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दिसंबर महीने में लगाएं ये तीन सब्जियां | एक एकड़ से बचेंगे 2 लाख

Sabji दिसंबर में
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अगर लाखों का मुनाफा लेना है तो दिसंबर में करें इन तीन सब्जियों की खेती

किसान साथियों, दिसंबर का महीना खेती के लिहाज से खास महत्व रखता है, क्योंकि इस समय मौसम ठंडा होने लगता है और किसान नई फसलों की बुवाई की तैयारी करते हैं। इस दौरान कुछ ऐसी फसलें होती हैं, जिन्हें अगर सही तरीके से उगाया जाए, तो वे किसान भाइयों के लिए अच्छा मुनाफा पैदा कर सकती हैं। मौसम की सही स्थिति और उपयुक्त तकनीकों का इस्तेमाल करके किसान इस समय में अपनी फसलों का उत्पादन बढ़ा सकते हैं और अच्छी कमाई कर सकते हैं। इस रिपोर्ट में हम ऐसी तीन सब्जियों के बारे में बात करेंगे, जिनकी मांग मंडियों में पूरा साल बनी रहती है और जिन्हें दिसंबर में लगाकर किसान भाई अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं। खेती में सफलता का सबसे बड़ा राज होता है समय पर सही फसल का चुनाव और उसे सही तरीके से उगाना। किसान भाइयों के लिए यह समय नए प्रयोगों और तकनीकों को अपनाने का है। विशेष रूप से अगर आप नई तकनीकों और सही किस्मों का चयन करते हैं, तो आप न केवल अपनी फसल को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि इसका आर्थिक लाभ भी उठा सकते हैं। दिसंबर का महीना सही फसलों के चयन और बुवाई के लिए एक उपयुक्त समय होता है। इस दौरान आपको ऐसी फसलों का चुनाव करना चाहिए, जिनकी बुवाई से आपको अच्छा उत्पादन मिल सके और जो ठंड के मौसम में भी अच्छे से विकसित हो सकें। तो चलिए जानते हैं वह तीन सब्जियां कौन-कौन सी हैं और उनकी बुवाई का तरीका क्या होना चाहिए, इसकी पूरी जानकारी के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट ‌।

1. खीरा की खेती

किसान भाइयों, खीरे की खेती एक ऐसी फसल है जिसे ठंड के मौसम में भी उगाया जा सकता है, और यदि इसे सही तरीके से उगाया जाए तो यह एक अच्छी आय का स्रोत बन सकता है। खीरे की बुवाई दिसंबर के महीने में की जा सकती है, लेकिन इसके लिए आपको पहले नर्सरी तैयार करनी होगी। ठंड के मौसम में खीरे की नर्सरी तैयार करने का सही समय 15 से 30 दिसंबर के बीच होता है। खीरे के बीजों को सीधे खेत में नहीं बोना चाहिए, बल्कि डिस्पोजल ग्लास के माध्यम से इसकी नर्सरी तैयार करें। इस तरीके से पौधे अच्छे से बढ़ते हैं और उनकी देखभाल भी आसान होती है। आपको खीरे की नर्सरी तैयार करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि नर्सरी के लिए आप लो टनल का इस्तेमाल करें। लो टनल एक ऐसी तकनीक है, जो ठंड के मौसम में पौधों को पाले से बचाने में मदद करती है। रात को नर्सरी पर लो टनल का उपयोग करें और दिन में धूप निकलने की अवस्था में लो टनल को हटा दें ताकि दिन के समय पौधे सूर्य की किरणों से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को सही प्रकार से अवशोषित कर सकें। प्रकाश संश्लेषण पौधों के विकास को बेहतर बनाती है। खीरे की नर्सरी को 15 से 20 दिन तक लो टनल में रखें। नर्सरी तैयार करने के बाद, खीरे के पौधों को खेत में ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।

