गेहूं की MSP और बोनस निर्धारण का क्या है सरकारी फार्मूला | जाने आपको फायदा होगा या नुकसान
किसान भाइयों, मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने हाल ही में किसानों को मिलने वाले बोनस को लेकर एक नया फार्मूला पेश किया है। मध्य प्रदेश सरकार के इस फैसले के बाद किसानों के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। क्योंकि सरकार का यह कदम उनके चुनावी संकल्प पत्र के अनुरूप है, लेकिन यह फैसला पहले से चल रहे भुगतान तरीकों से कुछ अलग है। इससे पहले, केंद्र सरकार ने धान और गेहूं पर MSP (Minimum Support Price) के आधार पर बोनस देने का निर्णय लिया था, लेकिन अब मध्य प्रदेश सरकार ने इसे बोवनी के रकबे के हिसाब से करने का फैसला लिया है। तो आइए जानते हैं कि यह नया फार्मूला किसानों के लिए फायदेमंद होगा या नुकसानदेह, इस बारे में विस्तार से समझने के लिए चलिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।
नया बोनस फार्मूला
किसान साथियों, मध्य प्रदेश सरकार ने धान और गेहूं किसानों को मिलने वाले बोनस की प्रक्रिया में बदलाव किया है। पहले किसानों को उत्पादन के हिसाब से प्रति क्विंटल बोनस मिलता था, लेकिन अब सरकार ने बोनस की गणना बोवनी के रकबे यानी खेत के आकार के आधार पर करने का निर्णय लिया है। इससे पहले, धान के किसानों को प्रति क्विंटल बोनस मिल रहा था, लेकिन अब यह बोनस रकम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से दी जाएगी। इस बदलाव से किसानों को किस हद तक फायदा होगा, किसानों के बीच अब यह बड़ा सवाल बना हुआ है।
प्रति हेक्टेयर मिलेगा 2,000 बोनस
किसान साथियों, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बोनस प्रक्रिया में किए गए बदलाव के बाद अब मध्य प्रदेश में धान उत्पादक किसानों को प्रति हेक्टेयर 2,000 रुपये बोनस दिए जाएंगे। इससे पहले, यह बोनस प्रति क्विंटल के हिसाब से तय होता था, लेकिन अब सरकार का मानना है कि इससे एक समान भुगतान किया जा सकेगा और किसानों को भिन्न-भिन्न उत्पादन पर समान लाभ मिलेगा। इस नए फार्मूले का उद्देश्य किसानों के बीच समानता बनाए रखना है। अगर कोई किसान कम उत्पादन करता है, तो भी उसे बोनस मिलेगा, और अगर कोई ज्यादा उत्पादन करता है, तो भी उसे उसी के हिसाब से फायदा होगा। सरकार द्वारा यह फार्मूला किसानों के बीच निष्पक्षता लाने के लिए अपनाया गया है। इसके अलावा इस बदलाव से सरकार को एक और फायदा होगा, वह है आर्थिक बचत। यदि किसानों को प्रति क्विंटल बोनस दिया जाता, तो सरकार को ज्यादा राशि का भुगतान करना पड़ता, जबकि अब प्रति हेक्टेयर बोनस देने से सरकार की बचत हो सकती है। धान के प्रति हेक्टेयर उत्पादन की मात्रा 40 से 50 क्विंटल तक हो सकती है, और इस हिसाब से सरकार द्वारा किसानों को दिए गए बोनस पर सरकार का खर्च कम हो जाएगा। क्योंकि पहले, अगर प्रति हेक्टेयर 32,000 से 40,000 रुपये का भुगतान करना होता, तो अब केवल 2,000 रुपये दिए जाएंगे, जिससे सरकार लाखों रुपये बचा सकेगी।
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गेहूं उत्पादकों को भी मिलेगा बोनस
किसान साथियों, राज्य सरकार ने धान के साथ-साथ अब गेहूं उत्पादक किसानों के लिए भी सरकार ने एक नई योजना बनाई है। जैसा कि आप जानते हैं, अब मध्य प्रदेश में गेहूं की खरीदी की प्रक्रिया शुरू होने वाली है, और सरकार ने गेहूं के किसानों को भी धान की तर्ज पर बोनस देने का निर्णय लिया है। हालांकि, अभी यह तय नहीं किया गया है कि गेहूं उत्पादक किसानों को प्रति हेक्टेयर कितना बोनस मिलेगा, लेकिन यह संभावना जताई जा रही है कि गेहूं किसानों के लिए भी बोनस का भुगतान इसी नए फार्मूले के तहत किया जाएगा। सरकार की इस रणनीति से गेहूं उत्पादक किसानों को भी अच्छा लाभ मिलने की उम्मीद जताई जा रही है, खासकर उन किसानों को जो सीमित क्षेत्र में खेती करते हैं। इसके अलावा, यह योजना उन किसानों के लिए भी फायदेमंद हो सकती है जो ज्यादा उत्पादन नहीं कर पाते, क्योंकि वे भी बोनस के हकदार होंगे।
सरकार को होगा फायदा
किसान साथियों, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बोनस प्रक्रिया में किए गए बदलाव से मध्य प्रदेश सरकार को बड़ी बचत होने की संभावना है। क्योंकि अगर सरकार प्रति हेक्टेयर बोनस देती है, तो इसे चलाने में सरकार को बहुत कम खर्च आएगा। इस बात को आसान भाषा में समझने के लिए हम आपको बताते हैं कि जैसे, धान के उत्पादन का समर्थन मूल्य 2300 रुपये प्रति क्विंटल है, और सरकार ने 3100 रुपये के हिसाब से बोनस देने का वादा किया था। अगर इस हिसाब से भुगतान किया जाता, तो प्रति हेक्टेयर किसान को 32,000 रुपये से लेकर 40,000 रुपये तक बोनस मिल सकता था। लेकिन अब सरकार ने यह फैसला लिया है कि बोनस राशि कम रखी जाए, जिससे उसे हजारों करोड़ रुपये की बचत हो सकती है। तो अब आपको यह बात समझ में आ गई होगी कि इस तरह, सरकार ने बजट को संतुलित करने के लिए यह कदम उठाया है। हालांकि, इसका असर छोटे किसानों पर अधिक पड़ सकता है, क्योंकि उन्हें बोनस की राशि कम मिलेगी। यह कदम सरकार के वित्तीय संसाधनों को बचाने के लिए उठाया गया है, लेकिन यह किसानों के लाभ के दृष्टिकोण से मिश्रित परिणाम ला सकता है।
मिलेट्स के लिए बोनस भुगतान
किसान भाइयों, मध्य प्रदेश सरकार ने मिलेट्स (coarse grains) के उत्पादकों के लिए भी एक योजना बनाई है, जिसके तहत सरकार ने मिलेट्स उत्पादक किसानों को प्रति हेक्टेयर 3,900 रुपये बोनस देने का निर्णय लिया है। हालांकि, मिलेट्स की खरीदारी अभी तक नहीं हो पाई है, लेकिन सरकार ने बिना मिलेट्स खरीदी किए ही किसानों को बोनस देने का फैसला किया है। यह कदम सरकार की नई योजना के तहत लिया गया है, जिससे मिलेट्स उत्पादक किसानों को भी वित्तीय सहायता मिल सके।