सोयाबीन की वायदा कारोबार को लेकर आई बड़ी अपडेट | जाने भाव पर क्या होगा असर
किसान साथियो मध्य प्रदेश में सोयाबीन की खेती, जो कभी किसानों के लिए मुनाफे का स्रोत हुआ करती थी, अब घाटे का सौदा बनती जा रही है। पिछले कुछ वर्षों से सोयाबीन के दामों में लगातार गिरावट आ रही है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। ख़रीफ सीजन में सोयाबीन के विकल्प सीमित होने के कारण किसान मजबूरी में इसे ही उगा रहे हैं। विदेशों में सोयाबीन की प्रचुर उपलब्धता और भारत में खाद्य तेलों का आयात बढ़ने के कारण घरेलू बाजार में सोयाबीन की मांग कम हुई है, जिससे इसके दामों में बढ़ोतरी की संभावना कम हो गई है। किसानों और व्यापारियों को जनवरी माह में सोयाबीन के दामों में बढ़ोतरी की उम्मीद थी, लेकिन सरकार के कुछ निर्णयों के कारण ये उम्मीदें भी धूमिल हो गई हैं। नतीजतन, सोयाबीन खरीदने वाले उद्योग और व्यापारी अब कम कीमत पर ही सोयाबीन खरीदने को तैयार हैं। इस स्थिति के कारण किसानों को सोयाबीन की खेती से मुनाफा कमाने की उम्मीद कम दिख रही है और आने वाले महीनों में भी सोयाबीन के दामों में बढ़ोतरी की संभावना कम है।
वायदा कारोबार पर प्रतिबंध के कारण सोयाबीन में आ रही है गिरावट
पिछले तीन वर्षों से सोयाबीन का वायदा व्यापार प्रतिबंधित है। यह निर्णय सट्टेबाजी को रोकने के उद्देश्य से लिया गया था। हालांकि, इस प्रतिबंध के बाद सोयाबीन की कीमतों में लगातार गिरावट देखी गई है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य 4892 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि बाजार में सोयाबीन 6000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास बिक रहा था। इस अंतर के कारण किसानों ने बड़ी मात्रा में सोयाबीन का भंडारण किया था। लेकिन कीमतों में गिरावट के कारण उन्हें अब भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। व्यापारी भी इस स्थिति से प्रभावित हुए हैं और उन्हें भी काफी नुकसान हो रहा है। कई किसानों ने पुराना सोयाबीन सीधे प्रसंस्करण इकाइयों को बेचना शुरू कर दिया है। गेहूं की बुवाई का मौसम आने के साथ ही किसान अब गेहूं की ओर अपना ध्यान केंद्रित करने लगे हैं, जिससे सोयाबीन के बाजार में और अधिक दबाव बढ़ सकता है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
किन फसलों के वायदा कारोबार पर लगा है प्रतिबंध
भारत सरकार ने धान (गैर-बासमती), गेहूं, चना, सरसों, सोयाबीन, कच्चा पाम तेल और मूंग जैसे प्रमुख कृषि उत्पादों के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगा रखा है। यह प्रतिबंध खाद्य सुरक्षा और कीमतों को स्थिर रखने के उद्देश्य से लगाया गया है। हालांकि, व्यापारी वर्ग में इस प्रतिबंध को लेकर दो तरह की राय हैं। लगभग 60% व्यापारी इस प्रतिबंध को हटाने के पक्ष में हैं, जबकि 40% व्यापारी इसे जारी रखने के पक्ष में हैं। सरकार ने वायदा कारोबार को फिर से शुरू करने की तारीख 31 जनवरी तय की थी, लेकिन बाद में इस तारीख को बढ़ा दिया गया है।
वायदा कारोबार पर कब तक रहेगा प्रतिबंध
भारत सरकार ने खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और किसानों के हितों की रक्षा के लिए सोयाबीन, गेहूं सहित 6 कृषि वस्तुओं पर वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह प्रतिबंध पहली बार दिसंबर 2021 में लगाया गया था और तब से इसे कई बार बढ़ाया जा चुका है। हाल ही में, इस प्रतिबंध को 31 मार्च, 2025 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इस प्रतिबंध के तहत इन कृषि वस्तुओं पर नए वायदा अनुबंध शुरू करने और मौजूदा अनुबंधों में कारोबार करने पर रोक लगा दी गई है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
क्या सोयाबीन के भाव घटेंगे
सरकार द्वारा सोयाबीन के व्यापार पर प्रतिबंध को 31 मार्च 2025 तक बढ़ाए जाने के निर्णय से सोयाबीन के भावों में वृद्धि की उम्मीद कम हो गई है। सोयाबीन व्यापार के जानकारों का मानना है कि इस निर्णय के बाद फरवरी और मार्च महीने में सोयाबीन के भावों में कोई उल्लेखनीय वृद्धि देखने को नहीं मिलेगी। व्यापारियों का कहना है कि यदि अप्रैल महीने में भी व्यापार पर प्रतिबंध जारी रहा तो भविष्य में भी सोयाबीन के दामों में बढ़ोतरी की संभावना कम है। यह प्रतिबंध सोयाबीन के उत्पादन और बाजार पर सीधा प्रभाव डाल रहा है, जिससे कीमतें नियंत्रित रहने की संभावना है।
क्या सोयाबीन के भाव बढ़ने की उम्मीद है
सोयाबीन उत्पादक और व्यापारी वायदा कारोबार को फिर से शुरू करने की मांग कर रहे हैं। उनका मानना है कि वायदा कारोबार शुरू होने से सोयाबीन के घटते भाव में सुधार आएगा। एक सोयाबीन कारोबारी अमर अग्रवाल के अनुसार, सोयाबीन की खली की बिक्री में मंदी के कारण किसानों को अपनी फसल का दाम कम पर बेचना पड़ रहा है। पिछले तीन साल से सोयाबीन का वायदा कारोबार बंद है और किसानों को उम्मीद है कि इस साल पुणे में वायदा कारोबार शुरू हो सकता है। किसानों का मानना है कि वायदा कारोबार के शुरू होने से वे बेहतर मूल्य प्राप्त कर सकेंगे। हालांकि, कुछ कारोबारी वायदा कारोबार को सट्टा मानते हैं और इसे लेकर चिंतित हैं। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।