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GI टैग मिलने के बाद गेहूं की इस किस्म का बढ़ेगा निर्यात | जाने पूरी डिटेल्स इस रिपोर्ट में

GI टैग मिलने के बाद गेहूं की इस किस्म का बढ़ेगा निर्यात | जाने पूरी डिटेल्स इस रिपोर्ट में
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किसान साथियो बुंदेलखंड का कठिया गेंहू अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है। योगी सरकार और नाबार्ड के संयुक्त प्रयासों से इस गेहूं को जीआई टैग प्राप्त हुआ है। जीआई टैग मिलने से कठिया गेंहू को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचाने का रास्ता साफ हो गया है। झांसी के एक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) ने इस जीआई टैग को हासिल कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अब इस गेहूं को अपनी विशिष्ट पहचान के साथ बाजार में बेचा जा सकेगा, जिससे किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे और बुंदेलखंड की कृषि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। इस जीआई टैग के साथ, कठिया गेंहू अब न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में अपनी गुणवत्ता और विशिष्ट स्वाद के लिए जाना जाएगा। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

सरकार किसानों को दिल आएगी ट्रेनिंग
जिले में कठिया गेहूं को जीआई टैग दिलाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, एक जनपद स्तरीय जीआई अनुश्रवण कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी का मुख्य उद्देश्य किसानों को जीआई टैग और इसके लाभों के बारे में जागरूक करना है। आने वाले दिनों में, कमेटी द्वारा किसानों को जीआई उत्पादों के उत्पादन, पैकेजिंग और बिक्री के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। किसान उत्पादक संगठन इस समय जिले के किसानों से डेटा एकत्रित कर रहे हैं ताकि यह पता चल सके कि कितने किसान कठिया गेहूं के उत्पादन में लगे हुए हैं। इस डेटा के आधार पर, किसानों को बेहतर पैकेजिंग के लिए प्रेरित किया जाएगा ताकि वे अपने उत्पादों को बेहतर कीमत पर बेच सकें। जीआई टैग मिलने से कठिया गेहूं की ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी और किसानों को बेहतर आय होगी। यह कदम न केवल किसानों के लिए बल्कि पूरे जिले के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।

गेहूं की कठिया किस्म को जीआई टैग मिलने से बढ़ेगा निर्यात
झांसी के ज्येष्ठ कृषि विपणन निरीक्षक प्रखर कुमार ने बताया कि बुंदेलखंड के कठिया गेहूं को जीआई टैग मिलने से क्षेत्र के किसानों को काफी फायदा होगा। कठिया गेहूं में भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ए, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं और यह कई बीमारियों में भी फायदेमंद होता है। जीआई टैग मिलने के बाद इस गेहूं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान मिलेगी। इससे न केवल कठिया गेहूं की मांग बढ़ेगी बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। इस कार्य के लिए कृषि विपणन विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई है और एक नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया गया है। अब कठिया गेहूं बुंदेलखंड की पहचान बन जाएगा और इसे देश-विदेश में निर्यात किया जाएगा।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।