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झंडा पत्ता अवस्था पर गेहूं की देखभाल, होगी रिकॉर्ड तोड़ पैदावा

झंडा पत्ता अवस्था पर गेहूं की देखभाल, होगी रिकॉर्ड तोड़ पैदावार
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झंडा पत्ता अवस्था पर गेहूं की देखभाल, होगी रिकॉर्ड तोड़ पैदावार

किसान भाइयों, गेहूं एक ऐसी फसल है जो दुनिया भर में प्रमुख खाद्य फसलों में गिनी जाती है। यह न केवल किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक स्रोत है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। गेहूं की खेती, विशेष रूप से भारत में, एक परंपरागत और महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है। यह रबी सीजन की मुख्य फसल है, जिसे अक्टूबर से लेकर मार्च तक उगाया जाता है। इस फसल की सफलता का मुख्य आधार सही समय पर की जाने वाली देखभाल और सही पोषक तत्वों का सही मात्रा में उपयोग है। गेहूं की फसल की पैदावार और गुणवत्ता कई कारकों पर निर्भर करती है, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है पोषक तत्वों का सही प्रबंधन। जैसे-जैसे गेहूं का पौधा बढ़ता है, उसकी पोषण संबंधी आवश्यकताएँ बदलती रहती हैं, और यदि इन आवश्यकताओं का समय पर और सही तरीके से ध्यान रखा जाए, तो पैदावार में जबरदस्त बढ़ोतरी हो सकती है। गेहूं की पैदावार में वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्वों का सही उपयोग न केवल पौधों के स्वास्थ्य को बनाए रखता है, बल्कि यह फसल की गुणवत्ता को भी बढ़ाता है। इन पोषक तत्वों का सही तरीके से प्रयोग करने से गेहूं के पौधे मजबूत होते हैं, बाली का आकार बढ़ता है, और दानों में बेहतर दूध भरता है, जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है। इस रिपोर्ट में हम गेहूं की फसल के प्रत्येक विकास चरण के दौरान पोषक तत्वों की भूमिका पर चर्चा करेंगे और बताएंगे कि कैसे किसान इन तत्वों का सही समय पर प्रयोग कर सकते हैं ताकि उनकी गेहूं की फसल ज्यादा उपजाऊ और स्वस्थ हो। तो चलिए इन सब पर विस्तार से चर्चा करने के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।

गेहूं के पौधे को पोषक तत्वों की जरूरत

किसान साथियों, गेहूं के पौधे की वृद्धि कुछ प्रमुख चरणों से होकर गुजरती है। हर चरण में पौधे को अलग-अलग पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। पौधे की स्वस्थ वृद्धि और बेहतर पैदावार के लिए इन तत्वों का सही समय पर और सही मात्रा में इस्तेमाल आवश्यक है। जैसे-जैसे पौधा बढ़ता है, उसकी पोषक तत्वों की आवश्यकताएँ भी बदलती जाती हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रत्येक विकास चरण में पौधों को सही पोषण मिले ताकि वह हर चरण में उचित तरीके से विकसित हो सके। जब पौधा झंडा पत्ता और बाली की तरफ बढ़ता है, तो उसे फास्फोरस और पोटाश की आवश्यकता बढ़ जाती है। इन दोनों पोषक तत्वों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि ये पौधों के विकास को प्रोत्साहित करते हैं और दानों की गुणवत्ता को बेहतर बनाते हैं। इसके अलावा, नाइट्रोजन भी इस अवस्था के दौरान आवश्यक होता है, खासकर जब पौधा हरे-भरे पत्तों के माध्यम से भोजन बनाने की प्रक्रिया कर रहा होता है।

