2025-26 में बढ़ सकता है बासमती का निर्यात - रिपोर्ट
पंजाब और हरियाणा में हाल ही में हुई भारी बारिश से आई बाढ़ के कारण वहां की खड़ी बासमती फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। इसके बावजूद विशेषज्ञों का कहना है कि वित्त वर्ष 2025-26 (अप्रैल-मार्च) में भारत का बासमती चावल निर्यात बढ़ेगा, क्योंकि अन्य राज्यों में उत्पादन में बढ़ोतरी होने की संभावना है। उनका मानना है कि देश की कुल बासमती चावल उत्पादन पिछले साल के समान ही रहेगा। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश गोयल ने कहा कि अप्रैल-अगस्त के दौरान भारत का बासमती चावल निर्यात साल-दर-साल 17% से अधिक बढ़कर 2.7 मिलियन टन हो गया है।
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गोयल का अनुमान है कि पंजाब में हाल की बाढ़ के बावजूद वित्त वर्ष 2025-26 में बासमती चावल का निर्यात 8% बढ़ेगा। पहले पाँच महीनों में निर्यात 4 लाख टन बढ़ा है और यह रफ्तार पूरे साल जारी रहने की संभावना है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 की इसी अवधि में निर्यात 2.3 मिलियन टन था। गोयल ने कहा कि 2025-26 में भारत का बासमती चावल निर्यात बढ़कर 6.5 मिलियन टन तक पहुँच सकता है, क्योंकि मांग और आपूर्ति दोनों ही मजबूत हैं। 2024-25 में भारत ने 6.0 मिलियन टन से अधिक बासमती चावल का निर्यात किया था। एसोसिएशन जापान और दक्षिण अफ्रीका के कुछ देशों में निर्यात बाजार बढ़ाने की कोशिश कर रही है, जिससे इस साल के निर्यात को भी सहारा मिलेगा।
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देश के 2025-26 (जुलाई-जून) फसल वर्ष में बासमती चावल उत्पादन पर गोयल ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान पंजाब और हरियाणा जैसे प्रमुख बासमती उगाने वाले राज्यों में हुई भारी बारिश से कुल उत्पादन पर खास असर नहीं पड़ेगा। इसका कारण यह है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में उत्पादन बढ़ने की संभावना है। गोयल के अनुमान के अनुसार, पंजाब में लगभग 10% बासमती फसल को नुकसान हुआ है। मुंबई के अनाज व्यापारी देवेंद्र वोरा ने कहा कि हरियाणा में केवल 1-2% और पंजाब में लगभग 7-10% फसल को नुकसान हुआ है। गोयल ने बताया कि 2025-26 फसल वर्ष में देश का बासमती चावल उत्पादन लगभग 8.0-8.5 मिलियन टन रहने की उम्मीद है।
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वे बासमती धान का उत्पादन 2025-26 में 15-16 मिलियन टन मानते हैं, जो 2024-25 के समान रहेगा। अगस्त के आखिर और सितंबर की शुरुआत में पंजाब और हरियाणा में अचानक आई बाढ़ ने बुनियादी ढांचे, जान-माल और फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया। पंजाब के सभी 23 जिले प्रभावित हुए और यह 1988 के बाद राज्य की सबसे भीषण बाढ़ मानी गई।| कुछ अन्य राज्यों ने भी बड़े पैमाने पर नुकसान और व्यवधान की रिपोर्ट दी। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में भारत के पूसा बासमती चावल की औसत कीमत महीने-दर-महीने स्थिर रही और $925 प्रति टन रही। हालांकि, यह एक साल पहले $1,166.7 प्रति टन थी। पिछले साल बासमती चावल की कीमतें अधिक थीं क्योंकि सरकार ने उस समय निर्यात पर प्रतिबंध लगाए थे।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।
