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साल 2025 में ये गेहूं की वैरायटी देंगी सबसे ज्यादा उत्पादन | जाने इस रिपोर्ट क्या है इनमे खास

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गेहूं की टॉप 5 उन्नतशील किस्में और उनकी विशेषताएं

नमस्कार किसान भाइयों, किसान साथियों, भारत में गेहूं की खेती के लिए उन्नत किस्में अपनाना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि उत्पादन और उपज में वृद्धि हो सके। इस लेख में हम गेहूं की टॉप 5 उन्नतशील किस्मों के बारे में विस्तार से बात करेंगे, जिनकी उपज, सिंचाई की आवश्यकता, मिट्टी की अनुकूलता, और बुवाई का सही समय बताया गया है। इसके साथ ही हम यह भी जानेंगे कि इन किस्मों को किन राज्यों में बुवाई के लिए उपयुक्त माना जाता है।

1. पूसा तेजस (एचआई 8759)

पूसा तेजस किस्म की उपज 30 से 32 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। इसे उगाने के लिए 4 से 5 सिंचाई की आवश्यकता होती है, लेकिन यह सिंचाई की मात्रा मिट्टी के प्रकार पर निर्भर करती है। यदि मिट्टी हल्की हो तो ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता होती है और भारी मिट्टी में 5 से 6 सिंचाई पर्याप्त होती है। काली दोमट मिट्टी इस किस्म के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। बुवाई का सही समय 10 नवंबर से 25 नवंबर तक है। यह किस्म विशेष रूप से मध्य भारत के लिए उपयुक्त है, जैसे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, पंजाब, और हरियाणा। एक एकड़ में बुवाई के लिए 50 से 55 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 80-90 सेंटीमीटर होती है, और यह ब्लैक एंड येलो रस्ट जैसी बीमारियों के प्रति सहनशील है।

2. श्री राम सुपर 303

श्री राम सुपर 303 की उपज 26 से 28 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। इसके लिए 5 से 6 सिंचाई की आवश्यकता होती है। बुवाई का सही समय मध्य नवंबर है। इस किस्म की जीवन अवधि 130 दिन है और पौधों की ऊंचाई 80 से 90 सेंटीमीटर तक होती है। यह किस्म येलो रस्ट के प्रति रेजिस्टेंस है। एक एकड़ में बुवाई के लिए 50 से 55 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, गुजरात, और राजस्थान जैसे राज्यों में यह किस्म अनुकूल है।

3. डीबीडब्ल्यू 222 (करण नरेंद्र)

डीबीडब्ल्यू 222, जिसे करण नरेंद्र भी कहा जाता है, की उपज 25 से 27 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, और उड़ीसा में उपयुक्त है। इसे हल्की और भारी मिट्टी दोनों में उगाया जा सकता है। बुवाई के लिए 50 से 55 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है। इस किस्म की जीवन अवधि 145 से 150 दिन है और पौधों की ऊंचाई 95 से 100 सेंटीमीटर होती है। यह येलो रस्ट के प्रति सहनशील है और 5 से 6 सिंचाई की आवश्यकता होती है।

4. एचआईवी 8663 (पोषण)

एचआईवी 8663, जिसे पोषण के नाम से भी जाना जाता है, की बुवाई का समय नवंबर और दिसंबर की शुरुआत है। यह काली दोमट, हल्की, और भारी भूमि में उपयुक्त है। यह किस्म मध्य भारत के लिए उपयुक्त है और 135 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसमें 5 से 6 सिंचाई की आवश्यकता होती है, जो मिट्टी के प्रकार पर निर्भर करती है। पौधों की ऊंचाई 92 से 96 सेंटीमीटर तक होती है और इसकी उपज 26 से 30 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह येलो रस्ट के प्रति सहनशील है, लेकिन कुछ स्थानों पर रस्ट की समस्या देखी गई है। एक एकड़ में 40 से 50 किलोग्राम बीज की बुवाई की जाती है।

5. एचडी 2967

एचडी 2967 किस्म का बुवाई का समय 10 नवंबर से 30 नवंबर के बीच होता है। यह काली दोमट और उपजाऊ भूमि में उपयुक्त है। एक एकड़ में बुवाई के लिए 45 से 55 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। पौधों की ऊंचाई लगभग 95 सेंटीमीटर होती है और यह किस्म फंगस के प्रति सहनशील है। इसकी जीवन अवधि 145 से 150 दिन होती है और 4 से 5 सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसकी उपज 26 से 27 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। एचडी 2967 विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, और महाराष्ट्र के लिए उपयुक्त है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।