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झंडा पत्ता और उसकी देखभाल

किसान साथियों, झंडा पत्ता गेहूं के पौधे का एक अत्यधिक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह पत्ता न केवल पौधे की वृद्धि के लिए जिम्मेदार है, बल्कि दानों की गुणवत्ता और पैदावार को भी प्रभावित करता है। झंडा पत्ता की स्थिति का प्रभाव सीधे दानों में दूध भरने और दानों के आकार पर पड़ता है। इस समय पौधे के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि झंडा पत्ता स्वस्थ और हरा-भरा रहे, क्योंकि यही पत्ता फोटोसिंथेसिस के लिए आवश्यक ऊर्जा का निर्माण करता है। इस चरण में, यदि आप पोषक तत्वों का सही तरीके से इस्तेमाल करते हैं, तो पौधे की वृद्धि के साथ-साथ दानों में भी सुधार होता है। इस समय एनपीके (NPK) का स्प्रे करने से पौधों की पत्तियाँ हरी-भरी बनी रहती हैं और दाने भी मोटे होते हैं। इसके अलावा, फॉस्फोरस और पोटाश की उचित मात्रा से पौधों का विकास तेज़ी से होता है और दानों का आकार भी बड़ा होता है।

पोषक तत्वों का उपयोग

किसान साथियों, 60 से 65 दिन की अवस्था में गेहूं की फसल में पोषक तत्वों का सही समय पर उपयोग अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। जैसे-जैसे पौधा बढ़ता है, उसके पोषक तत्वों की जरूरत भी बदलती रहती है। नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, सल्फर, मैगनीज, जिंक, और बोरन जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व गेहूं के पौधे के विभिन्न विकास चरणों में अलग-अलग तरीके से काम करते हैं। जब पौधा अपनी लंबाई बढ़ा रहा होता है, तो नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह पत्तों के विकास के लिए जरूरी होता है। वहीं, फॉस्फोरस और पोटाश पौधों की जड़ प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं और दानों की पैदावार को बढ़ाते हैं। सल्फर और मैगनीज का योगदान भी दानों के आकार और गुणवत्ता में अहम होता है। जब गेहूं के पौधे में झंडा पत्ता निकलता है, तो इस समय फसल की देखभाल की जिम्मेवारी अधिक बढ़ जाती है। मैग्नीशियम पौधों में क्लोरोफिल का हिस्सा होता है, जो फोटोसिंथेसिस में मदद करता है। बोरन नर और मादा के मिलन के लिए जरूरी होता है, जिससे फल-फूल का सही तरीके से विकास हो सके।

एनपीके का उपयोग

किसान साथियों, एनपीके का उपयोग गेहूं की फसल में विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। हालांकि, कभी-कभी पोषक तत्वों के अत्यधिक उपयोग से पत्तियों की नोकें लाल या ब्राउन हो सकती हैं। इसलिए, एनपीके 052 34 का उपयोग करते समय यह ध्यान रखना जरूरी है कि उचित मात्रा में पोषक तत्व का प्रयोग किया जाए। इन पोषक तत्वों का नैनो फॉर्म भी अब बाजार में उपलब्ध है, जो पौधों के लिए सुरक्षित और प्रभावी होता है। इसके अलावा, गेहूं की फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसे कि लिहोसिन का स्प्रे करके हम पौधों की वृद्धि को नियंत्रित कर सकते हैं, जिससे पौधों का आकार बड़ा नहीं होता और गिरने का खतरा कम रहता है। इसके अलावा, बोरन का प्रयोग दानों को मोटा करने और गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करता है। अगर आपने सही समय पर सही पोषक तत्वों का उपयोग किया और पौधों की देखभाल की, तो आपकी गेहूं की फसल स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता वाली होगी।

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पोषक तत्वों की सही मात्रा

किसान भाइयों, 50 से 60 दिन के बीच में अगर गेहूं में पोषक तत्वों की सही मात्रा की बात करें, तो इस समय आप एनपीके के छिड़काव के लिए 1 किलो 00:52:34 एनपीके का घोल बनाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव कर सकते हैं। इसके अलावा, अगर हम बोरो की बात करें तो 150-200 लीटर पानी में 200 ग्राम बोरॉन 20% EDTA घोल कर इस घोल को खेत में छिड़कें। लेकिन छिड़काव करते समय ध्यान रखें कि छिड़काव के समय खेत में नमी होनी आवश्यक है। यदि आप बोरॉन का इस्तेमाल एनपीके खादों के साथ करना चाहें, तो आप इसका उपयोग एनपीके के साथ भी कर सकते हैं।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।