बुवाई का तरीका

साथियों, जब आप खीरे के पौधों को खेत में ट्रांसप्लांट करें, तो यह सुनिश्चित करें कि बेड की चौड़ाई 3 फीट हो और दो बेडों के बीच की दूरी 6 फीट हो। पौधों के बीच की दूरी 2.5 फीट रखें, ताकि उन्हें पर्याप्त जगह मिल सके। खीरे के बीज को जिगजैग तरीके से बोने की कोशिश करें, ताकि पौधों को अधिक जगह मिले और वे अच्छे से विकसित हो सकें। बीज करते समय आपको बीज की वैरायटी और मात्रा का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है। खीरे के लिए VNR की क्रश, सजंतान, नमरसम, और सेमिन की मालिनी जैसी किस्में उपयुक्त रहती हैं। खीरे की बिजाई के लिए एक एकड़ में करीब 300 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

रोगों की रोकथाम

किसान साथियों, खीरे की फसल को कीटों से बचने के लिए आप प्राकृतिक विधि से नीम के तेल के मिश्रण को स्प्रे बोतल में डालें और पत्तियों की पूरी सतह पर स्प्रे करें। कीटों और बीमारियों से बचने के लिए रात होने से पहले पत्तियों को सुखाने के लिए दिन में जल्दी पानी दें, क्योंकि कई कीट नम परिस्थितियों में पनपते हैं। या फिर आप कीड़ों की रोकथाम के लिए पाइरेथ्रिन कीटनाशक और नीम का मिश्रण खीरे के बीटल को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकता है, हालांकि आपको संभवतः एक से अधिक बार इसका इस्तेमाल करना होगा। पाइरेथ्रिन संपर्क कीटनाशक हैं जो अधिकांश कीटों को मार देंगे, जिनमें परागण करने वाले जैसे लाभकारी कीट भी शामिल हैं, इसलिए ध्यान रखें कि इसे दिन में जल्दी या बाद में इस्तेमाल करें।

2. टमाटर की खेती

किसान भाइयों, दिसंबर महीने में लगाई जाने वाली दूसरी फसल टमाटर है। अगर आप दिसंबर के महीने में टमाटर की खेती करते हैं तो यह अन्य टमाटर की फसल के मुकाबले पहले तैयार हो जाएगी, जो आपको मंडी में अन्य टमाटरों के मुकाबले अधिक मुनाफा प्रदान करेगी। दिसंबर में टमाटर की नर्सरी भी तैयार की जा सकती है। अगर आप टमाटर की खेती करना चाहते हैं, तो आपको दिसंबर के अंत में टमाटर के पौधों को खेत में ट्रांसप्लांट करना चाहिए। ताकि जब तक टमाटर की नर्सरी तैयार होगी तब तक ठंड का असर कम होना शुरू हो जाएगा। किसान भाई टमाटर की नर्सरी को सही विधि द्वारा लगाकर 25 दिन में तैयार कर सकते हैं। टमाटर की नर्सरी तैयार करने के बाद, इसे लो टनल में रखना चाहिए ताकि पौधे ठंड से बच सकें। जब पौधे तैयार हो जाएं, तो ट्रांसप्लांटिंग के समय पौधों के बीच की दूरी 1.5 फीट रखें और दो लाइन के बीच 5 फीट की दूरी रखें। इसके बाद, लो टनल की व्यवस्था करें, ताकि ठंड से पौधे बचें और अच्छी वृद्धि हो। दिन के समय धूप निकलने की अवस्था में लो टनल को हटा दें ताकि पौधे धूप से प्रकाश संश्लेषण क्रिया के द्वारा अपना भोजन प्राप्त कर सकें। सर्दियों में बिजाई के लिए अगर टमाटर की किस्म की बात की जाए तो टमाटर के लिए सीजन की साहो या सेमिन की अभिलाष जैसी किस्में उपयुक्त रहती हैं। टमाटर की बुवाई के लिए एक एकड़ में 40 ग्राम बीज पर्याप्त होता है।

