गेहूं में कौन सा उर्वरक कितना देना है, इस रिपोर्ट में जानें
Feb 17, 2025, 11:15 IST
गेहूं में कौन सा उर्वरक कितना देना है, इस रिपोर्ट में जानें
किसान साथियों, हमारे खेतों में फसलों की अच्छी वृद्धि और उच्च उत्पादन के लिए पोषक तत्वों का महत्व बहुत अधिक है। सही समय पर और सही मात्रा में इन पोषक तत्वों का छिड़काव फसल के स्वास्थ्य और उत्पादन को बढ़ा सकता है। कई बार किसान भाई पोषक तत्वों के स्प्रे के दौरान भ्रमित हो जाते हैं कि कौन सा तत्व कितनी मात्रा में डालना चाहिए, जिससे उनका फसल पर सही असर हो। इसी कंफ्यूजन को दूर करने के लिए आज हम आपको बताएंगे कि किस प्रकार पोषक तत्वों का सही डोज़ और स्प्रे करना चाहिए ताकि फसल को सर्वोत्तम लाभ मिल सके। दोस्तों, हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि पोषक तत्वों का छिड़काव तभी करना चाहिए जब फसल में उस तत्व की कमी महसूस हो रही हो। यदि तत्व की कमी नहीं है तो फसल में इसका छिड़काव करने से कोई विशेष लाभ नहीं मिलता और कुछ मामलों में यह फसल को नुकसान भी कर सकता है। इसके अलावा, इस रिपोर्ट में हम यह भी समझेंगे कि फसल की अवस्था, फसल का प्रकार, क्रॉप हेल्थ, और किसी पोषक तत्व का प्रकार इन सभी कारकों का पोषक तत्वों के छिड़काव पर क्या असर पड़ता है। तो चलिए इन सब बातों को विस्तार से जानने के लिए शुरू करते हैं यह रिपोर्ट।
फसल की अवस्था (Crop Stage)
दोस्तों, फसल की अवस्था, यानी फसल के बढ़ने के चरण, पोषक तत्वों के छिड़काव में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जैसे-जैसे फसल बढ़ती है, उसकी पोषक तत्वों की ज़रूरत भी बदलती जाती है। अगर फसल की अवस्था छोटी है, जैसे कि 20-30 दिन पुरानी है, तो पत्तियाँ नाजुक और मुलायम होती हैं। इस समय अगर हम पोषक तत्वों का उच्च कंसंट्रेशन (ज्यादा मात्रा) डालते हैं, तो पत्तियाँ जल सकती हैं, और इससे फसल को नुकसान हो सकता है। लेकिन जब फसल का आकार बढ़ने लगता है, जैसे कि 50-60 दिन के बाद, तब उसकी पत्तियाँ मजबूत और मोटी हो जाती हैं। इस समय हमें उच्च कंसंट्रेशन (ज्यादा मात्रा) का स्प्रे करना सुरक्षित होता है, क्योंकि फसल उस कंसंट्रेशन को सहन कर सकती है। इसलिए, यह बहुत ज़रूरी है कि आप अपनी फसल की अवस्था का सही तरीके से मूल्यांकन करें और उसी हिसाब से पोषक तत्वों का छिड़काव करें।
फसल का प्रकार (Crop Type)
साथियों, फसल का प्रकार भी पोषक तत्वों के छिड़काव की मात्रा को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, मक्का और गन्ना जैसी फसलें बड़ी और मोटी पत्तियाँ पैदा करती हैं। इन फसलों पर हम उच्च कंसंट्रेशन के स्प्रे कर सकते हैं, क्योंकि इनकी पत्तियाँ जलने के बजाय पोषक तत्वों को अच्छे से अवशोषित कर सकती हैं। दूसरी ओर, मसूर, चना, और मटर जैसी फसलें छोटी और मुलायम पत्तियाँ पैदा करती हैं। इन फसलों पर ज्यादा कंसंट्रेशन के स्प्रे से पत्तियाँ जल सकती हैं और फसल को नुकसान हो सकता है। इसलिए, यह बहुत ज़रूरी है कि हम फसल की पत्तियों के आकार और उसकी प्रकृति के अनुसार पोषक तत्वों का छिड़काव करें। छोटे और मुलायम पत्तियों वाली फसलों में हमेशा कम कंसंट्रेशन का उपयोग करें।
फसल का स्वास्थ्य (Health of the Crop)
