बासमती की तेजी अब MEP पर है निर्भर | जाने पूरी खबर इस रिपोर्ट में
किसान साथियो देश की मंडियों में नए धान की आवक शुरू हो चुकी है, लेकिन केंद्र सरकार ने बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) में कटौती के संबंध में अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। चालू खरीफ सीजन में धान की बुआई में हुई बढ़ोतरी के कारण देश में चावल का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है। ऐसे में यदि केंद्र सरकार जल्द ही एमईपी में कटौती नहीं करती है, तो इसका सीधा असर धान किसानों की आय पर पड़ेगा। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 30 अगस्त 2024 तक धान की रोपाई चालू खरीफ में बढ़कर 408.72 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो पिछले साल की तुलना में काफी अधिक है। उत्पादन में बढ़ोतरी के बावजूद, यदि एमईपी में कटौती नहीं होती है, तो मंडियों में धान की कीमतों में गिरावट आने की संभावना है। यह स्थिति किसानों के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि उन्हें अपनी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाएगा। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
कितनी हो रही पूसा 1509 धान की आवक
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा जैसे कृषि प्रधान राज्यों की मंडियों में पूसा 1509 किस्म के नए धान की आवक शुरू हो चुकी है। अनुकूल मौसमी हालात के चलते आने वाले दिनों में धान की आवक में और बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। वहीं, दूसरी ओर, बासमती चावल के निर्यात को लेकर भी किसान और उद्योग जगत चिंतित है। केंद्र सरकार ने बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य को 950 डॉलर प्रति टन निर्धारित किया हुआ है, जबकि पाकिस्तान विश्व बाजार में सस्ते दाम पर बासमती चावल बेच रहा है। इस कारण भारतीय बासमती चावल की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो रही है। उद्योग जगत ने सरकार से बासमती चावल के निर्यात मूल्य को घटाकर 750 डॉलर प्रति टन करने की मांग की है ताकि किसानों को बेहतर दाम मिल सकें और भारतीय बासमती चावल की मांग में वृद्धि हो सके।
धान की कीमतों में आ सकती है गिरावट
व्यापारियों का अनुमान है कि चालू खरीफ सीजन में धान की पैदावार काफी अच्छी होगी। हालांकि, यदि सरकार द्वारा निर्यात न्यूनतम मूल्य (एमईपी) में कटौती नहीं की जाती है तो आने वाले दिनों में मंडियों में धान की आवक बढ़ने के साथ ही कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है। हाल ही में विभिन्न मंडियों में धान की आवक और भावों पर नजर डालें तो हरियाणा की तरावड़ी मंडी में पूसा 1509 किस्म के धान की 1500 बोरी की आवक हुई और इसका भाव 2500 से 2825 रुपये प्रति क्विंटल रहा। इसी तरह, राज्य की इंद्री मंडी में इसी किस्म के धान की 2000 बोरी की आवक हुई और इसका व्यापार 2500 से 2815 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ। उत्तर प्रदेश की जहांगीराबाद मंडी में 700 बोरी नए पूसा 1509 किस्म के धान की आवक हुई और इसका भाव 2201 से 2731 रुपये प्रति क्विंटल रहा। पंजाब की अमृतसर मंडी में पूसा 1509 किस्म के नए धान की 30,000 कट्टों की आवक हुई और इसका व्यापार 2400 से 2886 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ। यह स्पष्ट है कि धान की आवक में लगातार वृद्धि हो रही है। यदि सरकार एमईपी में कटौती नहीं करती है तो निर्यात प्रभावित होगा और घरेलू बाजार में धान का अधिक उत्पादन आने से कीमतें गिर सकती हैं। यह किसानों के लिए चिंता का विषय है क्योंकि कम कीमतों से उनकी आय प्रभावित होगी। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
इस सीजन चावक का कितना हुआ निर्यात
भारतीय उद्योग जगत ने केंद्र सरकार से गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने और उबले हुए चावल के निर्यात पर लगाए गए 20% शुल्क को वापस लेने का आग्रह किया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में बासमती चावल का निर्यात पिछले वर्ष की तुलना में 16.26% बढ़कर 9.65 लाख टन हो गया है। हालांकि, गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात 32% की भारी गिरावट के साथ 19.35 लाख टन रह गया है। निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध और शुल्क के कारण चावल उद्योग को काफी नुकसान हो रहा है और इससे देश के कृषि निर्यात में भी कमी आ रही है। उद्योग का मानना है कि इन प्रतिबंधों को हटाने से न केवल चावल उद्योग को लाभ होगा बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।