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50 रुपये किलो में मिल रहा है गेहूं की टॉप किस्म HD3406 का बीज़ | जाने पूरी डिटेल्स

50 रुपये किलो में मिल रहा है गेहूं की टॉप किस्म HD3406 का बीज़ | जाने पूरी डिटेल्स
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साथियों, जैसे ही किसानों के द्वारा खरीफ फसल की कटाई का कार्य समाप्त होगा, रबी सीजन में गेहूं की खेती की तैयारी शुरू हो जाएगी। इस सीजन में किसानों को गेहूं की बुवाई के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने पूसा-HD 3406 किस्म का चयन करने की सलाह दी है। यह किस्म किसानों के लिए अधिक उपज देने वाली और रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली साबित हो सकती है।

पूसा-HD 3406 वैरायटी को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR-IARI) द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म मुख्य रूप से मैदानी क्षेत्रों में बुवाई के लिए उपयुक्त है। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, और हिमाचल प्रदेश के किसानों को विशेष रूप से इस किस्म की बुवाई करने की सलाह दी गई है। ये क्षेत्र इसके लिए आदर्श माने गए हैं, जिससे किसान अच्छी उपज प्राप्त हो सके । हालांकि, पहाड़ी क्षेत्रों में इस किस्म की बुवाई नहीं करने की सलाह दी जाती है 

पूसा-HD 3406 का बीज कैसे प्राप्त करें

इस किस्म का बीज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा प्रमाणित है और इसे विभिन्न कृषि अनुसंधान केंद्रों, कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK), और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों से प्राप्त किया जा सकता है। इसके अलावा, कई सरकारी और निजी बीज विक्रेता भी इसे उपलब्ध कराते हैं। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे केवल प्रमाणित और उच्च गुणवत्ता वाले बीज का ही उपयोग करें ताकि उन्हें फसल में बेहतर उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्राप्त हो। 

पूसा-HD 3406 की पकने की अवधि

पूसा-HD 3406 वैरायटी कम समय में पकने वाली किस्म है, जो किसानों के लिए फायदेमंद है क्योंकि यह जल्दी पककर तैयार हो जाती है और दूसरी फसलों की बुवाई के लिए समय और स्थान बचाती है। प्रति हेक्टेयर इसकी उत्पादकता उच्च होती है और यदि इसे सही तकनीक और समय पर बुवाई की जाए तो किसान इससे अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

IARI के अनुसार, यदि इस गेहूं की किस्म को मैदानी क्षेत्रों में बोया जाए, तो यह लगभग 130 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। सामान्य तौर पर, अन्य गेहूं किस्मों की कटाई में 155 दिनों का समय लगता है। इस किस्म का लाभ यह है कि यह कम समय में तैयार हो जाती है।

यदि किसान किसी कारण से बुवाई में देरी करते हैं, तो उन्हें इस किस्म की सिंचाई जल्दी-जल्दी करनी होगी। यह ध्यान देने योग्य है कि पूसा-HD 3406 को सामान्य किस्मों की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है, जिससे यह जल संरक्षण के लिहाज से भी फायदेमंद साबित होती है।

कितना प्रति हेक्टेयर उत्पादन

पूसा-HD 3406 एक ऐसी किस्म है जो जल्दी पककर तैयार होती है और इसमें रतुआ (रस्ट) रोग से लड़ने की बेहतर क्षमता है। इससे किसानों को रोग से बचाव में मदद मिलती है, जिससे फसल की गुणवत्ता बनी रहती है। यह किस्म मुख्यतः मैदानी इलाकों में बुवाई के लिए उपयुक्त मानी गई है और आईसीएआर ने इसके लिए सलाह दी है कि इसे समय पर बुवाई करें, क्योंकि देरी होने पर भी यह अच्छी उपज दे सकती है और इसकी सिंचाई की आवश्यकताएं भी कम होती हैं।

इस किस्म का एक प्रमुख लाभ यह है कि यह रतुआ रोग (रस्ट) से प्रतिरोधी है। रतुआ रोग अक्सर गेहूं के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, लेकिन पूसा-HD 3406 में यह रोग पनपता नहीं है।

ICAR-IARI के अनुसार, यदि किसान इस किस्म की बुवाई करते हैं, तो वे प्रति हेक्टेयर भूमि पर लगभग 65 क्विंटल उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। यह उत्पादन 130 दिनों में ही हासिल किया जा सकता है, जिससे किसान समय पर अगली फसल की बुवाई कर सकते हैं और अधिक उत्पादन लाभ कमा सकते हैं।

पूसा-HD 3406 का बीज प्राप्ति की प्रक्रिया

पूसा-HD 3406 गेहूं वैरायटी का बीज 20 किलो के पैकेट में उपलब्ध है, जिसकी कीमत 1000 रुपए रखी गई है। किसान यह बीज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूसा बीज पोर्टल से ऑनलाइन ऑर्डर करके आप अपने घर मंगवा सकते हैं। इसके लिए किसान को  https://pusabeej.iari.res.in/varieties.php?crop_name=V2V5enlQSkV0anFPaTF6T3JkVTc5dz09 लिंक पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।

इसके अलावा, किसान सहकारी संस्थानों या जिला कृषि केंद्र से भी बीज प्राप्त कर सकते हैं। ऑनलाइन पोर्टल की सुविधा से किसान अब घर बैठे आसानी से बीज प्राप्त कर सकते हैं 

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।