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फिर से पश्चिमी विक्षोभ हो रहा है सक्रिय | जाने अगले 2 दिन में कहाँ कहाँ होगी बारिश

जाने अगले 2 दिन में कहाँ कहाँ होगी बारिश
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पश्चिमी विक्षोभ का आगमन
दोस्तों आज 9 जनवरी है और भारत में मौसम के बदलाव की चर्चा एक बार फिर जोर पकड़ रही है। पश्चिमी विक्षोभ के कारण आने वाले दिनों में देश के विभिन्न हिस्सों में मौसम में बदलाव देखने को मिलेगा। कहीं बारिश होगी, कहीं बर्फबारी, तो कहीं तापमान में गिरावट और कहीं वृद्धि। वर्तमान स्थिति के अनुसार, उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी हवाएं देश के अधिकांश हिस्सों में सक्रिय हैं। वहीं, पश्चिमी विक्षोभ अपनी दिशा बदलते हुए उत्तर-पूर्वी भारत की ओर बढ़ रहा है। इसके परिणामस्वरूप, हाल ही में बिहार के सुपौल जिले और उत्तर-पूर्व के राज्यों जैसे सिक्किम, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, और नागालैंड में बारिश दर्ज की गई।

पश्चिमी विक्षोभ क्या है?
पश्चिमी विक्षोभ, जिसे अंग्रेजी में Western Disturbance कहते हैं, एक मौसमी घटना है। यह भूमध्यसागर (Mediterranean Sea) से उत्पन्न होता है और पश्चिमी जेट स्ट्रीम (Western Jet Stream) के साथ पूर्व की ओर बढ़ता है। इसे "पश्चिमी विक्षोभ" या "पश्चिमी गड़बड़ी" इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका उद्गम पश्चिम से होता है। भूमध्यसागर से उठने के बाद यह विक्षोभ मध्य पूर्व के देशों जैसे इराक, ईरान, अफगानिस्तान, और पाकिस्तान को पार करता है। इन देशों में कोई प्रमुख पर्वत श्रृंखला नहीं होने के कारण यह बिना किसी अवरोध के आगे बढ़ता है।

जब यह पश्चिमी विक्षोभ भारत पहुंचता है, तो हिमालय की पर्वत श्रृंखला इसे रोकती है। इससे भारत के उत्तरी हिस्सों में ठंड के मौसम में बारिश और बर्फबारी होती है। इसके साथ ही, भारत के मैदानों में इंड्यूस साइक्लोनिक सर्कुलेशन (प्रेरित चक्रवातीय परिसंचरण) बनता है, जिससे उत्तर भारत में बारिश और तेज हवाएं चलती हैं।
हिमालय पर्वत श्रृंखला पश्चिमी विक्षोभ को दो भागों में विभाजित कर देती है। इसका एक हिस्सा हिमालय के ऊपरी क्षेत्रों से होकर गुजरता है, जबकि दूसरा हिस्सा निचले इलाकों से गुजरता है। हिमालय के ऊपरी क्षेत्र से गुजरने वाले विक्षोभ के कारण उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, और उत्तराखंड में बर्फबारी होती है। वहीं, निचले इलाकों से गुजरने वाला विक्षोभ पूर्वोत्तर राज्यों जैसे सिक्किम, नागालैंड, और अरुणाचल प्रदेश में बारिश का कारण बनता है।

मौसमी परिवर्तन
पश्चिमी विक्षोभ के गुजरने के बाद, उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी दिशा से ठंडी हवाएं चलने लगती हैं। इन हवाओं के कारण पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, और देश के अन्य हिस्सों में तापमान में भारी गिरावट दर्ज की जाती है। उदाहरण के लिए, मौजूदा समय में पश्चिमी विक्षोभ की स्थिति के कारण इन क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान काफी हद तक कम हो गया है।
अगर पश्चिमी विक्षोभ अधिक मजबूत होता है, तो इसका प्रभाव पूर्वोत्तर भारत पर भी देखने को मिलता है। सिक्किम और उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे मेघालय, असम, और अरुणाचल प्रदेश में अच्छी बारिश होती है। इस दौरान इन क्षेत्रों में तापमान सामान्य से कम हो जाता है और ठंड बढ़ जाती है।

आने वाले दिनों का पूर्वानुमान
10 जनवरी के आसपास एक नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने की संभावना है, जिसके कारण उत्तरी भारत में बारिश और बर्फबारी हो सकती है। साथ ही, पूर्वोत्तर राज्यों में भी इसका असर देखने को मिलेगा। यह पश्चिमी विक्षोभ भारत के मौसमी चक्र का एक अभिन्न हिस्सा है और सर्दियों में उत्तर भारत के लिए यह अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

