बुवाई से पहले खेत में करे फिटकरी का प्रयोग किया | उत्पादन में लगेगें 4 चांद
किसान साथियों, कृषि जगत में खेती और उसमें होने वाली उपज शुरू से ही कृषक के लिए एक आवश्यक चिंतनीय मुद्दा रहा है। परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, किसान हर प्रकार के मौसम में फसल पैदा करता है। अगर रबी की फसलों की बात की जाए, तो इस समय किसान भाई गेहूं, सरसों और सब्जियों की खेती मुख्य रूप से करते हैं। किसान भाई अपनी फसल की पैदावार और गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए तरह-तरह के रासायनिक उत्पादों का प्रयोग करते हैं, जिनकी अधिक मात्रा मिट्टी की उर्वरता और पीएच मान के संतुलन को खराब कर देती है। फिटकरी, जिसे पोटेशियम एलुमिनियम सल्फेट के रूप में भी जाना जाता है, खेती में एक सस्ता और प्रभावी उपाय है जो न केवल मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारता है, बल्कि फसल उत्पादन को भी बढ़ाता है। किसान लंबे समय से इसे खेती में एक पूरक के रूप में उपयोग कर रहे हैं, खासकर मिट्टी के पीएच को संतुलित करने और फसलों को आवश्यक पोषक तत्व देने के लिए। फिटकरी का विधिपूर्वक प्रयोग पौधों की जड़ों के विकास और पोषक तत्वों को बढ़ाने में सहायता प्रदान करता है। आज की इस रिपोर्ट में हम खेत में फिटकरी के उपयोग और उससे होने वाले फायदे पर विस्तार से चर्चा करेंगे। हम इस बात पर भी चर्चा करेंगे कि फिटकरी के प्रयोग से किसान भाई किस प्रकार कम खर्चे में अपनी फसल के उत्पादन को अधिक से अधिक बढ़ा सकते हैं। तो आइए इन सब बातों पर विस्तार से चर्चा करने के लिए पढ़ते हैं आज की यह रिपोर्ट।
फिटकरी का कृषि में महत्व
किसान साथियों, फिटकरी प्रकृति से उपहार स्वरूप मिला एक खनिज पदार्थ है, जिसका उपयोग अधिकांशतः चोट लगने पर किया जाता है। लेकिन कई किसान भाइयों को यह पता नहीं है कि फिटकरी का उपयोग खेती में भी काफी फायदेमंद होता है। किसान इसका उपयोग मिट्टी की उर्वरता शक्ति और पीएच मान को संतुलित बनाए रखने के लिए करते हैं। फिटकरी मिट्टी में क्षारीयता को कम करके उसे अधिक उपजाऊ बनाती है, जिससे पौधे मिट्टी से आवश्यक पोषक तत्व सरलता से प्राप्त कर सकते हैं।
मिट्टी का पीएच
किसी भी फसल की अच्छी और बढ़िया पैदावार और गुणवत्ता के लिए मिट्टी का पीएच संतुलित होना बहुत ही आवश्यक है। अगर आपकी मिट्टी का पीएच संतुलित मात्रा से अधिक है, तो इसका असर आपके पौधों की बढ़वार और उत्पादन पर पड़ता है। मिट्टी का पीएच वैज्ञानिक दृष्टिकोण से 6 से 7 के बीच में होना चाहिए, जिससे पौधे मिट्टी से आवश्यक पोषक तत्व आसानी से प्राप्त कर सकें। जब मिट्टी अधिक क्षारीय होती है, तो पौधों की जड़ों को पोषक तत्वों को मिट्टी से प्राप्त करने में अधिक मुश्किल होती है, जिससे फसलों की बढ़वार रुक जाती है। इस अवस्था में यदि आप फिटकरी का प्रयोग अपनी फसल में करते हैं, तो फिटकरी मिट्टी की क्षारीयता को कम करके उसे संतुलित कर देती है, जिसके कारण पौधे मिट्टी से आवश्यक सभी पोषक तत्वों की प्राप्ति आसानी से कर लेते हैं।
फिटकरी के लाभ
किसान भाइयों, फिटकरी आपकी फसल में एक अहम भूमिका निभा सकती है। फिटकरी का उपयोग आपकी फसल के लिए काफी लाभदायक हो सकता है। किसान भाई अपनी फसल में उत्पादन को बढ़ाने के लिए अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते हैं, जिसके कारण आपकी मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है, जिससे पौधे मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को ग्रहण नहीं कर पाते। फिटकरी के प्रयोग से मिट्टी की क्षारीयता को कम करके मिट्टी को फसल के लिए अधिक उपयोगी बनाया जा सकता है। इससे मिट्टी की संरचना में सुधार होता है और मिट्टी अधिक उपजाऊ बनती है।
