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बालियां निकलने के समय गेहूं में कर दें इस एक चीज़ का स्प्रे | दाने होंगे मोटे और पुष्ट

बालियां निकलने के समय गेहूं में कर दें इस एक चीज़ का स्प्रे | दाने होंगे मोटे और पुष्ट
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किसान साथियों इस समय गेहूं की फसल के लिए सबसे महत्वपूर्ण दौर चल रहा है—बाली निकलने और दाने बनने का समय। यह फसल के विकास का सबसे महत्वपूर्ण चरण है। अगर इस समय सही उर्वरकों का उपयोग नहीं किया गया तो बालियां कमजोर रह सकती हैं और उनमें दाने सही से नहीं बनेंगे। इससे न सिर्फ पैदावार कम होगी, बल्कि फसल की क्वालिटी भी प्रभावित होगी।

पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे इलाकों में गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। ऐसे में जरूरी है कि बाली को मजबूत और वजनदार बनाने के लिए सही खाद और स्प्रे (छिड़काव) किया जाए। इस लेख में हम आपको सही उर्वरक, छिड़काव की सही विधि और सही समय के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

बाली निकलने के समय कौन सा उर्वरक डालें?

कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी और विशेषज्ञों के अनुसार, इस समय खेतों में दो महत्वपूर्ण उर्वरकों का छिड़काव करना आवश्यक है। पहला उर्वरक एनपीके (00-52-34) है, जो एक घुलनशील उर्वरक (Soluble Fertilizer) होता है। यह पौधों को फॉस्फोरस (P) और पोटाश (K) प्रदान करता है, जो दानों के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। इस उर्वरक का मुख्य लाभ यह है कि यह बालियों को मजबूत बनाता है, जिससे दाने अधिक विकसित और भारी होते हैं। इसके साथ ही, यह फसल की परिपक्वता (पकने की प्रक्रिया) को तेज करता है और उपज को बेहतर बनाता है। एनपीके (00-52-34) का सही उपयोग करने के लिए, इसे 2-3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर पूरे खेत में स्प्रे करना चाहिए।

दूसरा महत्वपूर्ण उर्वरक बोरॉन (Boron) है, जो एक सूक्ष्म पोषक तत्व (Micronutrient) है और दानों के सही आकार और मजबूती के लिए बहुत जरूरी होता है। बोरॉन का छिड़काव करने से बाली में अधिक दाने विकसित होते हैं और वे मजबूत बनते हैं यदि फसल में बोरॉन की कमी हो तो दाने छोटे, अधूरे या कमजोर बन सकते हैंबोरॉन का छिड़काव करने के लिए इसे 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर पूरे खेत में स्प्रे करना चाहिए। इन दोनों उर्वरकों का सही समय पर छिड़काव करने से फसल की उपज अच्छी होती है, दाने मजबूत और भारी बनते हैं,

छिड़काव करने का सही समय:

फरवरी महीने में जब गेहूं की फसल में बालियां निकलने लगती हैं, तब इन उर्वरकों का छिड़काव करना सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। यही वह समय होता है जब पौधों को फॉस्फोरस, पोटाश और बोरॉन जैसे पोषक तत्वों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। छिड़काव करने का सही समय सुबह या शाम होता है, जब धूप तेज न हो, क्योंकि तेज धूप में छिड़काव करने से उर्वरक जल्दी सूख सकता है और पौधों को उसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता। इसके अलावा, बारिश या तेज हवा के दौरान छिड़काव करने से भी बचना चाहिए, क्योंकि इससे उर्वरक पत्तियों और पौधों में सही तरीके से नहीं समा पाएगा और उसका प्रभाव कम हो जाएगा।

छिड़काव के बाद लगभग 20-25 दिनों के भीतर फसल में एक हल्की सिंचाई जरूर कर देनी चाहिए। इससे उर्वरक पौधों की जड़ों तक बेहतर तरीके से पहुंचेगा और इसका असर ज्यादा प्रभावी होगा। सही समय पर उर्वरकों का इस्तेमाल करने से कई फायदे होते हैं। इससे बालियां मजबूत और मोटी बनती हैं, जिससे गेहूं के दानों का वजन बढ़ता है। उत्पादन में 15-20% तक बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे किसानों को अधिक उपज और अधिक लाभ प्राप्त होता है। अच्छी गुणवत्ता वाली फसल होने पर मंडी में बेहतर दाम मिलते हैं इसके अलावा, उर्वरकों का सही उपयोग फसल की परिपक्वता को भी तेज करता है

ध्यान देने योग्य बातें:

❌ ज़रूरत से ज़्यादा उर्वरक का छिड़काव न करें, वरना पौधों को नुकसान हो सकता है। ❌ छिड़काव के बाद 3-4 घंटे तक सिंचाई न करें, ताकि उर्वरक सही से पौधों में समा जाए। ❌ खराब मौसम में स्प्रे करने से बचें।

नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।