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विज्ञानिको ने खोजा गुलाबी सुंडी का रामबाण इलाज | किसानो को बताए गुलाबी सुंडी से बचने के उपाए

विज्ञानिको ने खोजा गुलाबी सुंडी का रामबाण इलाज | और किसानो को दी गुलाबी सुंडी से बचने की सलहा
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2023 के ख़रीफ़ सीज़न में कपास की खेती में गुलाबी सुंडी का हमला हुआ. गुलाबी सुंडी के कारण कपास के उत्पादन में गिरावट आई। सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है कि 2024 के आगामी खरीफ सीजन में कपास की फसल पर गुलाबी सुंडी का हमला न हो। राजस्थान सरकार ने जिनिंग मिल मालिकों, प्रतिनिधियों और सरकारी कृषि विभाग के साथ बैठक की कृषि विपणन विभाग एवं जिनिंग फैक्ट्री मालिकों को आपसी समन्वय से गुलाबी सुंडी के प्रभावी प्रबंधन के लिए आवश्यक प्रयास करने की सलाह दी गई है। साथ ही किसानों को तकनीकी जानकारी भी उपलब्ध कराएं, ताकि आगामी 2024 के खरीफ सीजन में गुलाबी सुंडी पर नियंत्रण कर कपास का उत्पादन बढ़ाया जा सके। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें

गुलाबी सुंडी से कैसे बचाए फसल को
कपास मिलों के आसपास फेरोमोन ट्रैप लगाए जाने चाहिए ताकि गुलाबी सुंडी का प्रारंभिक अवस्था में पता लगाया जा सके और समय रहते नियंत्रित किया जा सके। जिनिंग मिलों में रेशों और बीज (बिनौला) निकालने के लिए कीट प्रकोप प्रभावित खेतों से कच्चा कपास लाया जाता है. जिनिंग मिलों मे आये इस कपास में से बिनौलों और जिनिंग के बाद अवशेष सामग्री में गुलाबी सुंडी कीट ए लट/प्यूपा अवस्था में उपस्थित रहती है. अनुकूल परिस्थितियाँ मिलते ही ये वयस्क कीड़ों में विकसित हो जाते हैं और कपास की बुआई के समय जिनिंग के आसपास कपास की फसल को संक्रमित कर देते हैं। अत: जहां भी सूती मिल स्थापित हो, वहां जिनिंग को खुली हवा में संग्रहित नहीं करना चाहिए।

बिनौलों को पॉलिथीन शीट से ढककर रखें। किसी बंद कमरे में 48 घंटे के लिए या पॉलीथीन शीट से ढककर एल्यूमीनियम फॉस्फाइड से ढकने की सलाह दी जाती है। जिन किसान भाइयों ने अपने खेतों में बीटी नरमा कपास की लकड़ियों का भंडारण कर रखा है, उनसे अनुरोध है कि फसल बोने से पहले ऐसी लकड़ियों को खेतों से हटा दें और बीटी कपास की लकड़ियों को छाया और खेतों में इकट्ठा करने के बजाय उन्हें काटकर जमीन में फेंकने की सलाह दी जाती है

अलग अलग कीटनाशी का करे इस्तेमाल
कृषि अनुसंधान केंद्र, श्रीगंगानगर के कीटविज्ञानी डॉ. रूप सिंह मीना ने गुलाबी सुंडी के संपूर्ण जीवन चक्र, इसकी विभिन्न अवस्थाओं की पहचान सहित विस्तृत जानकारी प्रदान की और कपास में होने वाले नुकसान के लक्षणों के बारे में बताया। डॉ. मीना सलाह देते हैं कि बीटी कपास पर लगातार एक ही प्रकार के कीटनाशकों का उपयोग न करें, बल्कि कीटनाशकों को बदलें और बढ़ती अवधि 120 दिन होने के बाद ही पाइरेथ्रोइड कीटनाशकों का उपयोग करें।

नोटः दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इन्टरनेट पर उपलब्ध विश्वसनीय स्त्रोतों से प्राप्त की गई है। किसी भी जानकारी को अम्ल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।