पहली सिचाई के समय क्या क्या खाद डालना चाहिए | 90 % किसानों को नहीं पता
किसान साथियो गेहूं हो या सरसों दोनों ही रबी की फ़सलों में पहली सिंचाई का बड़ा ही महत्व है। इस समय की गई जरा सी लापरवाही आपके उत्पादन को अत्यधिक गिरा सकती है। जबकि सही समय पर पहली सिंचाई और संतुलित खाद की मात्रा आपके उत्पादन में चार चांद लगा सकते हैं। आज की रिपोर्ट में हम सिंचाई के सही समय और सही प्रक्रिया को जानेंगे। साथ ही अगर सरसों की बुवाई के समय किसी कारण से खाद में कमी रह गई हो तो उसकी पूर्ति करने के तरीके भी जानेंगे।
बुवाई का सही समय और उपयुक्त परिस्थितियां
कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक के अनुसार सरसों की बुवाई का समय क्षेत्रीय परिस्थितियों पर निर्भर करता है। आमतौर पर सरसों की बुवाई सितंबर के अंत से नवंबर के मध्य के बीच की जाती है। विशेष रूप से उत्तर भारत के सुल्तानपुर और अवध क्षेत्र में किसान अक्टूबर और नवंबर के महीने में इसे बोना पसंद करते हैं।
सरसों के पौधों को ठंड के मौसम में बेहतर विकास मिलता है। इसलिए बुवाई इस तरह करनी चाहिए कि पौधे कड़ाके की ठंड से पहले अपनी वृद्धि शुरू कर सकें। सरसों की बुवाई के लिए 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान को आदर्श माना जाता है। इसके अलावा, बलुई दोमट मिट्टी इस फसल के लिए सबसे उपयुक्त होती है। सरसों की बुवाई के लिए मिट्टी का भुरभुरा होना बहुत जरूरी है। खरीफ फसल की कटाई के बाद गहरी जुताई करें। इसके लिए कल्टीवेटर और उसके बाद देसी हल का इस्तेमाल फायदेमंद होता है। जुताई के बाद मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए पाटा लगाना जरूरी है। यह प्रक्रिया मिट्टी को समतल बनाती है और बीजों के जमाव को सुनिश्चित करती है। सरसों की फसल के लिए खेत की उर्वरता भी अहम है। बुवाई से पहले खेत में सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मीकल्चर (Vermiculture) मिलाने से मिट्टी को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं।
सिंचाई का सही समय
किसान साथियो सरसों में पहली सिंचाई के सही समय को लेकर अक्सर असमंजस बना रहता है। इस असमंजस को दूर करना बहुत जरूरी है क्योंकि पहली सिंचाई सरसों के उत्पादन पर बहुत बड़ा प्रभाव डालती है। साथियो अगर समय के हिसाब से देखें तो सरसों की बुवाई के 25 से 35 दिन के बीच सरसों में पहली सिंचाई कर देनी चाहिए। इससे पहले सिंचाई करने से पौधों में नुकसान हो सकता है। दूसरी सिंचाई तब करें, जब पौधों में दाना बनने की अवस्था हो। अगर इस समय सिंचाई में देरी की गई या आवश्यकता से अधिक पानी दिया गया, तो इससे फसल में बियास (Bolting) की समस्या हो सकती है, जिससे उत्पादन पर सीधा असर आ सकती है।
लेकिन यह कंडीशन मिट्टी के हिसाब से बदल सकती है। साथियो अगर आपके खेती की मिट्टी रेतीली है तो इसमे नमी को स्टोर करने की क्षमता कम होती है इसलिए आपको सिंचाई थोड़ी पहले कर देनी चाहिए। अगर इस अवधि के दौरान आपको ऐसा लगता है कि आपकी सरसों के पौधे मुरझा रहे हैं या फिर कुलबुला गए हैं पौधों के पत्ते पीले पड़ रहे हैं या पौधों के तने पतले हो रहे हैं तो आपको 25-35 दिन का इंतजार नहीं करना और तुरंत सिंचाई कर देनी चाहिए।