राजस्थान मे कैसा रहेगा मौसम

चुरू और आस-पास के तापमान में गिरावट
राजस्थान के चुरू क्षेत्र में तापमान में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। यहां पिछले दो दिनों में तापमान 10° से 4° तक गिरकर 4.2° के आसपास पहुंच गया है, जो लगभग 7 डिग्री की गिरावट दर्शाता है। राजस्थान में सर्दी का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है, और अगले कुछ दिनों में पाले की संभावना बनी हुई है। पाला तब पड़ता है जब न्यूनतम तापमान 4 डिग्री या उससे कम हो जाता है और आसमान साफ होता है। इस स्थिति में ओस की बूंदें, जो रात में जमीन और अन्य सतहों पर जम जाती हैं, ठंड के कारण बर्फ में बदल जाती हैं। इसे ही पाला कहा जाता है। अगले दो दिनों के दौरान राजस्थान, हरियाणा, और पंजाब के कुछ हिस्सों में पाला पड़ने की प्रबल संभावना है। पाले के कारण फसलों को भारी नुकसान हो सकता है, जिससे किसानों को सतर्क रहना होगा।

उत्तर भारत मे कैसा रहेगा मौसम

उत्तरी हवाओं का सिलसिला
उत्तरी हवाओं के चलते राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, और तेलंगाना तक तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। अगले 24 घंटों के दौरान इन इलाकों में ठंड का प्रकोप जारी रहेगा। हालांकि, 10 जनवरी के बाद तापमान में धीरे-धीरे वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि एक नया पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) राजस्थान में सक्रिय होने वाला है।

पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव
नए पश्चिमी विक्षोभ के कारण राजस्थान और आसपास के इलाकों में चक्रवाती परिसंचरण (साइक्लोनिक सर्कुलेशन) बनने की संभावना है। हालांकि, प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में व्यापक बारिश की संभावना कम है। इस विक्षोभ के चलते मुख्यतः पूर्वी राजस्थान और उससे सटे इलाकों में बारिश की गतिविधियां बढ़ सकती हैं।

देश के अन्य भागों में मौसम की स्थिति

पिछले 24 घंटों में, बिहार के सुपौल और झारखंड के डाल्टनगंज में हल्की बारिश दर्ज की गई। इसके अलावा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और तटीय तमिलनाडु में भी हल्की बारिश हुई है। पूर्वोत्तर राज्यों में बारिश की तीव्रता अपेक्षाकृत अधिक रही।

पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, और पश्चिमी राजस्थान में तापमान में भारी गिरावट देखी गई है। पश्चिमी राजस्थान में तापमान पहले से ही बढ़ना शुरू हो गया है, जबकि गुजरात और महाराष्ट्र के इलाकों में ठंडी हवाओं के कारण तापमान में गिरावट जारी है। यह गिरावट मुख्यतः पहाड़ों पर हुई बर्फबारी और वहां से आने वाली ठंडी हवाओं का परिणाम है।

उत्तरी भारत के कई इलाकों में कोहरा देखा गया है, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और बिहार में। हालांकि, उत्तर-पश्चिमी शुष्क हवाएं कोहरे को धीरे-धीरे हटाने का काम कर रही हैं। अगले एक-दो दिनों में कोहरे की तीव्रता कम होने की संभावना है। इससे दिन के समय धूप निकलने की अवधि बढ़ेगी और तापमान में हल्की वृद्धि हो सकती है।

मौसम विशेषज्ञों की मानें तो भारत के कई हिस्सों में आगामी दिनों में मौसम में व्यापक परिवर्तन देखने को मिल सकता है। 10 और 11 जनवरी को देश के अलग-अलग हिस्सों में बारिश और कुछ जगहों पर ओलावृष्टि हो सकती है।

10 जनवरी से पहले देश के अधिकांश हिस्सों का मौसम साफ रहेगा। केवल पूर्वोत्तर राज्यों और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश की संभावना है। यह स्थिति 9 जनवरी तक बनी रहेगी।

10 जनवरी की शाम से साइक्लोनिक सर्कुलेशन के प्रभाव से तापमान में वृद्धि शुरू हो जाएगी। राजस्थान के बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर, जयपुर, अजमेर, नागौर, सीकर, झुंझुनू, और अलवर जैसे इलाकों में बारिश होने की संभावना है।

11 जनवरी को यह वेदर सिस्टम दिल्ली-एनसीआर, दक्षिणी हरियाणा, चुरू, दोसा, करोली, भरतपुर, सवाई माधोपुर, ग्वालियर संभाग, और मध्य प्रदेश के गुना, टीकमगढ़, सिधी, सतना, और रीवा जैसे इलाकों को भी प्रभावित करेगा। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, फैजाबाद, और अयोध्या तक बारिश देखने को मिलेगी।

हालांकि, इस बार वेदर सिस्टम पहले की अपेक्षा कमजोर रहेगा। 10 और 11 जनवरी को कई इलाकों में हल्की बारिश और कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि हो सकती है। पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत में इस दौरान सूखा मौसम बने रहने की संभावना है।

उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में ठंड का प्रकोप जारी रहेगा। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में अधिक बर्फबारी की संभावना है। वहीं, गिलगित, पाकिस्तान, मुजफ्फराबाद, और लद्दाख में हल्की बर्फबारी देखी जा सकती है।

12 जनवरी तक साइक्लोनिक सर्कुलेशन दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी और इक्वेटोरियल इंडियन ओशन में सक्रिय हो जाएगा। इसके परिणामस्वरूप तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में बारिश की गति तेज हो जाएगी।

 सौजन्य : मौसम विभाग

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।