल्टा 84 से 86 रुपये प्रति किलो तक है MP एमपी की मंडीयो की बात करें तो का मीडियम प्याज 80 से 83 रुपये का भाव मिल रहा है गोल्टा 78 से 80 रुपये और गोल्टा गोल्टी 76 रुपये और सुपर माल 78 रुपये के भाव में बिक रहा है तो फिलहाल बांग्लादेश में जो बाजार है वो सामान्य सा ही नजर आ रहा है पिछले दो-तीन दिनों से रिपोर्ट आ रही है लेकिन एक्सपोर्ट कभी घट जाता है और कभी बढ़ जाता है तो इस पर कुछ भी कहना अभी संभव नहीं है।
मंडियों में क्या मिल रहे हैं प्याज के भाव और आवक
इंदौर चतराम मंडी में प्याज की आवक और भाव
प्याज की आवक: आज इंदौर चतराम मंडी में प्याज की आवक 50,000 से 55,000 कट्टों के लगभग रही है। अफगानिस्तान से 3-4 कंटेनर, लगभग 1,500-1,600 कट्टे प्याज आए हैं, जो जल्दी बिक जाएंगे। इंदौर की दैनिक खपत लगभग 5,000-6,000 कट्टे है, इसलिए अफगानिस्तान से आए प्याज का अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। मंडी में 8,000 टन प्याज के आयात की बात चल रही है, लेकिन इंदौर मंडी में केवल तीन दिन की प्याज की आवक ही इतनी है।
आज के प्याज के भाव:
गोल्टा प्याज: ₹24 से ₹27 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिका है।
सुपर प्याज: ₹28 प्रति किलो तक बिका है।
मोटा माल: ₹24 से ₹26 प्रति किलो के बीच बिका है।
आजादपुर मंडी में आज प्याज के बाजार की स्थिति
आवक: आज ताजे प्याज की 42 गाड़ियां आई हैं, जबकि कुल 114 गाड़ियां हैं। इसमें राजस्थान से 22, एमपी से 23, नासिक से 10, पुणे से 13, और गुजरात से 1 गाड़ी की आवक आई
प्याज के भाव:
सामान्य प्याज: 33 रुपये प्रति किलो
सुपर क्वालिटी प्याज: 34 रुपये प्रति किलो
गुलटा प्याज: 30 रुपये प्रति किलो
प्याज़ को लेकर सरकार की क्या है तैयारी
पहली चुनौती तो यह है कि विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं उसकी वजह से प्याज की बढ़ती कीमतों को स्थिर करना पड़ेगा ही। ताकि आम आदमी को प्याज की बढ़ती कीमतों की मार से थोड़ी राहत मिल सके। दूसरी तरफ सरकार के सामने प्याज उत्पादक किसानों की नाराजगी से भी बचना होगा।
ऐसे में केंद्र सरकार का पूरा ध्यान अब बफर स्टॉक के लिए 5 लाख टन प्याज की खरीद पर है केंद्र सरकार की मूल्य स्थिति करण योजना के तहत यह बफर स्टॉक बनाया जाता है केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग ने 2024 से 2025 के लिए सहकारी संस्थाओं नेफेड और एनसीसीएफ को ढाई ढाई लाख टन प्याज की खरीद का लक्ष्य दिया है
सरकारी एजेंसियां मंत्रालय द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार किसान उत्पादक कंपनियों एफपीसी और सहकारी समितियों पैक्स को वरीयता देते हुए इनके माध्यम से प्याज की खरीद करती है उपभोक्ता मामलों के विभाग ने 2015-16 में प्याज का बफर स्टॉक बनाने की शुरुआत की थी
पिछले 3 साल से बफर स्टॉक के लिए प्रतिवर्ष 22 लाख टन से अधिक प्याज की खरीद हो रही है हाल के वर्षों में प्याज की कीमतों को नियंत्रित करने में यह रणनीति काफी कारगर साबित हुई है क्योंकि बाजार में हस्तक्षेप के लिए सरकार के पास प्याज का पर्याप्त स्टॉक रहता है इसी के बल पर लोकसभा चुनाव से पहले सरकार प्याज की कीमतों पर काबू पाने में कहीं ना कहीं कामयाब भी रही थी।
नेफेड के पास अभी कितना स्टॉक
बफर स्टॉक के लिए प्याज खरीद के लिए नेफेड ने पहली बार ए ग्रेड प्याज के लिए 63 फीसदी रिकवरी का बेंच मार्क रखा है पिछले वर्ष यह 56 फीसदी था उससे पहले बेंचमार्क रिकवरी दर 45 से 50 फीसदी के बीच रहती थी रिकवरी दर बढ़ने से 5 लाख टन के बफर में 900 टन अधिक प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित हुई है इससे सरकार को करीब 500 करोड़ की बचत होगी और बाजार में हस्तक्षेप के लिए अतिरिक्त स्टॉक होगा।
क्या है प्याज की औसत कीमत
पिछले साल जहां प्याज की औसत दर 6.93 प्रति किलोग्राम थी वहीं इस साल लगभग 29.5 रुपए प्रति किलोग्राम पर खरीद हो रही है खरीद का भुगतान किसानों को डीबीटी के माध्यम से किया जा रहा है बफर स्टॉक के लिए प्याज की खरीद की व्यवस्थाओं में और भी कई बदलाव किए गए हैं प्याज की खरीद मंडियों की बजाय सीधे किसानों एफपीओ एफपीसी या पैक्स से की जा रही है प्याज खरीद के लिए कीमतें हर सप्ताह मंत्रालय द्वारा तय भी होती हैं इससे प्याज खरीद में मंडियों और आढ़तियों की भूमिका बहुत ज्यादा घटती नजर आ रही है. कीमतों में उतार चढ़ाव की उनकी क्षमता भी काफी हद तक प्रभावित हुई है। प्याज की कीमतों पर उतार चढ़ाव पर अंकुश लगाने में कृषि मंत्रालय की मार्केट इंटरवेंशन स्कीम और खाद प्रसंस्करण मंत्रालय की टॉप स्कीम के नाकाम होने के बाद केंद्र सरकार का पूरा दारोमदार अब नेफेड और एनसीसीएफ के जरिए बफर स्टॉक बनाने पर है।