सरसों की फसल के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश जैसे उर्वरकों की जरूरत होती है। मिट्टी की जांच के बाद ही उर्वरकों की मात्रा तय करें। बुवाई से पहले बीजों को फफूंदनाशक से उपचारित करें। यह बीज को मिट्टी में मौजूद रोगों से बचाता है। फसल के शुरुआती 30-40 दिनों तक खेत को खरपतवार मुक्त रखें। इससे पौधों को उचित पोषण और स्थान मिलता है।
गहरी सरसों से बचें
साथियो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरसों के दो पौधों के बीच की दूरी कम से कम एक फुट रखी जानी चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि हम जानबूझकर सरसों की बुवाई गहरी कर देते हैं और पौधों के बीच में गैप काम रह जाता है। ऐसी परिस्थिति में गहरे पौधों को उखाड़ देना चाहिए। हम मानते हैं कि यह किसान साथियो के लिए एक मुश्किल काम है लेकिन अधिक उत्पादन लेने के लिए यह जरूरी है। सरसों गहरी लगने के कारण इसमें रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है। सरसों का फूटाव भी ठीक से नहीं होता है। जिससे उत्पादन घट सकता है।
पहली सिंचाई पर सरसों में कौन सी खाद डाले?
तो दोस्तो पहली सिंचाई के समय डाले जाने वाले खाद का भी उतना ही महत्व है जितना कि पहली सिंचाई का। सबसे पहले आपने यह देखना है कि बुवाई के समय आपने क्या क्या ड़ाला था। अगर किसी कारण से आप ने DAP या फिर सिंगल सुपर फास्फेट जैसी खाद नहीं डाला या फिर कम मात्रा में ड़ाला तो आप पहली सिंचाई के समय DAP, सिंगल सुपर फास्फेट, सल्फर और पोटाश इस समय दे सकते हैं। साथियो पहली सिंचाई के बाद सरसों की जड़ में फूट पड़ती है और यह सिंगल से कई जड़ों में फैलती है। तो दोस्तो DAP, सिंगल सुपर फास्फेट, सल्फर और पोटाश इन जड़ों के फूटाव में मदद करते हैं। साथियो अगर आपने बुवाई के समय DAP, सिंगल सुपर फास्फेट, सल्फर और पोटाश जैसे उर्वरक डाल दिए थे तो आपको इस समय आप केवल यूरिया और जिंक को डालना चाहिए। 50 किलो यूरिया और 21% वाला जिंक 10-15 किलो प्रति एकड़ काफी रहता है। जिंक को आप 20 किलो यूरिया में मिक्स करके सिंचाई से पहले डाल दें। बाकी 30 किलो यूरिया आप सिंचाई के बाद छिड़क दें
दोस्तों साथ ही सिंचाई के 4-5 दिन बाद आप अपनी सरसों में 19-19-19 या फिर 20-20-20 की स्प्रे कर दें। आप चाहे तो इसमें लिक्विड माइक्रो न्यूट्रिएंट मिला सकते हैं। NPK एक ताक़तवर स्प्रे है। यह सरसों के चौड़े पत्तों पर आसानी से बैठ जाएगा और पौधा धीरे-धीरे इसे ले लेगा। इस स्प्रे के बहुत ही शानदार परिणाम देखने को मिलेंगे।
कीट प्रबंधन
सरसों के खेत में अक्सर कीटों का प्रकोप होता है, जैसे दीमक और चितकबरा कीट। इनकी रोकथाम के लिए क्यूनालफॉस (Quinalphos) 1.5% चूर्ण का उपयोग करें। इसे अंतिम जुताई के समय 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिलाना चाहिए। यह उपाय खेत को कीट मुक्त रखता है और फसल की शुरुआती वृद्धि में मदद करता है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।