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धान की ये दो नई किस्में बदल सकती हैं आपकी तक़दीर | जानें क्या है इनमें ख़ास

धान की ये दो नई किस्में बदल सकती हैं आपकी तक़दीर | जानें क्या है इनमें ख़ास
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किसान साथियों, भारतीय किसानों के लिए यह खुशी की बात है, ख़ासकर धान की रोपाई करने वाले किसानों के लिए क्योंकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने धान की दो नई जीनोम-एडिटेड किस्में विकसित की हैं, जो न सिर्फ़ कम पानी में अधिक उत्पादन देने में सक्षम हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को झेलने की भी क्षमता रखती हैं। ये किस्में – DDR धान 100 (कमला) और पूसा DST राइस 1 – हैं, जो भारतीय किसानों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आई हैं, ख़ासकर उन इलाकों में जहाँ सूखा, लवणीय मिट्टी और पानी की कमी एक बड़ी चुनौती है। इन नई किस्मों को विकसित करने के पीछे वैज्ञानिकों का मक़सद साफ़ है कि पारंपरिक धान की खेती में आने वाली समस्याओं को दूर किया जा सके ताकि किसानों को अधिक मुनाफ़े के साथ-साथ टिकाऊ खेती का विकल्प मिल सके। आज इस रिपोर्ट में हम इन दोनों किस्मों के बारे में, उनकी ख़ासियत क्या है, किन राज्यों के किसानों को इसका सबसे ज़्यादा फ़ायदा मिलेगा और ये किस्में भारतीय कृषि को कैसे बदल सकती हैं, विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे।

DDR धान 100 (कमला)

साथियों, ICAR–भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (IIRR), हैदराबाद ने DDR धान 100 (कमला) को विकसित किया है। यह किस्म सांबा महसूरी (BPT 5204) का ही एक अपडेट संस्करण है, जिसे जीनोम एडिटिंग तकनीक से बेहतर बनाया गया है। सांबा महसूरी पहले से ही भारतीय किसानों के बीच बेहद लोकप्रिय है, लेकिन इसकी नई वैरायटी और भी ज़्यादा फ़ायदेमंद साबित होने वाली है।

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इसकी ख़ास विशेषताएं

अगर हम इसकी विशेषताओं की बात करें तो धान की यह किस्म कम समय में पकने वाली किस्म – DDR धान 100, सांबा महसूरी के मुक़ाबले 20 दिन पहले पककर तैयार हो जाती है। यानी किसानों को जल्दी फसल मिल जाएगी और वे दूसरी फ़सलों की बुवाई भी समय पर कर पाएंगे। इसके अलावा इसकी औसत उपज 53 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि सांबा महसूरी सिर्फ़ 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर देती है। इस हिसाब से इसकी उत्पादन क्षमता सांबा महसूरी से लगभग 19% अधिक है। अगर इसकी सिंचाई की बात करें तो पानी की कमी होने पर भी यह किस्म अच्छा उत्पादन दे सकती है, क्योंकि इसमें सूखा सहने की क्षमता भी है। साथ ही धान की यह किस्म नाइट्रोजन का उपयोग अधिक कुशलता से करती है, जिससे खाद की लागत कम होती है। इसके अतिरिक्त, इसके दाने पतले और लंबे होते हैं, जिससे बाज़ार में इसकी क़ीमत अच्छी मिलती है। धान की यह किस्म तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के लिए बेहद उपयुक्त है, जहाँ धान की खेती में पानी की कमी एक बड़ी समस्या है।

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पूसा DST राइस 1

साथियों, ICAR–भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली ने धान की दूसरी किस्म पूसा DST राइस 1 को विकसित किया है। यह किस्म एमटीयू 1010 का ही जीनोम-एडिटेड संस्करण है, जिसे लवणता और सूखे को सहन करने की क्षमता बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

इसकी ख़ास विशेषताएं

धान की इस वैरायटी की अगर विशेषताओं की बात करें तो यह किस्म नमकीन मिट्टी में भी अच्छी पैदावार देती है। इसके अलावा अगर इसकी उत्पादन क्षमता की बात की जाए तो यह वैरायटी एमटीयू 1010 के मुक़ाबले 20% अधिक उत्पादन देती है। इसका सबसे बड़ा फ़ायदा किसानों को यह होगा कि इसकी रोपाई करने पर पानी की कमी होने पर भी पैदावार प्रभावित नहीं होती। अगर रबी सीजन की बात करें तो दक्षिण भारत में रबी के मौसम में इसकी खेती करना फ़ायदेमंद होगा। साथ ही इस वैरायटी का दाना लंबा और पतला होता है, जिसकी मार्केट में अच्छी डिमांड है। आपको बता दें कि यह किस्म तटीय इलाकों, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों के लिए बेहतर है, जहाँ मिट्टी में नमक की मात्रा अधिक होती है।

किसानों को क्या होगा फ़ायदा

अगर आप इन किस्मों की रोपाई करते हैं तो इन किस्मों को कम पानी की ज़रूरत होती है, जिससे 7,500 मिलियन घन मीटर पानी की बचत होगी। इसके अलावा, धान की इन किस्मों की रोपाई करने पर कम लागत में अधिक मुनाफ़ा प्राप्त होता है, जो किसानों के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद होता है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।


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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।