सरसों की ये वैरायटी आपको 2025 में देंगी बम्पर उत्पादन | जाने डिटेल्स
किसान भाइयों, आज हम आपको सरसों की एक ऐसी वैरायटी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जो अपनी शुरुआती बुवाई और उच्च उत्पादन के लिए जानी जाती है। यह किस्में "पूसा सरसों 32 और सरसों RH 725" है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा विकसित किया गया है। अगर आप सरसों की खेती को सफल बनाना चाहते हैं, तो यह किस्म आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकती है। इसे सितंबर के पहले सप्ताह से लेकर 15 अक्टूबर तक बोया जा सकता है, जिससे इसे अलग-अलग जलवायु परिस्थितियों में उगाना आसान हो जाता है।
किसानों के लिए वरदान : सरसों की नई उन्नत किस्म 'पूसा सरसों 32'
देश में किसानों की आय बढ़ाने और फसल उत्पादन में वृद्धि के लिए सरकार के साथ-साथ कृषि वैज्ञानिक भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली और अधिक उत्पादन देने वाली किस्में उपलब्ध कराने के लिए, वैज्ञानिक विभिन्न फसलों की नई उन्नत किस्में विकसित कर रहे हैं। गेहूं, धान, मक्का, बाजरा, और सरसों जैसी फसलों की कई नई किस्में तैयार की गई हैं, जिनमें से एक है 'पूसा सरसों 32'। इसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली ने विकसित किया है। यह किस्म विशेष रूप से सिंचित परिस्थितियों और समय पर बुआई के लिए अनुकूल है। वर्ष 2021 में केंद्रीय किस्म विमोचन समिति ने इसे किसानों के लिए जारी किया।
पूसा सरसों 32 की विशेषताएं
'पूसा सरसों 32' को विशेष रूप से जोन-2 के लिए विकसित किया गया है, जिसमें राजस्थान का उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्र, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, और हिमाचल प्रदेश के मैदानी क्षेत्र शामिल हैं। इन क्षेत्रों में किसान इस किस्म की खेती कर अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
यह किस्म विशेष रूप से रबी मौसम में सिंचित परिस्थितियों और समय पर बुआई के लिए उपयुक्त मानी जाती है, जो कि किसानों के लिए एक बड़ा लाभ है।
'पूसा सरसों 32' के पौधे की मुख्य तने की लंबाई लगभग 73 सेंटीमीटर तक होती है, जिससे पौधे को बेहतर ग्रोथ मिलती है। इसके अलावा, फली का घनत्व भी काफी अधिक होता है, जो उपज में वृद्धि का एक महत्वपूर्ण कारक है।
यह किस्म 132 से 145 दिनों के भीतर पूरी तरह से पककर तैयार हो जाती है, जिससे किसानों को समय पर कटाई करने में सुविधा होती है।
पूसा सरसों 32' की औसतन पैदावार 27.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है, जबकि इसकी अधिकतम उपज क्षमता 33.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इस वजह से किसान कम भूमि पर भी अधिक उत्पादन कर सकते हैं।
इस किस्म में तेल की मात्रा 38 प्रतिशत तक पाई जाती है, जो इसे व्यापारिक दृष्टिकोण से भी आकर्षक बनाती है। अधिक तेल प्रतिशत वाले बीजों की बाजार में अच्छी मांग होती है, जिससे किसानों को लाभ होता है।
यह किस्म कम जल के तनाव की स्थिति को सहने में सक्षम है, जिससे सूखा प्रभावित क्षेत्रों के किसान भी इसकी खेती कर सकते हैं। इससे जलवायु परिवर्तन और अनियमित मानसून के प्रभाव को भी कम किया जा सकता है।
पूसा सरसों 32 से होने वाले लाभ
'पूसा सरसों 32' न केवल उत्पादन बढ़ाने में मददगार है, बल्कि यह किसानों की आय को भी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। सिंचित परिस्थितियों में उगाई जाने वाली इस किस्म को समय पर बुआई करने पर उत्कृष्ट परिणाम मिलते हैं। इसकी उच्च उपज क्षमता और तेल की अधिक मात्रा इसे बाजार में बेहतर कीमत दिलाने में मदद करती है, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ मिलता है।
कुल मिलाकर, 'पूसा सरसों 32' एक उन्नत और लाभकारी किस्म साबित हो रही है, जो किसानों के लिए फसल उत्पादन में बढ़ोत्तरी का एक नया अवसर प्रदान करती है।
सरसों RH 725 का अपडेट वर्जन RH 1424 , जो देगा 14% अधिक उत्पादन
