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मिल गया है मुरझाए हुए गेहूं को बूस्ट करने का सीक्रेट फार्मूला | जल्दी करें अप्लाई

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किसान साथियों आपकी गेहूं की फसल अब एक महत्वपूर्ण चरण में प्रवेश कर रही है, जिसे बूटिंग स्टेज कहते हैं। इस वक्त जब गेहूं कल्लो फुटाव (टिलरिंग) के बाद अब तना लंबाई की ओर बढ़ता है। इस स्टेज के दौरान तने के अंदर छोटी सी बाली की शुरुआत होती है , जो तने के साथ-साथ ऊपर की ओर बढ़ती रहती है और बड़ी होती जाती है। फिर झंडे के पत्ते शीत से बाहर निकलते हैं। यह अवस्था लगभग 65 से 70 दिन में शुरू हो जाती है। इस समय कुल नाइट्रोजन का 37% तेज बढ़वार के लिए अवशोषित होता है, फास्फोरस का 40% बूटिंग स्टेज पर अवशोषित होता है, लेकिन पोटाश का 40% बाली के बाहर निकलने के समय या उसके बाद अवशोषित होता है। अन्य तत्व जैसे मैंगनीज, सल्फर, जिंक, मैग्नीशियम और बोरन का भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।, जो आगे चलकर आपकी उपज की गुणवत्ता और मात्रा निर्धारित करेगा। इसलिए, इस अवस्था में पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। 

मैंगनीज का महत्व 

मैंगनीज फोटोसिंथेटिक प्रोटीन और एंजाइम्स के लिए आवश्यक होता है। मैंगनीज पौधों में क्लोरोफिल के निर्माण में सहायता करता है, जिससे पत्तियां हरी-भरी रहती हैं और प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया सुचारु रूप से चलती है। यदि आपकी फसल में मैंगनीज की कमी है, तो पत्तियों पर हल्के पीले धब्बे दिखाई दे सकते हैं, जिससे पौधे की वृद्धि रुक सकती है। इस कमी को दूर करने के लिए, यदि आपको चिलटेड मैंगनीज मिल जाए, तो इसका स्प्रे 100 से 125 ग्राम प्रति एकड़ पर्याप्त होता है, अन्यथा मैंगनीज सल्फेट 500 ग्राम प्रति किलो इस समय पर्याप्त होता है। दोस्तों साथी ही स्प्रे में सल्फर पैदावार और गुणवत्ता के लिए आवश्यक है। यदि आपने अभी तक सल्फर का प्रयोग नहीं किया है, तो 3 किलो/एकड़ 80% वाला सल्फर खेत में डाल सकते हैं।

जिंक का महत्व 

जिंक एंजाइम रिएक्शन, नाइट्रोजन मेटाबोलिज्म और प्रोटीन सिंथेसिस के लिए बहुत जरूरी होता है।जिंक पौधों में एंजाइम गतिविधियों को बढ़ावा देता है और नाइट्रोजन चयापचय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी कमी से पौधों की वृद्धि रुक सकती है और पत्तियां पीली पड़ सकती हैं। जिंक की कमी को पूरा करने के लिए, आप स्प्रे में 100 से 125 ग्राम चिलटेड जिंक का उपयोग कर सकते हैं। यदि वह न मिले तो जिंक सल्फेट 33% वाला 700 ग्राम प्रति किलो के हिसाब से स्प्रे में प्रयोग किया जा सकता है।

मैग्नीशियम का महत्व 

मैग्नीशियम पौधों में क्लोरोफिल का मुख्य घटक है, जो प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक है। मैग्नीशियम पत्तों को ज्यादा देर तक हरा रखने के लिए आवश्यक होता है। इसकी कमी से पत्तियां पीली हो सकती हैं और पौधे की वृद्धि प्रभावित हो सकती है। आप मैग्नीशियम सल्फेट का 1 किलो प्रति एकड़ स्प्रे कर सकते हैं

बोरॉन का महत्व और प्रयोग

बोरॉन पौधों में प्रजनन प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक है, विशेषकर बोरॉन गेहूं में नर और मादा के मिलन (पोलिनेशन) के लिए जरूरी होता है,। इसकी कमी से दानों की संख्या और गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। बोरॉन की कमी को पूरा करने के लिए, आप 100 ग्राम प्रति एकड़ बोरॉन का स्प्रे कर सकते हैं। यह पौधों की प्रजनन क्षमता में सुधार और उपज बढ़ाने में सहायक होता है। 