कीटों से बचाव

किसान भाइयों, सर्दियों में टमाटर की फसल को कीटों से बचाव का एक आसान तरीका है कि खेत के चारों तरफ पीले रंग की एक बांस बल्ली के सहारे पन्नी लगा दें। कीट हमेशा पीले रंग पर आकर्षित होकर उसी पर चिपक जाता है और नष्ट हो जाता है। अगर इसके बावजूद भी कीट आपकी फसल में दिखाई देता है तो उसे पर नीम के तेल का छिड़काव कर सकते हैं। नीम के तेल का छिड़काव कीटों की रोकथाम में काफी असरदार उपाय है, नीम का तेल फसल पर असरदार होने के साथ-साथ पूरी तरह से प्राकृतिक है। फसल को रोगों से बचने के लिए आप बीज को उपचारित करके ही नर्सरी तैयार करें। इसके लिए बीज जनित रोगों से बचाने के लिए थायिरम या कैप्टान 2.5 ग्राम/किलोग्राम बीज के दर से उपचार करना लाभदायक है।

3. तरबूज और खरबूज

किसान भाइयों, तरबूज और खरबूज की खेती भी दिसंबर के महीने में की जा सकती है। इस समय की गई तरबूज की बिजाई का आगे कटाई के समय मंडी में काफी अच्छा भाव प्राप्त होता है। इन फसलों की बुवाई के लिए दो तरीके होते हैं, जो किसानों की स्थिति पर निर्भर करते हैं।

पहला तरीका (ठंड वाले क्षेत्रों के लिए)

दोस्तों, अगर आपके क्षेत्र में जनवरी में ठंड ज्यादा पड़ती है, तो आपको 15 से 30 दिसंबर के बीच नर्सरी तैयार करनी होगी और फिर उसे लो टनल के अंदर रखना होगा। इसके बाद, पौधों को ट्रांसप्लांट करते समय भी लो टनल का इस्तेमाल करना होगा, ताकि वे ठंड से बच सकें।

दूसरा तरीका (गर्म क्षेत्रों के लिए)

साथियों, यदि आपके क्षेत्र में 15 जनवरी के बाद ठंड नहीं पड़ती, तो आप 25 दिसंबर के आसपास नर्सरी तैयार कर सकते हैं और फिर 15 से 20 जनवरी के बीच पौधों को खेत में ट्रांसप्लांट कर सकते हैं। इस स्थिति में आपको लो टनल का इस्तेमाल केवल नर्सरी तैयार करने के दौरान करना होगा।

बीज की वैरायटी और मात्रा

दोस्तों, तरबूज और खरबूज की बिजाई अगर आप ठंडी के मौसम में करते हैं तो उसी हिसाब से आपको इनकी वैरायटियों का चुनाव करना होगा। ठंड के मौसम में बिजाई के लिए तरबूज के लिए सागर किंग और खरबूज के लिए कुंदन जैसी किस्में उपयुक्त रहती हैं। अगर उनकी बीज की मात्रा की बात करें तो प्रति एकड़ दोनों फसलों के लिए 300 से 350 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

कीड़ों की रोकथाम

किसान भाइयों, तरबूज के पौधों को कीटों से बचने के लिए तरबूज की बेलों को घूमने के लिए भरपूर जगह दें, इसके लिए पौधों को 3 से 5 फीट की दूरी पर लगाना चाहिए। रोपण के बाद, कीटों को दूर रखने और पौधों के पास गर्म हवा को रोकने के लिए पौधों को फ्लोटिंग रो कवर से ढक दें। अगर पौधों में तना गलक रोग लग गया है तो मैंकोजेब और कार्बेन्डाज़िम की 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर जड़ों के पास ड्रिंचिंग करें। अगर भुनके और छोटे कीटों का प्रकोप हो तो नीम ऑयल (1500 पीपीएम) का 5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

नोट:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।

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