यदि आपकी मिट्टी का पीएच संतुलित रहता है, तो फसलों को कम रासायनिक उत्पादों की जरूरत होती है, जिससे किसानों को लाभ होता है। यदि फसल में रासायनिक उत्पादों का कम प्रयोग होता है, तो उनकी फसल की गुणवत्ता बहुत ही शानदार रहती है, जो किसानों को बाजार में अधिक मूल्य दिलाने में मदद करती है। साथ ही किसान का रासायनिक खादों पर आने वाला खर्च भी कम हो जाता है, और कम लागत में अधिक उत्पादन की प्राप्ति होती है। आप अपने खेत में फिटकरी का उपयोग करके अपने पौधों की जड़ों का विकास सही प्रकार से कर सकते हैं, जिससे आपकी फसल की गुणवत्ता और उपज में अत्यधिक बढ़ोतरी होती है। पौधों की जड़ें मजबूत होने से पौधे मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को अधिक सरलता और पूरी मात्रा में ग्रहण कर सकते हैं। फिटकरी में प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण यह फसल को रोगों से बचाने में भी सहायक होती है। फसल की जड़ों में होने वाले रोगों पर फिटकरी अत्यंत प्रभावशाली होती है, जिससे आपकी फसल सेहतमंद रहती है और आपकी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में निरंतर वृद्धि होती रहती है।
फिटकरी का प्रयोग
खेत में फिटकरी का उपयोग करना बहुत ही सरल है। फसल की बुवाई से पहले खेत में सिंचाई के समय फिटकरी का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए आप 1 किलो फिटकरी को बारीक कूटें, 200 लीटर पानी में घोल बना लें, और इस घोल को एक एकड़ खेत में छिड़कें। इससे आपकी मिट्टी का पीएच मान संतुलित बनेगा। आप बुवाई से पहले सिंचाई के दौरान सिंचाई के पानी में भी फिटकरी का उपयोग कर सकते हैं। पानी के स्रोत में फिटकरी डालकर उसे घोल दिया जाता है और फिर इस पानी का उपयोग खेत की सिंचाई के लिए किया जाता है। किसान भाई इस बात का खास ध्यान रखें कि फिटकरी का उपयोग फसल के पत्तों पर नहीं करना चाहिए, क्योंकि फिटकरी का स्वभाव अम्लीय होता है। यदि इसका छिड़काव पत्तियों पर होता है, तो पत्तियों को नुकसान पहुँच सकता है। इसलिए इसे आप मिट्टी और पौधों की जड़ों पर ही छिड़कें ताकि यह अपना काम अच्छे प्रकार से कर सके।
सावधानियाँ
अगर आप अपने खेत में फिटकरी का उपयोग करते हैं, तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखने की भी आवश्यकता है। फिटकरी का उपयोग आप बुवाई से पहले ही करें। बीज अंकुरित होने के बाद खड़ी फसल में आप फिटकरी का उपयोग न करें, क्योंकि यदि आप खड़ी फसल में इसका छिड़काव करते हैं, तो यह पौधों की पत्तियों को हानि पहुँचा सकती है। फिटकरी की मात्रा प्रति एकड़ 1 किलो ही लें। अगर आप इसकी अधिक मात्रा लेते हैं, तो यह फसल को नुकसान पहुँचा सकती है। फिटकरी का अधिक उपयोग करने से मिट्टी में अम्लता बढ़ जाती है, इसलिए इसे सही मात्रा में और सही विधि से ही प्रयोग करें। फिटकरी का उपयोग आप सरसों, गेहूं जैसी फसलों में बुवाई से पहले सिंचाई के साथ कर सकते हैं। सब्जियों की खेती में, जैसे टमाटर, बैंगन, मिर्च आदि में, फिटकरी का उपयोग अत्यंत फायदेमंद होता है। इससे सब्जियों की जड़ें मजबूत होने के साथ-साथ उनके उत्पादन और गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी होती है, जो किसानों को मंडी में अधिक मूल्य दिलाने में मदद करती हैं।
निष्कर्ष
किसान भाइयों, फिटकरी खेती के लिए एक सरल, सस्ता और प्रभावी उपाय है, जो मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारने के साथ-साथ फसल के उत्पादन को भी बढ़ाता है। फिटकरी का सही उपयोग किसानों की रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता को भी कम करता है। इसका सही उपयोग करने से किसानों को उर्वरकों पर होने वाले खर्च में भी कमी आती है और उनकी पैदावार में अधिक वृद्धि होती है। इसलिए, फिटकरी का उपयोग कृषि में किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी साबित हो सकता है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। किसान भाई संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि वैज्ञानिकों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।