बाली में दानों की संख्या और वजन बढ़ाने के लिए जरूरी पोषण

किसी भी एक तत्व की कमी इस समय पैदावार में फर्क डाल सकती है। हालांकि, यहां हम बाली की बात कर रहे हैं, जो तने के अंदर बड़ी हो रही है। आपको यह बता दूं कि बाली में दानों की संख्या तने के अंदर ही निर्धारित हो जाती है। जो पोषण हम बीजाई के समय जमीन में देते हैं, वह जड़ों के द्वारा अवशोषित होकर इस समय बाली तक कम ही पहुंचता है, इसलिए हमें पोषण स्प्रे के माध्यम से देना होता है। इस समय मुख्य तत्व नाइट्रोजन और फास्फोरस हैं, जो बाली में दानों की संख्या और वजन बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।

फास्फोरस की कमी को पूरा करने के उपाय

जिन किसान भाइयों की गेहूं की फसल में फास्फोरस की कमी है, उनके लिए इस समय फास्फोरस देना अत्यंत आवश्यक है। और जिनकी फसल में बीजाई के समय फास्फोरस दिया गया था, बंपर पैदावार के लिए उनके लिए भी यह जरूरी हो जाता है। थोड़ी सी लागत लगाकर चार-पांच गुना फायदा निश्चित है। आप एनपीके 12:6:10 को 1.5 किलो प्रति किलो प्रयोग कर सकते हैं, या नैनो डीएपी 250 एमएल प्रति किलो प्रयोग कर सकते हैं।

लिक्विड फास्फोरस का स्प्रे 

लिक्विड फास्फोरस याराविता सेनिफोस के नाम से आता है, जिसे आप प्रयोग कर सकते हैं, या फिर आयनिक रूप में दिवानोफोस के नाम से आता है, 200 से 250 एमएल प्रति किलो। आप इन स्प्रेयों का उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि स्प्रे के द्वारा दिए गए तत्व पौधों के पत्तों में स्थित छोटे-छोटे छिद्र (जिन्हें स्टोमेटा कहते हैं) के माध्यम से अंदर जाते हैं।

तत्वों की मात्रा और पौधों को मिलने वाला पोषण

इन तत्वों की मात्रा जितनी कम हो, उतना बेहतर परिणाम मिलता है। इसलिए इस समय स्प्रे में आपको तत्वों को चिलटेड फॉर्म, लिक्विड फॉर्म, नैनो फॉर्म या प्योर आयनिक फॉर्म में देना चाहिए, ताकि पौधों की आवश्यकता पूरी हो सके, और ये तत्व कम मात्रा में ही पौधों को आवश्यक पोषण प्रदान कर सकें।

फास्फोरस के लाभ

फास्फोरस इस समय दानों का आकार बढ़ाने के साथ-साथ दानों की संख्या भी बढ़ाएगा। पत्तों में स्टोर हुए कार्बोहाइड्रेट्स को बाली की तरफ रिडिस्ट्रिब्यूट करेगा। इसके लिए कुछ अद्भुत उत्पाद मार्केट मे उपलब्ध है, जिसमें आठ मैक्रो और माइक्रो न्यूट्रिएंट्स एक साथ मौजूद हैं, जैसे पोटाशियम, मैग्नीशियम, कॉपर, बोरन, आयरन, जिंक, और मैंगनीज, जो आयनिक फॉर्म में होते हैं। यह 100% प्योर और पौधों के लिए बायो अवेलेबल है, इसकी सिफारिश 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में है, यानी 200 से 250 मिलीलीटर प्रति किलो से कर सकते है ।

झंडा पत्ते की भूमिका और स्प्रे का प्रभाव

पौधे का आखिरी पत्ता, जिसे झंडा पत्ता भी कहते हैं, सबसे ऊपर होता है और 25 से 50% तक प्रकाश संश्लेषण की क्रिया इसी से होती है। इसे स्वस्थ, बड़ा और हरा-भरा रखने के लिए, बाली में दानों की संख्या बढ़ाने के लिए और दानों को मोटा करने के लिए, यह स्प्रे रामबाण साबित होगा।

नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।