Movie prime

गेहूं की फसल में कब कब पानी देना चाहिए | जिससे उत्पादन में भी वर्द्धि हो

गेहूं की फसल में कब कब पानी देना चाहिए | जिससे उत्पादन में भी वर्द्धि हो
WhatsApp Group Join Now
WhatsApp Channel Join Now

किसान साथियो देशभर में रबी सीजन के दौरान गेहूं की बुवाई तेज़ी से हो रही है और कुछ क्षेत्रों में बीज अंकुरित भी होने लगे हैं। केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 150 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी किए जाने के बाद किसानों का उत्साह और भी बढ़ा है। वे अब अपनी फसल की देखभाल में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के पौधा संरक्षण विशेषज्ञ, डॉ. मुकुल कुमार ने बताया कि गेहूं की फसल में सिंचाई का सही समय और उचित मात्रा उत्पादन बढ़ाने में बेहद अहम भूमिका निभाती है। उन्होंने बताया कि बुवाई के 20-25 दिन बाद, ताजमूल अवस्था में पहली सिंचाई करनी चाहिए। इसके बाद, 40-50 दिन बाद जब कल्ले निकलने की अवस्था हो, तब दूसरी सिंचाई की जाती है। तीसरी सिंचाई 60-65 दिन बाद गांठ बनने के समय और चौथी सिंचाई 80-85 दिन बाद फूल आने के समय करनी चाहिए।

गेहूं की फसल में कब कब पानी देना चाइये
डॉ. मुकुल ने किसानों को गेहूं की सिंचाई के बारे में महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। उन्होंने बताया कि गेहूं की पांचवीं सिंचाई बाली में दाने बनने के समय (लगभग 100-105 दिन बाद) और छठी सिंचाई दाना भरने के समय (लगभग 115-120 दिन बाद) करनी चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कुछ क्षेत्रों और गेहूं की कुछ किस्मों के लिए तीन सिंचाईयां पर्याप्त होती हैं। ऐसे किसानों को पहली सिंचाई ताजमूल अवस्था में, दूसरी 80 दिन बाद बाली निकलने से पहले और तीसरी सिंचाई 115 दिन बाद दाना मजबूत होने के दौरान करनी चाहिए। उन्होंने किसानों को खेत में पानी की मात्रा का ध्यान रखने के लिए भी कहा। अधिक पानी से पौधे की जड़ें डूब सकती हैं और उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

गेहूं की खेती में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए
डॉ. मुकुल ने गेहूं की खेती के लिए मौसम को अनुकूल बताया है। अच्छी बारिश और ठंड के मौसम से गेहूं की फसल को काफी फायदा होगा। दिसंबर के मध्य से बढ़ने वाले कोहरे और शीतलहर भी फसल के लिए अनुकूल माहौल बनाएंगे। हालांकि, डॉ. मुकुल ने किसानों को सलाह दी है कि दिसंबर और जनवरी में सिंचाई करते समय सावधानी बरतें। उन्होंने कहा कि अगर किसान वैज्ञानिक तरीकों से खेती करते हैं, तो वे न केवल अधिक उत्पादन ले सकते हैं, बल्कि फसल की गुणवत्ता में भी सुधार कर सकते हैं।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट

👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव

👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें

About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।