क्या उत्पादन में कमी को पूरा करेगा बफर स्टॉक
इस वर्ष देश में प्याज का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 20 से 25 फीसद कम रहने की आशंका है अभी से महानगरों में प्याज के दाम 60 से 80 किलो तक पहुंच गए हैं ऐसे में बफर स्टॉक के लिए पर्याप्त खरीद महत्त्वपूर्ण हो जाती है
क्या बफर स्टॉक की नीति होगी कामयाब
बफर स्टॉक के लिए प्याज की खरीद को लेकर हाल में कुछ विवाद उठे हैं महाराष्ट्र में केंद्रीय एजेंसियों नेफेड और एनसीसीएफ के लिए प्याज की खरीद में अनियमितता के आरोप लग रहे हैं। असल में यह पूरा विवाद मंडी से खरीद बनाम किसानों या एफपीओ से सीधे खरीद को लेकर है। बफर स्टॉक के लिए प्याज की खरीद से मंडी के व्यापारियों की कीमतों में उतार चढ़ाव की क्षमता प्रभावित हुई है। लेकिन सरकारी एजेंसियों की खरीद का कितना लाभ किसानों को कितना मिल पा रहा है इसका आकलन भी जरूरी है। बफर के लिए खरीद में किसानों की बजाय व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के आरोप भी लग रहे हैं। हालांकि बफर स्टॉक के लिए मंडियों से प्याज खरीदने में कुछ व्यावहारिक दिक्कतें हैं मंडी में उपज की गुणवत्ता और बराबर दाम सुनिश्चित करना मुश्किल होता है जबकि सरकारी एजेंसियों को निर्धारित कीमत पर ही खरीद करनी पड़ती है। साथ ही उन्हें क्वालिटी का भी ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि बफर स्टॉक के लिए खरीदा गया प्याज स्टोरेज के लिए होता है रोजाना खुदरा बिक्री के लिए नहीं होता है।
किसानों के लिए भी खेत से ही एजेंसियों को प्याज की बिक्री में ज्यादा सहूलियत है उन्हें पहले से पता होता है कि किस भाव पर प्याज की खरीद होगी इससे उन्हें उचित फैसला लेने में सहूलियत होती है दूसरी तरफ मंडी जाने वाले किसानों को कीमत का सही अंदाजा नहीं होता क्योंकि मंडियों में रोजाना कीमतों में उतार चढ़ाव भी होता रहता है पिछले दो-तीन वर्षों से देश में प्याज लॉबी की मजबूत पकड़ को तोड़ने में बफर खरीद से काफी मदद मिली है लेकिन इसे लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं यह भी क्या कहा गया है कि सरकारी एजेंसियों के लिए खरीदी गई प्याज का कोई अता पता ही नहीं है हालांकि एजेंसियों का दावा है कि प्याज स्टोरेज की जिओ टैगिंग की जाती है जिनकी लोकेशन पूरा ब्योरा पोर्टल पर उपलब्ध होता है स्टोरेज पर क्यूआर कोड लगाए गए हैं जिनमें वजन जमा करने की तिथि और जिन किसानों से प्याज खरीदा गया है उनके नाम भी दर्ज होते हैं
महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों से भी प्याज खरीदी के लिए नेफेड और एनसीसीएफ केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा निर्धारित प्रक्रिया को अपना रहा है लेकिन खरीद में गड़बड़ी के आरोप मुख्यतः महाराष्ट्र में नासिक और आसपास के इलाकों में ही लग रहे हैं। बफर स्टॉक बनने से सबसे ज्यादा प्रभाव इसी क्षेत्र की प्याज मंडियों पर भी पड़ता नजर आ रहा है जहां तक प्याज की कीमतों में उतार चढ़ाव के संकट से उभरने का सवाल है तो केवल बफर स्टॉक बनाने से यह पूरी समस्या हल होने वाली नहीं है इसके लिए कृषि मंत्रालय को प्याज के उत्पादन में बढ़ोतरी और किसानों को उपज का सही दाम दिलवाने के उपाय निकालने होंगे ताकि किसान प्याज की खेती की तरफ आकर्षित हों
बफर स्टॉक बनाने और एफपीओ से सीधी खरीद से मंडी सिस्टम की पकड़ कुछ ढीली जरूर पड़ी है लेकिन इस खरीद की अपनी सीमाएं हैं इसका लाभ सीमित संख्या में किसानों को मिलता है जबकि देश में प्याज के उत्पादन में स्थायित्व के लिए सभी किसानों को उपज का सही दाम मिलना चाहिए अभी भी प्याज किसानों को मिलने वाले दाम और खुदरा बाजार में उपभोक्ताओं के लिए प्याज के दाम में कई गुना का अंतर है।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।