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मक्का की खेती कब और कैसे करें, जाने सही और सटीक तरीका

मक्का की खेती कब और कैसे करें, जाने सही और सटीक तरीका
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किसान भाईयों, मक्का (Maize) की खेती भारत में काफी प्रचलित है, और यह कई प्रकार की जलवायु परिस्थितियों में अच्छी पैदावार देती है। मक्का की फसल की मांग लगातार बढ़ रही है, क्योंकि यह मुख्य रूप से खाद्य, चारा और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाती है। मक्का की खेती एक लाभकारी और व्यावसायिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होती है। यदि किसान सही समय पर, सही तरीका और सही किस्म का मक्का चुनते हैं, तो वे अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप भी मक्के की खेती करते हैं तो मक्का की खेती के लिए कई बातें हैं जिन्हें ध्यान में रखना जरूरी है। जैसे कि किस समय मक्का की बुआई की जाए, कौन-सी किस्में सबसे अच्छे परिणाम देती हैं, और खेत की तैयारी कैसे की जाए। साथ ही, खाद का सही प्रयोग, बीज की सही मात्रा, और सिंचाई का तरीका जैसे कई अन्य पहलुओं को भी जानना जरूरी है। इस रिपोर्ट में हम इन सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे ताकि आप मक्का की फसल से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें। तो चलिए मक्का की खेती के इन महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से समझने के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।

मक्का की खेती कब करें

किसान साथियों, भारत में मक्का की खेती मुख्य रूप से तीन मौसमों में की जाती है: रवि सीजन, जायद सीजन और खरीफ सीजन। ये तीनों मौसम अलग-अलग समय पर होते हैं, और किसान को अपनी स्थानीय जलवायु और ज़मीन की स्थिति के आधार पर सही मौसम का चुनाव करना होता है। आज हम आपको इन तीनों चीजों के बारे में विस्तार से बताएंगे कि मक्का की खेती आपको कौन से सीजन में कौन से महीने में करनी सबसे उपयुक्त होती है।

रवि सीजन

दोस्तों, रवि सीजन में मक्का की बुआई अक्टूबर और नवम्बर के महीने में की जाती है। इस समय की जलवायु मक्का के लिए काफी उपयुक्त होती है। इस समय मक्का की अच्छी फसल उगाई जा सकती है, और इससे बेहतर पैदावार मिलती है। और इस समय मक्का की फसल में अधिक सिंचाई की आवश्यकता भी नहीं होती।

जायद सीजन

साथियों, यदि मक्का की बुवाई का सही और जायज सीजन की बात की जाए तो जायद सीजन में मक्का की बुआई फरवरी और मार्च के महीनों में की जाती है। यह समय गर्मियों के पहले का होता है, और इस दौरान मक्का की फसल को ज्यादा पानी की जरूरत होती है। इस समय के दौरान, मक्का अच्छी तरह से उगता है, और यह कम समय में तैयार हो जाता है। इसी कारण मक्का की फसल को न गर्मी से खतरा होता है और न ही सर्दी का डर होता है।

खरीफ सीजन

दोस्तों, खरीफ सीजन में मक्का की बुआई जून और जुलाई के महीनों में की जाती है। यह मानसून के मौसम से पहले का समय होता है, और इस समय मक्का की फसल को अधिक पानी की आवश्यकता होती है। हालांकि, यह मौसम मक्का की बुआई के लिए थोड़ा जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि अत्यधिक बारिश से मिट्टी में पानी का भराव हो सकता है, जिससे जड़ सड़ने का खतरा रहता है। इसके अलावा, इस समय हर मक्का का सारे ग्रुप में भाव भी थोड़ा कम रहता है।

खेत की तैयारी

किसान साथियों, मक्का की फसल की बढ़िया पैदावार के लिए खेत की सही तैयारी बहुत जरूरी होती है। सही तरीके से खेत तैयार करने पर ही अच्छी फसल उग सकती है। खेत की तैयारी के दौरान मक्का की बुआई के लिए खेत में गहरी जुताई जरूरी है। क्योंकि सही जुताई से मिट्टी में हवा और नमी बनी रहती है, जिससे मक्का की जड़ें अच्छे से विकसित होती हैं। खेत को अच्छी तरह से जुताई करने से मक्का के पौधों को ज़मीन से पर्याप्त पोषण भी मिलता है।

