NPK 00:52:34 + बोरोन गेहूं में कब डालें? 90% किसान नहीं जानते | जाने सही समय कौन सा है
किसान भाईयों, इस समय गेहूं की फसल लगभग 75 से 85 दिन की हो गई है और गेहूं की फसल में दानों के बनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लेकिन इस बार बढ़ते तापमान के कारण किसानों को फसल की देखभाल करने में अत्यधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में किसान यह सोचने पर मजबूर हैं कि वह अपनी फसल की देखभाल किस प्रकार करें, क्योंकि फसल से बढ़िया उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को हर मौसम में अपनी फसल को बेहतर तरीके से उगाने के लिए सही खाद और पोषक तत्वों का सही समय पर प्रयोग करना बेहद जरूरी होता है। खासतौर पर जब फसल में फूल और फल आने लगते हैं, तब उन्हें पोषक तत्वों की अधिक आवश्यकता होती है। ऐसे में कुछ खास तत्वों का उपयोग करना जरूरी हो जाता है ताकि फसल में अच्छे फल और फूल लग सकें और उनकी गुणवत्ता भी बेहतर हो।
अगर आप अपने खेत में फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार चाहते हैं, तो आपको सही समय पर और सही मात्रा में पोषक तत्वों का इस्तेमाल करना होगा। फास्फोरस, पोटाश, बोरान, और एनपीके 05234 जैसे तत्व फसल के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन तत्वों को स्प्रे के रूप में देकर आप अपनी फसल के विकास को बढ़ावा दे सकते हैं और बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। याद रखें, पौधों को सही पोषक तत्व देना उनकी स्वास्थ्य और विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसलिए, इन तत्वों का प्रयोग करते समय सही मात्रा और तकनीक का पालन करें, ताकि फसल में उत्तम गुणवत्ता और बंपर उत्पादन प्राप्त किया जा सके। इस रिपोर्ट में हम उन महत्वपूर्ण पोषक तत्वों के बारे में चर्चा करेंगे जो फसल की अच्छी वृद्धि के लिए जरूरी होते हैं। इनमें मुख्य रूप से फास्फोरस, पोटाश, बोरान, और एनपीके 05234 जैसे तत्व शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल खास समय पर सही तरीके से किया जाता है। तो चलिए, जानते हैं कि कैसे इन पोषक तत्वों का उपयोग फसल को बढ़ाने में मदद करता है और कौन सा तरीका सबसे बेहतर रहता है। इनके बारे में विस्तार से जानने के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।
फास्फोरस और पोटाश का महत्व
किसान साथियों, जब फसल में फूल और फल आने शुरू होते हैं, तो फसल को इस समय फास्फोरस और पोटाश जैसे महत्वपूर्ण तत्वों की आवश्यकता होती है। क्यों कि फास्फोरस का कार्य पौधों में ऊर्जा का संचार करना और फल-फूल के विकास को बढ़ावा देना होता है। यह पौधों के जड़ों की मजबूती बढ़ाने, पत्तियों की हरियाली और फूलों की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है। इसके अलावा पोटाश का काम पौधों के अंदर पानी के संतुलन को बनाए रखना और उनकी कोशिकाओं की मजबूती को बढ़ाना होता है। यह फसल के प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है, जिससे पौधे बीमारी से लड़ने में सक्षम होते हैं। इसलिए फसल की इस महत्वपूर्ण अवस्था में दोनों ही तत्व फसल की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि फसल के इस स्टेज पर इन पोषक तत्वों का उपयोग आप स्प्रे के रूप में करें। इसके लिए इन तत्वों को एनपीके 05234 की सहायता से सही मात्रा में स्प्रे द्वारा लगाया जा सकता है। क्योंकि यह एक विशेष मिश्रण होता है, जिसमें फास्फोरस और पोटाश दोनों होते हैं, और इसे किसानों के लिए अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। इसका सही तरीके से उपयोग करने से आप अपनी फसल की गुणवत्ता में काफी सुधार देख सकते हैं।
बोरान का योगदान
किसान साथियों, गेहूं की फसल में बलिया आने की अवस्था में बोरान एक और महत्वपूर्ण तत्व है जो फसल में नर और मादा फूलों के मिलन में मदद करता है, जिससे परागण की प्रक्रिया बेहतर होती है। और जैसा कि आप सब जानते हैं कि जब परागण अच्छा होता है, तो फल और फूल अच्छे तरीके से विकसित होते हैं। इसलिए फसल में बोरान का प्रयोग विशेषकर तब किया जाता है जब फूलों का परागण सही तरीके से नहीं हो पा रहा होता। लेकिन ध्यान रखें कि इसका उपयोग कम मात्रा में किया जाता है, लेकिन यह परिणाम में अत्यधिक असर डालता है। सामान्यत: बोरान की 100 ग्राम प्रति एकड़ की सिफारिश की जाती है, जिससे परागण की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है और अंत में फसल की उपज भी बढ़ती है।
एनपीके 0:52:34 का प्रयोग
किसान साथियों, एनपीके 0-52-34 एक प्रकार का मिश्रित उर्वरक है, जिसमें नाइट्रोजन (N), फास्फोरस (P) और पोटाश (K) होते हैं। इसका इस्तेमाल विशेष रूप से तब किया जाता है जब फसल में फूल और फल विकसित होने की प्रक्रिया में होती है। यह तत्व फसल की वृद्धि और विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है। एनपीके 0-52-34 को स्प्रे के रूप में लगाया जाता है और इसकी सिफारिश आमतौर पर 1 किलो प्रति एकड़ होती है। जब आप पानी में इसे घोलते हैं, तो इसे 150 लीटर पानी में डालकर अच्छी तरह से स्प्रे किया जा सकता है। यह इस बात का ध्यान रखना जरूरी होता है कि जब स्प्रे करते हैं, तो बहुत ज्यादा मात्रा में एक साथ तत्वों का प्रयोग न करें, क्योंकि पत्तियों के छोटे-छोटे छिद्रों के जरिए इन तत्वों को सोखा जाता है, और अधिक मात्रा से पत्तियाँ इन तत्वों को अवशोषित नहीं कर पातीं।
लेकिन आप इस बात का ध्यान रखें कि स्प्रे के लिए एनपीके 0-52-34 का उच्च घनत्व (High Density) फार्म प्रयोग में लाना चाहिए, जिससे यह अधिक प्रभावी हो सके। इस फार्म में प्रति एकड़ 200 ग्राम तक की सिफारिश की जाती है, लेकिन आप इसे 300 ग्राम प्रति एकड़ भी उपयोग कर सकते हैं, यदि आवश्यकता हो।
स्प्रे तकनीक और सही मात्रा
किसान साथियों, गेहूं की फसल में इन पोषक तत्वों की स्प्रे करने की तकनीक और सही मात्रा का चयन अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि अधिक मात्रा से तत्व पत्तियों में अवशोषित नहीं हो पाते। इसके लिए सबसे बेहतर तरीका है कि एनपीके 0-52-34 और बोरान को सही अनुपात में मिलाकर, आवश्यकतानुसार स्प्रे किया जाए।
लेकिन किसान भाईयों को यह ध्यान रखना चाहिए कि स्प्रे करते वक्त पानी की मात्रा और उर्वरक की मात्रा का सही संतुलन होना चाहिए, ताकि सभी पोषक तत्व सही तरीके से पौधों द्वारा अवशोषित हो सकें। और सही समय पर किया गया स्प्रे फसल की गुणवत्ता को बढ़ाता है और उत्पादन में भी वृद्धि करता है।
नोट:
रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के नीचे और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।