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार(एचएयू) के वैज्ञानिकों ने सरसों की काफी पुरानी और विश्वसनीय वैरायटी RH 725 का अपडेट वर्जन तैयार कर दिया है। सरसों की इस वैरायटी का नाम है RH 1424। यह किस्म हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और जम्मू के किसानों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है। इसका उत्पादन RH 725 से 14 प्रतिशत अधिक है। अगर इन दोनों की हाइट की बात की जाए तो यह है वैरायटी RH 725 से हाइट में थोड़ी कम है, इसकी उत्पादन क्षमता 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की है । यह किस्म बराने क्षेत्र के लिए तैयार की गई है। यह कम सिंचाई वाले क्षेत्र में अधिक उत्पादन देने में सक्षम किस्म है। लेकिन आप इसकी बिजाई हर प्रकार की मिट्टी में कर सकते हो। यह हाइब्रिड वैरायटी नहीं है, यह एक रिसर्च वैरायटी है, जिसका बीज आपको एक बार लेने के बाद दोबारा लेने की आवश्यकता नहीं है, आप चार-पांच साल तक इस बीच को उपचारित करके बिजाई कर सकते हैं। सरसों की किस्म RH 1424 के बारे में विस्तार से जानने के लिए आई पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।
सरसों RH 725 की विशेषताएं
उपज:
विश्व वैरायटी की उत्पादन औसत 10 से 12 क्विंटल प्रति एकड़ हैं। अगर इसकी उत्पादन क्षमता की बात करें तो यह 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं, जो अन्य किस्मों की तुलना में अधिक है। अगर इसकी फ्लावरिंग की बात करें तो इसमें 40 से 50 दिन में फूल जाते हैं और 135 से 140 दिन में पक कर तैयार हो जाती है।
फायदे:
सरसों की वैरायटी में तेल की मात्रा: 40 % होती है जो इसकी उत्तम गुणवत्ता की पहचान कराती है। यह वैरायटी उच्च गुणवत्ता वाला तेल प्रदान करती है। इसमें तेल की मात्रा अधिक के कारण अन्य वैरियटयों के मुकाबले किसानों को इसका भाव भी अच्छा खासा मिल जाता है। यह वैरायटी पाले के प्रति सहनशील है, जो खराब मौसम में भी अच्छी उपज देती है। इसकी फलिया काफी लंबी होती हैं और दानो आकार बड़ा होता है, जो वजनदार होने के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता वाले बीज प्रदान करते हैं। इसमें फसल में खर्च भी बहुत कम आता है। इस वैरायटी में बहुत कम सिंचाई की आवश्यकता होती है, जिससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिलता है और किसने की आमदनी में इजाफा होता है।
बुवाई का समय:
सरसों की इस किस्म की बिजाई का सही समय सितंबर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक होता है। बारानी क्षेत्रों में बुवाई 25 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच और सिंचित क्षेत्रों में 10 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच करनी चाहिए। इस समय बुवाई करने से पौधे को उचित तापमान और नमी मिलती है, जो उनकी वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है।
बिजाई भूमि और खाद:
इस वैरायटी की बिजाई के लिए आपको ज्यादा रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता नहीं पड़ती क्योंकि यह कम सिंचाई वाली फसल है। आप बिजाई से पहले खेत में गोबर की खाद या कम्पोस्ट डाल सकते हैं, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में सहायक होता है। वैसे तो यह है कि समय हल्की और रेतीली मिट्टी के लिए तैयार की गई है, लेकिन आप इसकी हल्की, मध्य ओर भारी सभी प्रकार की मिट्टी में बिजाई कर सकते हैं। हल्की मिट्टी में यह वैरायटी अधिक उत्पादन प्रदान करती है।
सरसों की वैरायटी आरएच-1424 सरसों की नई उन्नत किस्म किसानों के लिए वरदान साबित होगी। यह वैरायटी किसानों को कम से कम लागत में अधिक मुनाफा प्रदान करती है। इसकी उच्च उपज और बेहतर गुणवत्ता के तेल के कारण किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी। साथ ही, उपभोक्ताओं को भी बेहतर गुणवत्ता का तेल प्राप्त होगा, इसके तेल से विनय खाद्य पदार्थ अधिक मात्रा में पौष्टिक और गुणकारी होंगे ,जो आम आदमी के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद रहेगा।
नोट:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठी की गई है। खेती संबंधित किसी भी जानकारी के लिए कृषि वैज्ञानिकों या कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें, और निर्णय अपने विवेक से करें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।