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क्या दशहरा तक गेहूं का भाव 3000 तक पहुंच सकता | जाने पूरी जानकरी इस रिपोर्ट में

क्या दशहरा तक गेहूं का भाव 3000 तक पहुंच सकता | जाने पूरी जानकरी इस रिपोर्ट में
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किसान साथियो गेहूं की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है और बुधवार को ये कीमतें लगभग नौ महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। इस बढ़ती कीमत के कारण आने वाले त्योहारी सीजन में गेहूं और गेहूं से बने उत्पादों के दामों में और अधिक वृद्धि होने की आशंका है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक सरकार सरकारी गोदामों से गेहूं का स्टॉक जारी नहीं करती, तब तक कीमतों में गिरावट की कोई उम्मीद नहीं है। इस स्थिति के चलते आम जनता को आने वाले दिनों में महंगाई का सामना करना पड़ सकता है। यह स्थिति कई कारकों के कारण उत्पन्न हुई है, जिनमें उत्पादन में कमी, मांग में वृद्धि, और वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमतों में उतार-चढ़ाव शामिल हैं। गेहूं की बढ़ती कीमतों का सीधा प्रभाव आम लोगों की जेब पर पड़ रहा है, क्योंकि गेहूं एक प्रमुख खाद्य पदार्थ है और इसका उपयोग रोटी, चपाती, और अन्य खाद्य पदार्थों को बनाने में होता है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक प्रमुख आटा मिल मालिक ने चिंता व्यक्त की है कि थोक मंडियों में गेहूं की आपूर्ति लगातार कम होती जा रही है। इस कमी का सीधा असर खुदरा बाजार पर पड़ रहा है और गेहूं की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। गेहूं की कुल उपलब्धता की स्थिति पिछले साल की तुलना में काफी खराब है। यदि यह स्थिति बनी रही तो आने वाले समय में गेहूं की किल्लत उत्पन्न हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार को तुरंत अपने भंडारों से गेहूं को खुले बाजार में जारी करना चाहिए। यह कदम न केवल गेहूं की कीमतों को स्थिर करने में मदद करेगा बल्कि आम जनता को राहत भी प्रदान करेगा।

5 महीने में कितना बढ़ा गेहूं का भाव
गेहूं की कीमतों में पिछले कुछ महीनों में लगातार वृद्धि हुई है। अप्रैल में जहां गेहूं की कीमत 24,000 रुपये प्रति मीट्रिक टन थी, वहीं अब यह बढ़कर 28,000 रुपये प्रति मीट्रिक टन हो गई है। यह वृद्धि कई कारणों से हुई है, जिनमें पिछले साल की तुलना में कम उत्पादन, बढ़ती मांग और वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमतों में उतार-चढ़ाव शामिल हैं। विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि पिछले साल जून से मार्च तक सरकार ने अपने भंडार से 100 लाख मीट्रिक टन गेहूं बेचा था, जो एक रिकॉर्ड मात्रा है। इस कदम से आटा मिलों, बिस्किट बनाने वाली कंपनियों और थोक खरीदारों को काफी सस्ती कीमतों पर गेहूं उपलब्ध हुआ था। हालांकि, इस बड़े पैमाने पर बिक्री के बावजूद, गेहूं की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है, जो एक चिंताजनक स्थिति है। यह स्थिति आम जनता के लिए काफी परेशानी का कारण बन सकती है, क्योंकि गेहूं एक प्रमुख खाद्य पदार्थ है और इसका उपयोग रोटी, चपाती, और अन्य खाद्य पदार्थों को बनाने में होता है। गेहूं की बढ़ती कीमतों का सीधा प्रभाव आम लोगों की जेब पर पड़ेगा। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

आटा मिल मालिक क्र रहे गेहूं पर से आयात शूल्क हटाने की मांग
आटा मिल मालिकों ने गेहूं पर आयात शुल्क हटाने की मांग की है, क्योंकि अगस्त का महीना समाप्त होने वाला है और सरकार ने अभी तक अपने सरकारी भंडार से गेहूं जारी करना शुरू नहीं किया है। इससे गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। जून में रॉयटर्स ने एक सरकारी आदेश का हवाला देते हुए बताया था कि भारत ने जुलाई से अपने राज्य के भंडार से थोक उपभोक्ताओं को गेहूं बेचने की योजना बनाई थी, लेकिन इसमें देरी हो गई और इसके बाद इस योजना पर कोई अपडेट नहीं आया। सरकार के प्रवक्ता ने इस मामले पर टिप्पणी के लिए भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं दिया। कर्नाटक के एक आटा मिल मालिक ने कहा कि सरकार को अपने भंडार से स्टॉक जारी करने में अब और देरी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को ऑस्ट्रेलिया और रूस जैसे देशों से आयात को आसान बनाने के लिए 40% गेहूं आयात शुल्क हटाना चाहिए। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

इस सीजन गेहूं की खरीद 6.25 प्रतिशत हुई कम
अक्टूबर से शुरू होने वाले त्योहारी सीजन के मद्देनजर गेहूं की मांग में बढ़ोतरी की उम्मीद है। दशहरा और दिवाली जैसे बड़े हिंदू त्योहारों के दौरान गेहूं की खपत काफी बढ़ जाती है। हालांकि, सरकार द्वारा गेहूं की बिक्री में देरी किए जाने से कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है। सरकार के पास अगली फसल शुरू होने तक बाजार में हस्तक्षेप के लिए सीमित स्टॉक है। 1 अगस्त को भारत के सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टॉक 260 लाख मीट्रिक टन से अधिक था, जो एक साल पहले की तुलना में 4.4 फीसदी कम है। इसके अलावा, इस साल गेहूं की खरीद 112 मिलियन मीट्रिक टन के सरकारी अनुमान से 6.25 फीसदी कम ही हुई है। इन सभी कारकों के कारण, दशहरा तक गेहूं का भाव 3000 रुपए तक पहुंच सकता है। और आप की जानकारी के लिए बता दे की अगर सरकार गेहूं को खुले बाजार में उतारती है तो गेहूं के भाव में गिरावट देखने को मिल सकती है इसी लिए व्यापर अपने विवेक से करे

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।