जुताई करने के बाद, यदि आपके पास गोबर की सड़ी हुई खाद उपलब्ध हो, तो उसे खेत में डालें। क्योंकि यह मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाती है और मक्का की फसल के लिए जरूरी पोषक तत्व प्रदान करती है। इसके लिए आपको लगभग 5-6 ट्रॉली प्रति एकड़ खाद डालने की सलाह दी जाती है। उसके बाद, खेत में खाद को अच्छी तरह से फैला दें और उसे मिट्टी में सही प्रकार से मिला दें। साथ ही, फसल की बुआई से पहले खेत में पलेवा करना भी जरूरी है। पलेवा करने से मिट्टी को अच्छे से नरम किया जाता है, जिससे बीजों को जमने में आसानी होती है।

पलेवा के बाद, खेत में सिंचाई भी की जाती है ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे। इसके अलावा, मक्का की अच्छी फसल के लिए NPK (नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश) की सही मात्रा जरूरी है। इसके लिए बुआई के समय, 50 किलो प्रति एकड़ एनपीके 12-32 या DAP (डायमोनियम फास्फेट) डालने की सलाह दी जाती है। इसके साथ यूरिया की भी आवश्यकता होती है, जो 45 किलोग्राम प्रति एकड़ डाला जा सकता है।

कौन सी किस्में बेहतर हैं

किसान साथियों, वैसे तो अलग-अलग कृषि विभागों द्वारा मक्का की विभिन्न उन्नत किस्म तैयार की गई है, जो अलग-अलग मौसमों और जलवायु परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन करती हैं। लेकिन क्षेत्र की मिट्टी और जलवायु के हिसाब से सही किस्म का चयन करना मक्का की उत्पादन क्षमता पर बड़ा असर डालता है। इसलिए यहां हम तीनों मौसमों के लिए कुछ बेहतरीन किस्मों के बारे में चर्चा करेंगे।

रवि सीजन की किस्में

दोस्तों, यदि रवि सीजन की मक्का की उन्नत किस्म की बात करें तो पायनियर 3355 किस्म मक्का की एक प्रसिद्ध किस्म है, जो उच्च उत्पादन देती है। इस किस्म की पैदावार लगभग 50-55 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। साथ ही, रबी सीजन में हाइटेक 5106 किस्म भी उच्च उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती है। इसके अलावा डीकेसी 9144 किस्म अच्छी गुणवत्ता की मक्का देने के लिए प्रसिद्ध है। और एनके 30 प्लस किस्म की पैदावार और स्वाद दोनों ही उत्कृष्ट होते हैं।

जायद सीजन की किस्में

किसान साथियों, यदि आप मक्का की बुवाई फरवरी महीने में करना चाहते हैं तो इस समय जो मक्का की सबसे उपयुक्त किस्म मानी जाती है उनमें सबसे बेहतरीन किस्म पायनियर 18999 बताई जाती है। यह किस्म जल्दी तैयार होती है और 40-45 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार देती है। अगर अन्य किस्म की बात करें तो डीकेसी 9108 किस्म की फसल में उच्च पोषक तत्व होते हैं, जिससे यह अधिक उपयोगी होती है। इसके अलावा एनके 30 प्लस किस्म किसी भी इस सीजन में अच्छी पैदावार देती है।

खरीफ सीजन की किस्में

किसान साथियों, यदि हम खरीफ सीजन की मक्का की बेहतर किस्म की बात करें तो पायनियर 3401 किस्म खरीफ मौसम में शानदार प्रदर्शन करती है। इसके अलावा टाटा एमएम 7659 किस्म भी अच्छी गुणवत्ता की मक्का के लिए जानी जाती है, जो उच्च उत्पादन के साथ आती है। अन्य किस्म की अगर बात करें तो डीकेसी 9126 किस्म खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त है और यह किस्म काफी अच्छी पैदावार देती है। खरीफ सीजन में मक्का की फसल में अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है, इसीलिए इन किस्मों का चुनाव जलवायु और मौसम की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर किया गया है।

मक्का की बुआई का तरीका

किसान भाइयों, जब आप मक्का की बुवाई करते हैं तो मक्का की बुआई के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। इस समय, यदि सही दूरी पर बुआई की जाए, तो मक्का की फसल अच्छी तरह से बढ़ सकती है और उसकी पैदावार भी बढ़ सकती है। इसलिए मक्का की बुआई करते समय ध्यान रखें कि बीजों के बीच की दूरी लगभग 8 से 10 इंच रखनी चाहिए। क्योंकि इससे पौधों को पर्याप्त स्थान मिलता है और वे एक-दूसरे से टकराते नहीं हैं। इसके अलावा कतारों के बीच की दूरी लगभग 18 से 22 इंच रखनी चाहिए। इससे पौधों के बीच पर्याप्त हवा का संचार होता है, जिससे उनकी वृद्धि बेहतर होती है। बुवाई के समय फसल और मौसम के अनुकूल मिट्टी का चुनाव भी बहुत ही आवश्यक होता है।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।