रुपए ने डॉलर को आज फिर दी पटकनी। जाने कितना हुआ मजबूत
दोस्तों, भारत की करेंसी यानी रुपया और अमेरिकी डॉलर के बीच का अंतर हमेशा ही व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा है। हालांकि, जब भी रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूती दिखाता है, तो यह भारतीय बाजारों के लिए सकारात्मक संकेत होता है। अगर 21 फरवरी की बात करें, तो रुपया डॉलर के मुकाबले 14 पैसे मजबूत हुआ। इस घटना ने विदेशी मुद्रा बाजार में हलचल मचाई और निवेशकों को चौकाया है क्योंकि अगर पिछले तीन दिनों की बात करें, तो रुपया डॉलर पर लगातार भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। दोस्तों, आज के समय में विदेशी मुद्रा बाजार (Forex Market) तेजी से बदलते रहते हैं। हर छोटी-मोटी घटबढ़ निवेशकों के लिए बहुत मायने रखती है। हाल ही में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत हुआ है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजारों के लिए एक अहम संकेत हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका कारण कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और डॉलर की कमजोरी ने इसे संभव बनाया। इसके अलावा, निवेशकों की भावना, घरेलू आर्थिक स्थिति और वैश्विक बाजारों का असर भी इस पर पड़ता है। इस रिपोर्ट में हम देखेंगे कि कैसे ये सारी घटनाएँ रुपया और डॉलर के विनिमय दर को प्रभावित करती हैं और इसके क्या संभावित परिणाम हो सकते हैं। तो चलिए इस पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं इस रिपोर्ट के माध्यम से।
रुपये में 14 पैसे की मजबूती
साथियों, आज (शुक्रवार) जब बाजार खुले, तो भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 14 पैसे मजबूत होकर 86.50 प्रति डॉलर पर आ गया। भारतीय मुद्रा की दृष्टि से इसे देखा जाए तो यह एक शुभ संकेत हो सकता है क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपया को एक तगड़ी बढ़त मिल रही है। हालांकि, इसके पीछे कुछ कारण भी हैं, जिनका विश्लेषण करना जरूरी है। सबसे पहले, भारतीय बाजारों में कमजोर रुख के बावजूद, विदेशी मुद्रा में थोड़ा सुधार हुआ है। विदेशी निवेशकों द्वारा पूंजी निकासी के चलते, रुपया थोड़े नकारात्मक रुख के साथ भी कारोबार कर सकता था, लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने इस असर को कम कर दिया। इसके अलावा यह बात ध्यान में रखने योग्य है कि जब रुपया मजबूत होता है, तो इसका असर भारत के व्यापार घाटे, आयात-निर्यात और विदेशी मुद्रा भंडार पर भी पड़ता है। एक मजबूत रुपया आयातित वस्तुओं की कीमतों को कम कर सकता है, जिससे मुद्रास्फीति में राहत मिलती है। इसके अलावा, तेल जैसे महत्वपूर्ण वस्त्रों के आयात की लागत में कमी आती है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
डॉलर सूचकांक और रुपया
दोस्तों, जैसा कि आपको पहले ही बताया गया है, की डॉलर के मुकाबले रुपया की बढ़त के बाद, डॉलर सूचकांक भी प्रभावित हुआ। डॉलर सूचकांक जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाता है, में 0.04 प्रतिशत की बढ़त देखी गई। हालांकि, यह बढ़त छोटी थी, फिर भी इसके प्रभाव को नकारा नहीं किया जा सकता। जब डॉलर सूचकांक बढ़ता है, तो इसका सीधा असर रुपये के मुकाबले डॉलर के विनिमय दर पर पड़ता है। साथ ही, इस दौरान ब्रेंट क्रूड की कीमतों में भी गिरावट देखी गई, जो रुपया की मजबूती में एक अहम भूमिका निभा रही है। तेल की कीमतों में गिरावट से भारतीय सरकार को आयात लागत पर नियंत्रण पाने में मदद मिलती है, जिससे रुपया की स्थिति में सुधार हो सकता है। यदि यह ट्रेंड जारी रहता है, तो अगले कुछ हफ्तों में रुपया और मजबूत हो सकता है।
