गेहूं के भाव को लेकर आई बड़ी खबर | आगे क्या रह सकता है गेहूं के बजार में
किसान साथियो वर्तमान रबी सीजन में गेहूं की बुवाई में उल्लेखनीय कमी देखी गई है। 8 नवंबर तक गेहूं का रकबा पिछले साल की तुलना में 15.5% घटकर 41.3 लाख हेक्टेयर रह गया है। मध्य प्रदेश जैसे कुछ प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में बुवाई कम हुई है, हालांकि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे अन्य राज्यों ने गेहूं के रकबे में वृद्धि की है। दूसरी ओर, गेहूं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और दक्षिणी भारत में तो यह 34,000 रुपये प्रति टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। इसका मुख्य कारण प्रमुख उत्पादक राज्यों में आपूर्ति का सीमित होना है। सरकार ने 2024-25 के लिए 115 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए समय पर बुवाई और अनुकूल मौसम की आवश्यकता है। आपूर्ति की कमी और बढ़ती कीमतों के कारण खुले बाजार में गेहूं की बिक्री और आयात को लेकर व्यापारिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
गेहूं की कीमतों को लेकर क्या हो रहा है.
देश में गेहूं की खेती में इस साल 15.5% की भारी कमी दर्ज की गई है। 8 नवंबर तक गेहूं का रकबा घटकर 41.3 लाख हेक्टेयर रह गया है। मध्य प्रदेश में इस मामले में काफी देरी हुई है, जबकि पंजाब और हरियाणा में थोड़ी बढ़ोतरी देखी गई है। कम उत्पादन के कारण गेहूं की कीमतें आसमान छू रही हैं। विशेषकर दक्षिणी भारत में गेहूं की कीमतें रिकॉर्ड 34,000 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई हैं। कम आपूर्ति और सरकार की ओर से आयात को बढ़ावा न दिए जाने के कारण कीमतों में यह उछाल आया है। दिल्ली में भी गेहूं की कीमतें 3,200 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रही हैं, जो देश भर में गेहूं की मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन को दर्शाता है। एपीएमसी यार्ड में गेहूं का औसत मूल्य 2,811 रुपये प्रति क्विंटल है, जो सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,425 रुपये प्रति क्विंटल से काफी अधिक है। व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में गेहूं की उपलब्धता कम होने के कारण कीमतें बढ़ रही हैं। सरकार का लक्ष्य 115 मिलियन टन गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हासिल करना है, लेकिन कम रकबे के कारण यह लक्ष्य पूरा होना मुश्किल लग रहा है। गेहूं की बढ़ती कीमतों से आम लोगों के साथ-साथ खाद्य उद्योग पर भी असर पड़ रहा है।
सरकार की गलत नीतियों से बढ़े गेहूं के भाव
सरकार द्वारा गेहूं की आपूर्ति बढ़ाने के उपायों के बावजूद, आटा मिलों को गेहूं की उपलब्धता में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। ओपन मार्केट सेल स्कीम और कम शुल्क पर आयात जैसी नीतियों के कारण, सीमित आपूर्ति की स्थिति और बिगड़ गई है। विशेष रूप से, उत्तर प्रदेश जैसे गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में गेहूं का उत्पादन बढ़ने के बावजूद, कुल गेहूं का रकबा पिछले वर्ष की तुलना में 15.5% कम हो गया है। मध्य प्रदेश में इस कमी का सबसे अधिक प्रभाव देखने को मिला है। हालांकि, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में उत्पादन में वृद्धि होने से सरकार के 115 मिलियन टन के उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। फिर भी, नवंबर में बुवाई में तेजी आने की उम्मीद है क्योंकि मौसम अनुकूल रहने की संभावना है। समय पर बुवाई और सरकार की नीतियों में आवश्यक बदलाव 115 मिलियन टन के उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करने और कीमतों को स्थिर रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
आगे क्या रह सकता है गेहूं के बजार में
सरकार द्वारा गेहूं की बिक्री अक्टूबर महीने से खुले बाजार में करने की घोषणा की गई थी, लेकिन अज्ञात कारणों से इस फैसले को रोक दिया गया है। इस निर्णय का सीधा असर गेहूं के दामों पर पड़ा है और ये लगातार बढ़कर 3170-3180 रुपये प्रति कुंतल तक पहुंच गए हैं। हालांकि, मंडियों में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है, लेकिन बड़ी कंपनियां इसे जमा करके बैठी हैं और कम दाम पर बेचने के लिए तैयार नहीं हैं। इस स्थिति में सरकार को हस्तक्षेप करते हुए गेहूं की बिक्री खुले बाजार में शुरू करनी होगी, तभी गेहूं के दामों में बढ़ोतरी पर रोक लग सकती है और महंगाई पर नियंत्रण पाया जा सकता है। अन्यथा गेहूं का भाव ऐसे ही बढ़ते रहेंगे बाकि व्यापार अपने विवेक से करे
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।