दोस्तों, फसल की सेहत का भी पोषक तत्वों के छिड़काव पर गहरा असर पड़ता है। अगर फसल कमजोर है, जैसे कि उसकी जड़ें ठीक से कार्य नहीं कर रही हैं या उसमें किसी प्रकार का कीट या बीमारी लग गई है, तो ऐसी स्थिति में पोषक तत्वों का छिड़काव बहुत सावधानी से किया जाना चाहिए। अगर फसल में स्ट्रेस है, जैसे कि ज्यादा गर्मी या सूखा है, तो पोषक तत्वों के छिड़काव में बहुत सतर्कता बरतें, क्योंकि कमजोर फसल पर ज्यादा कंसंट्रेशन जलने का कारण बन सकता है। अगर फसल स्वस्थ है, यानी उसे पर्याप्त पानी मिल रहा है और उसमें कोई बीमारियां या कीट नहीं हैं, तो उस स्थिति में पोषक तत्वों का छिड़काव अधिक प्रभावी रहेगा और फसल को अच्छे परिणाम मिलेंगे।
पोषक तत्वों के प्रकार (Type of Nutrients)
साथियों, विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता फसल को अलग-अलग होती है, और इनका कंसंट्रेशन भी भिन्न होता है। इसलिए पोषक तत्वों को हम मुख्यतः दो श्रेणियों में बांट सकते हैं:
मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (Macronutrients):
यह पोषक तत्व फसल को बड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है। प्रमुख मैक्रोन्यूट्रिएंट्स निम्नलिखित हैं:
1. नाइट्रोजन (Nitrogen): यह पोषक तत्व फसल की हरी पत्तियाँ और मजबूत विकास के लिए आवश्यक होता है। इसका स्प्रे के रूप में छिड़काव करते समय 20 ग्राम प्रति लीटर से ज्यादा नहीं करना चाहिए, विशेषकर अगर फसल अच्छी अवस्था में हो।
2. फास्फोरस (Phosphorus): यह पोषक तत्व पौधों के विकास और जड़ों के मजबूत होने में मदद करता है। फास्फोरस का कंसंट्रेशन भी नाइट्रोजन के समान होना चाहिए, यानी अधिकतम 20 ग्राम प्रति लीटर।
3. पोटैशियम (Potassium): यह पोषक तत्व फसल को सूखा सहन करने, रोगों से लड़ने और उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है। पोटैशियम का छिड़काव भी 20 ग्राम प्रति लीटर तक किया जा सकता है, जब फसल की अवस्था सही हो।
माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (Micronutrients):
यह पोषक तत्व फसल को कम मात्रा में आवश्यकता होती है, लेकिन फिर भी इनका फसल के लिए बहुत महत्व है। प्रमुख माइक्रोन्यूट्रिएंट्स निम्नलिखित हैं:
1. जिंक (Zinc): यह पोषक तत्व खासकर मिट्टी में जिंक की कमी होने पर फसल में छिड़काव किया जाता है। इसका कंसंट्रेशन 0.5% से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
2. आयरन (Iron): आयरन की कमी से फसल में पत्तियों का पीला होना आम है। इसका कंसंट्रेशन भी 0.5% से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
3. कॉपर (Copper) और मैंगनीज (Manganese): इन दोनों का भी कंसंट्रेशन 0.5% तक ही रखना चाहिए, क्योंकि इनका ज्यादा कंसंट्रेशन फसल को नुकसान पहुंचा सकता है।
4. बोरॉन (Boron): बोरॉन की फसल में बहुत कम मात्रा में आवश्यकता होती है। इसलिए इसका कंसंट्रेशन 0.1% से 0.2% तक होना चाहिए, इससे ज्यादा होने पर पत्तियाँ जल सकती हैं।
छिड़काव के दौरान ध्यान रखें
साथियों, जब हम पोषक तत्वों का छिड़काव करते हैं, तो हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि कंसंट्रेशन का स्तर सही हो। कभी भी ज्यादा कंसंट्रेशन से फसल को जलने का खतरा हो सकता है। हमेशा फसल की अवस्था और उसका स्वास्थ्य ध्यान में रखते हुए सटीक डोज़ का चयन करें। हो सकता है कि सही समय और सही मात्रा में उपयोग करने से आपके फसल के उत्पादन और गुणवत्ता में बढ़ोतरी हो। इसके अलावा, पोषक तत्वों का अधिक मात्रा में और गलत समय पर उपयोग करने से फसल में हानिकारक परिणाम पैदा हो सकते हैं।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के व्यक्तिगत अनुभवों और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