रुपया की तुलना पिछले 10 दिनों से
साथियों, यदि हम पिछले 10 दिनों की बात करें, तो रुपया ने डॉलर के मुकाबले अच्छे खासे सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया है। 10 फरवरी को जब रुपया 87.94 के रिकॉर्ड लो लेवल पर था, तब से अब तक रुपए में करीब 1.54% की बढ़त देखने को मिली है। यह भारतीय बाजारों के लिए एक आशाजनक संकेत है, क्योंकि यह डॉलर के मुकाबले रुपया की मजबूती को दर्शाता है। जानकारों का मानना है कि डॉलर के मुकाबले रुपया और भी तेजी दिखा सकता है, खासकर तब जब कच्चे तेल की कीमतों में और गिरावट होती है। भारत में विदेशी पूंजी का असर भी इस पर पड़ेगा, और यदि विदेशी निवेशकों का रुख सकारात्मक रहता है, तो रुपया की स्थिति और मजबूत हो सकती है।
डॉलर इंडेक्स में गिरावट
दोस्तों, पिछले कुछ दिनों में डॉलर इंडेक्स में गिरावट देखने को मिली है। आंकड़ों के अनुसार, डॉलर इंडेक्स 0.21% की गिरावट के साथ 106.95 पर कारोबार कर रहा था। पिछले पांच कारोबारी सत्रों में डॉलर की कीमत में 0.31% की गिरावट आई है। यह स्थिति भारतीय रुपए के लिए एक अच्छे अवसर के रूप में सामने आई है, क्योंकि डॉलर के कमजोर होने से रुपये की स्थिति मजबूत हो जाती है। वैश्विक स्तर पर डॉलर के कमजोर होने का असर भारतीय करेंसी पर भी पड़ता है, क्योंकि भारतीय मुद्रा के मुकाबले डॉलर की वैल्यू कम होती है। यह स्थिति विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक हो सकती है, जिससे भारतीय बाजारों में निवेश बढ़ सकता है।
वैश्विक ब्रेंट क्रूड की कीमतें
साथियों, इस समय वैश्विक ब्रेंट क्रूड की कीमतों में हल्की सी वृद्धि देखने को मिली है, जो 0.04% बढ़कर 76.07 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच गई। हालांकि, यह वृद्धि मामूली है, लेकिन ब्रेंट क्रूड की कीमतें रुपया और डॉलर के विनिमय दर पर महत्वपूर्ण असर डालती हैं। अगर कच्चे तेल की कीमतों में और गिरावट आती है, तो इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा हो सकता है और रुपया मजबूती की ओर बढ़ सकता है। लेकिन यदि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होती है, तो इसका रुपया पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है।
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट
साथियों, हालांकि डॉलर के मुकाबले आज रुपया 14 पैसे मजबूत हुआ है, लेकिन आज भारतीय शेयर बाजार में भी गिरावट देखने को मिली है। बृहस्पतिवार को बीएसई सेंसेक्स 203.22 अंक गिरकर 75,735.96 अंक पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी 26.15 अंक टूटकर 22,906.75 अंक पर आ गया। विशेषज्ञों के अनुसार इसके पीछे का कारण विदेशी निवेशकों की बिकवाली है, जिन्होंने 3,311.55 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। आपको बता दें कि जब विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसे निकालते हैं, तो इसका असर भारतीय मुद्रा पर भी पड़ता है, जिससे रुपया कमजोर हो सकता है। लेकिन कुल मिलाकर, रुपया और डॉलर के विनिमय दर में इस समय कुछ अच्छे बदलाव देखने को मिल रहे हैं। यह बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत हो सकते हैं।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।