कौन सी मिट्टी के गेहूं को कब होती है पानी की जरूरत | सिंचाई करने का सही समय जाने
किसान साथियों अनुकूल मौसम ना होने के बावजूद किसानों जैसे तैसे करके गेहूं की बुवाई तो पूरी कर ली है। अब किसान अपनी गेहूं की फ़सल के पोषण पर पूरा ध्यान देंगे। नवंबर माह में हुई बुवाई के बाद अब खेतों में गेहूं के नन्हे पौधे दिखाई देने लगे हैं। किसान मथुरा प्रसाद अहिरवार बताते हैं कि गेहूं की बुवाई के 21 दिन बाद पहली सिंचाई करना बेहद जरूरी होता है। उन्होंने अपनी फसल में आज 22वें दिन पानी देना शुरू किया है। उनका मानना है कि समय पर और सही मात्रा में पानी देने से पौधे अच्छी तरह से विकसित होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पहली सिंचाई फसल के जीवन चक्र में सबसे महत्वपूर्ण चरण है क्योंकि यह पौधों की जड़ों को मजबूत बनाती है।
फसल में पहली सिंचाई का महत्व कितना है
किसानों के अनुभव के अनुसार, गेहूं की फसल को पहली सिंचाई के बाद ही अपनी वास्तविक वृद्धि शुरू होती है। अधिकांश किसान बुवाई के 21वें दिन अपनी फसल में पानी देना शुरू कर देते हैं। इससे पौधों को शुरुआती विकास के लिए आवश्यक नमी मिलती है, जो आगे फसल की पैदावार को बढ़ाने में मदद करती है। पहली सिंचाई का सही समय चुनने से फसल की जड़ें तेजी से गहरी होती हैं, जिससे वे मिट्टी से अधिक पोषक तत्व और पानी ग्रहण कर पाती हैं।
सिंचाई का सही अंतराल क्या है
फसल की सिंचाई का सही समय निर्धारित करना बहुत जरूरी है। किसानों के अनुसार, पहली सिंचाई के बाद:
1. दूसरी सिंचाई लगभग 25 दिनों के अंतराल पर की जानी चाहिए।
2. तीसरी सिंचाई दूसरी सिंचाई के 30 दिन बाद होती है।
इस प्रकार, पहली सिंचाई से लेकर तीसरी सिंचाई तक कुल 55 दिनों का अंतराल होता है। यह चक्र फसल की बेहतर वृद्धि और उपज सुनिश्चित करता है। इसके अलावा, यह अंतराल इस बात पर भी निर्भर करता है कि मौसम कैसा है और मिट्टी कितनी नमी बनाए रख सकती है। अगर इन अंतरालों का पालन किया जाए तो फसल को न केवल बेहतर उत्पादन मिलेगा, बल्कि पानी की भी बचत होगी।
मिट्टी के अनुसार होती है सिंचाई
गेहूं की फसल में पानी की जरूरत मिट्टी की बनावट पर निर्भर करती है।
1. दोमट और बलुई मिट्टी: इन मिट्टियों में पानी जल्दी सोख लिया जाता है। इसलिए ऐसी मिट्टी में तीन से अधिक बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। ऐसी मिट्टी में नमी जल्दी समाप्त हो जाती है, जिससे पौधों को समय-समय पर पानी देना जरूरी हो जाता है।
2. काली मिट्टी: काली मिट्टी पानी को अधिक समय तक रोकने में सक्षम होती है। ऐसे में तीन बार सिंचाई पर्याप्त होती है। काली मिट्टी में पानी लंबे समय तक बना रहता है, जिससे पौधों को लगातार नमी मिलती रहती है।
बारिश के दौरान मिट्टी की नमी को देखकर सिंचाई का निर्णय लिया जाता है। हालांकि, अधिकांश किसान यह सुनिश्चित करते हैं कि उनकी फसल में कम से कम तीन बार पानी जरूर दिया जाए।
सिंचाई को लेकर किसानो का क्या कहना हैं?
छतरपुर के किसानों का कहना है कि समय पर सिंचाई करना फसल की गुणवत्ता और उत्पादन के लिए बेहद जरूरी है। मथुरा प्रसाद अहिरवार जैसे अनुभवी किसान बताते हैं कि सिंचाई का सही समय और विधि अपनाने से फसल बेहतर परिणाम देती है। उनके अनुसार, किसानों को फसल के विकास चरणों और मौसम की स्थिति के अनुसार सिंचाई का समय निर्धारित करना चाहिए। समय पर और सही तरीके से सिंचाई करने के कई लाभ हैं। यह न केवल फसल को सूखने से बचाती है, बल्कि उसे जरूरी पोषक तत्व भी प्रदान करती है। सही सिंचाई से पौधे हरे-भरे और मजबूत होते हैं, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
नोट:- इस रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।