किसान साथियों, हमारे खेतों में फसलों की अच्छी वृद्धि और उच्च उत्पादन के लिए पोषक तत्वों का महत्व बहुत अधिक है। सही समय पर और सही मात्रा में इन पोषक तत्वों का छिड़काव फसल के स्वास्थ्य और उत्पादन को बढ़ा सकता है। कई बार किसान भाई पोषक तत्वों के स्प्रे के दौरान भ्रमित हो जाते हैं कि कौन सा तत्व कितनी मात्रा में डालना चाहिए, जिससे उनका फसल पर सही असर हो। इसी कंफ्यूजन को दूर करने के लिए आज हम आपको बताएंगे कि किस प्रकार पोषक तत्वों का सही डोज़ और स्प्रे करना चाहिए ताकि फसल को सर्वोत्तम लाभ मिल सके। दोस्तों, हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि पोषक तत्वों का छिड़काव तभी करना चाहिए जब फसल में उस तत्व की कमी महसूस हो रही हो। यदि तत्व की कमी नहीं है तो फसल में इसका छिड़काव करने से कोई विशेष लाभ नहीं मिलता और कुछ मामलों में यह फसल को नुकसान भी कर सकता है। इसके अलावा, इस रिपोर्ट में हम यह भी समझेंगे कि फसल की अवस्था, फसल का प्रकार, क्रॉप हेल्थ, और किसी पोषक तत्व का प्रकार इन सभी कारकों का पोषक तत्वों के छिड़काव पर क्या असर पड़ता है। तो चलिए इन सब बातों को विस्तार से जानने के लिए शुरू करते हैं यह रिपोर्ट।
फसल की अवस्था (Crop Stage)
दोस्तों, फसल की अवस्था, यानी फसल के बढ़ने के चरण, पोषक तत्वों के छिड़काव में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जैसे-जैसे फसल बढ़ती है, उसकी पोषक तत्वों की ज़रूरत भी बदलती जाती है। अगर फसल की अवस्था छोटी है, जैसे कि 20-30 दिन पुरानी है, तो पत्तियाँ नाजुक और मुलायम होती हैं। इस समय अगर हम पोषक तत्वों का उच्च कंसंट्रेशन (ज्यादा मात्रा) डालते हैं, तो पत्तियाँ जल सकती हैं, और इससे फसल को नुकसान हो सकता है। लेकिन जब फसल का आकार बढ़ने लगता है, जैसे कि 50-60 दिन के बाद, तब उसकी पत्तियाँ मजबूत और मोटी हो जाती हैं। इस समय हमें उच्च कंसंट्रेशन (ज्यादा मात्रा) का स्प्रे करना सुरक्षित होता है, क्योंकि फसल उस कंसंट्रेशन को सहन कर सकती है। इसलिए, यह बहुत ज़रूरी है कि आप अपनी फसल की अवस्था का सही तरीके से मूल्यांकन करें और उसी हिसाब से पोषक तत्वों का छिड़काव करें।
फसल का प्रकार (Crop Type)
साथियों, फसल का प्रकार भी पोषक तत्वों के छिड़काव की मात्रा को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, मक्का और गन्ना जैसी फसलें बड़ी और मोटी पत्तियाँ पैदा करती हैं। इन फसलों पर हम उच्च कंसंट्रेशन के स्प्रे कर सकते हैं, क्योंकि इनकी पत्तियाँ जलने के बजाय पोषक तत्वों को अच्छे से अवशोषित कर सकती हैं। दूसरी ओर, मसूर, चना, और मटर जैसी फसलें छोटी और मुलायम पत्तियाँ पैदा करती हैं। इन फसलों पर ज्यादा कंसंट्रेशन के स्प्रे से पत्तियाँ जल सकती हैं और फसल को नुकसान हो सकता है। इसलिए, यह बहुत ज़रूरी है कि हम फसल की पत्तियों के आकार और उसकी प्रकृति के अनुसार पोषक तत्वों का छिड़काव करें। छोटे और मुलायम पत्तियों वाली फसलों में हमेशा कम कंसंट्रेशन का उपयोग करें।
फसल का स्वास्थ्य (Health of the Crop)
