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सरसों में बढ़िया उत्पादन के लिए कब क्या डालना है | इस रिपोर्ट में देख लो पूरी जानकारी

सरसों में बढ़िया उत्पादन के लिए कब क्या डालना है | इस रिपोर्ट में देख लो पूरी जानकारी
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किसान साथियो भारत में सरसों की फसल एक प्रमुख रबी फसल है, जो तेल उत्पादन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। सरसों की फसल को पोषण प्रदान करने और इसकी उत्पादकता बढ़ाने के लिए सही खाद प्रबंधन और उर्वरकों का उपयोग अत्यंत आवश्यक है। सही समय पर सही खादों का चयन न केवल फसल की पैदावार में वृद्धि करता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता और संरचना को भी बनाए रखता है। इस लेख में हम सरसों की खेती में खाद और उर्वरकों के सही उपयोग, उनके अनुपात और समय प्रबंधन के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

गोबर खाद: एक प्राकृतिक पोषण स्रोत
गोबर खाद को जैविक खेती का आधार माना जाता है। सरसों की फसल में गोबर खाद का उपयोग मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों को बढ़ाता है और इसकी संरचना को सुधारता है। बुवाई से पहले खेत में प्रति हेक्टेयर 8 से 10 टन गोबर खाद मिलाना चाहिए। यह खाद न केवल मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ाती है, बल्कि पौधों की जड़ों को शुरुआती पोषण प्रदान करती है, जिससे फसल की वृद्धि तेज होती है। गोबर खाद का प्रयोग जैविक खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्यावरण को भी संरक्षित करता है।

सरसो की फसल में रासायनिक खादों का क्या महत्व है
सरसों की फसल में रासायनिक खादों का उपयोग आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति के लिए किया जाता है। बुवाई के समय खेत में प्रति हेक्टेयर 2 बैग DAP (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) डालना चाहिए। यह खाद पौधों को नाइट्रोजन और फास्फोरस प्रदान करती है, जो जड़ों के विकास और पौधों की प्रारंभिक वृद्धि के लिए आवश्यक हैं। DAP का उपयोग खेत की जुताई के समय करने से यह सुनिश्चित होता है कि खाद पौधों की जड़ों तक आसानी से पहुंच सके।

अन्य उर्वरकों का कैसे करे उपयोग
सरसों की फसल में मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने और फसल की उत्पादकता बढ़ाने के लिए अन्य उर्वरकों का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। यदि मिट्टी में खड़ापन अधिक हो, तो प्रति हेक्टेयर 2 बैग जिप्सम का उपयोग करें। यह मिट्टी की संरचना को सुधारने और कैल्शियम तथा सल्फर की आपूर्ति के लिए आवश्यक है। इसके अलावा, मिट्टी में सल्फर की कमी को पूरा करने के लिए 10-12 किलोग्राम दानेदार सल्फर का उपयोग किया जा सकता है। यदि मिट्टी में पोटाश की कमी हो, तो प्रति हेक्टेयर 1 बैग पोटाश डालें। ये उर्वरक फसल की गुणवत्ता बढ़ाने और उत्पादन में सुधार करने में मददगार साबित होते हैं।

सरसों की फसल में कब सिचाई करनी चाहिए
सरसों की फसल में पानी प्रबंधन का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि अत्यधिक या कम पानी फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। बुवाई के एक महीने बाद पहला पानी दें, ताकि पौधे मजबूत हो सकें। ध्यान दें कि शुरुआती 20 दिनों तक पानी देने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे पौधों की जड़ों को नुकसान हो सकता है। इसके बाद आवश्यकतानुसार पानी दें, लेकिन जलभराव से बचाव करें, क्योंकि यह पौधों की वृद्धि को प्रभावित कर सकता है।

यूरिया का संतुलित मात्रा में उपयोग
यूरिया नाइट्रोजन का एक प्रमुख स्रोत है, जो सरसों की फसल की हरियाली और उत्पादकता बढ़ाने में सहायक होता है। पहली बार यूरिया का उपयोग बुवाई के एक महीने बाद करें और दूसरी बार दो महीने बाद। प्रत्येक बार प्रति हेक्टेयर 45 किलो (1 बैग) यूरिया का प्रयोग करें। यूरिया का सही समय पर उपयोग फसल की वृद्धि और उत्पादन को बढ़ावा देता है।

सही मात्रा में खाद प्रबंधन का क्या महत्व है
सरसों की फसल में खादों का संतुलित उपयोग अत्यंत आवश्यक है। नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और सल्फर जैसे पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखना फसल की बेहतर पैदावार सुनिश्चित करता है। इसके लिए क्षेत्र की मिट्टी की जांच करानी चाहिए और उसके अनुसार खाद और उर्वरकों की मात्रा समायोजित करनी चाहिए। संतुलित खाद प्रबंधन से न केवल फसल की उत्पादकता में वृद्धि होती है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी लंबे समय तक बनी रहती है।

निष्कर्ष
सरसों की फसल में खाद और उर्वरकों का सही उपयोग और प्रबंधन करना एक सफल खेती के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। गोबर खाद जैसे जैविक खाद का उपयोग फसल के लिए स्थायी पोषण का स्रोत बनता है, जबकि रासायनिक उर्वरक फसल की जरूरतों को तेजी से पूरा करते हैं। पानी और खाद प्रबंधन का सही संतुलन बनाए रखने से न केवल फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि किसान की आय में भी वृद्धि होती है। इस प्रकार, सही खाद प्रबंधन और उर्वरकों का उपयोग सरसों की फसल में उच्च उत्पादकता और लाभ सुनिश्चित करने का एक प्रभावी उपाय है।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।