दोस्तों, फसल की सेहत का भी पोषक तत्वों के छिड़काव पर गहरा असर पड़ता है। अगर फसल कमजोर है, जैसे कि उसकी जड़ें ठीक से कार्य नहीं कर रही हैं या उसमें किसी प्रकार का कीट या बीमारी लग गई है, तो ऐसी स्थिति में पोषक तत्वों का छिड़काव बहुत सावधानी से किया जाना चाहिए। अगर फसल में स्ट्रेस है, जैसे कि ज्यादा गर्मी या सूखा है, तो पोषक तत्वों के छिड़काव में बहुत सतर्कता बरतें, क्योंकि कमजोर फसल पर ज्यादा कंसंट्रेशन जलने का कारण बन सकता है। अगर फसल स्वस्थ है, यानी उसे पर्याप्त पानी मिल रहा है और उसमें कोई बीमारियां या कीट नहीं हैं, तो उस स्थिति में पोषक तत्वों का छिड़काव अधिक प्रभावी रहेगा और फसल को अच्छे परिणाम मिलेंगे।
पोषक तत्वों के प्रकार (Type of Nutrients)
साथियों, विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता फसल को अलग-अलग होती है, और इनका कंसंट्रेशन भी भिन्न होता है। इसलिए पोषक तत्वों को हम मुख्यतः दो श्रेणियों में बांट सकते हैं:
मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (Macronutrients):
यह पोषक तत्व फसल को बड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है। प्रमुख मैक्रोन्यूट्रिएंट्स निम्नलिखित हैं:
1. नाइट्रोजन (Nitrogen): यह पोषक तत्व फसल की हरी पत्तियाँ और मजबूत विकास के लिए आवश्यक होता है। इसका स्प्रे के रूप में छिड़काव करते समय 20 ग्राम प्रति लीटर से ज्यादा नहीं करना चाहिए, विशेषकर अगर फसल अच्छी अवस्था में हो।
2. फास्फोरस (Phosphorus): यह पोषक तत्व पौधों के विकास और जड़ों के मजबूत होने में मदद करता है। फास्फोरस का कंसंट्रेशन भी नाइट्रोजन के समान होना चाहिए, यानी अधिकतम 20 ग्राम प्रति लीटर।
3. पोटैशियम (Potassium): यह पोषक तत्व फसल को सूखा सहन करने, रोगों से लड़ने और उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है। पोटैशियम का छिड़काव भी 20 ग्राम प्रति लीटर तक किया जा सकता है, जब फसल की अवस्था सही हो।
माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (Micronutrients):
यह पोषक तत्व फसल को कम मात्रा में आवश्यकता होती है, लेकिन फिर भी इनका फसल के लिए बहुत महत्व है। प्रमुख माइक्रोन्यूट्रिएंट्स निम्नलिखित हैं:
1. जिंक (Zinc): यह पोषक तत्व खासकर मिट्टी में जिंक की कमी होने पर फसल में छिड़काव किया जाता है। इसका कंसंट्रेशन 0.5% से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
2. आयरन (Iron): आयरन की कमी से फसल में पत्तियों का पीला होना आम है। इसका कंसंट्रेशन भी 0.5% से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
3. कॉपर (Copper) और मैंगनीज (Manganese): इन दोनों का भी कंसंट्रेशन 0.5% तक ही रखना चाहिए, क्योंकि इनका ज्यादा कंसंट्रेशन फसल को नुकसान पहुंचा सकता है।
4. बोरॉन (Boron): बोरॉन की फसल में बहुत कम मात्रा में आवश्यकता होती है। इसलिए इसका कंसंट्रेशन 0.1% से 0.2% तक होना चाहिए, इससे ज्यादा होने पर पत्तियाँ जल सकती हैं।
छिड़काव के दौरान ध्यान रखें
साथियों, जब हम पोषक तत्वों का छिड़काव करते हैं, तो हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि कंसंट्रेशन का स्तर सही हो। कभी भी ज्यादा कंसंट्रेशन से फसल को जलने का खतरा हो सकता है। हमेशा फसल की अवस्था और उसका स्वास्थ्य ध्यान में रखते हुए सटीक डोज़ का चयन करें। हो सकता है कि सही समय और सही मात्रा में उपयोग करने से आपके फसल के उत्पादन और गुणवत्ता में बढ़ोतरी हो। इसके अलावा, पोषक तत्वों का अधिक मात्रा में और गलत समय पर उपयोग करने से फसल में हानिकारक परिणाम पैदा हो सकते हैं।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के व्यक्तिगत अनुभवों और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।