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सिंचाई के बाद गेहूं में बस ये एक चीज़ डाल देना | पौधे और दाने बनेंगे हष्ट-पुष्ट

सिंचाई के बाद गेहूं में बस ये एक चीज़ डाल देना | पौधे और दाने बनेंगे हष्ट-पुष्ट
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सिंचाई के बाद गेहूं में बस ये एक चीज़ डाल देना | पौधे और दाने बनेंगे हष्ट-पुष्ट

किसान भाइयों, गेहूं भारत की प्रमुख फसलों में से एक है, खासकर बिहार जैसे कृषि प्रधान प्रदेशों में, जहां यह धान के बाद दूसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल मानी जाती है। देश के विभिन्न हिस्सों में, खासकर उत्तर भारत में, हर साल लाखों किसान गेहूं की खेती करते हैं, लेकिन इस फसल में बंपर पैदावार और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सही तकनीक और उर्वरकों का सही प्रयोग की जानकारी बहुत ही कम किसानों को होती है, जबकि किसानों को गेहूं की फसल के बारे में संपूर्ण जानकारी होना आवश्यक होता है। यदि हम गेहूं की फसल में सिंचाई, उर्वरक, और जल प्रबंधन की सही विधियों का पालन करते हैं, तो गेहूं की फसल की उत्पादकता में काफी वृद्धि हो सकती है। ऐसे ही कुछ जानकारी के अंतर्गत वर्तमान में, कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए MOP (Muriate of Potash) के प्रयोग के सुझाव से किसान अपनी फसल का उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार कर सकते हैं। इसके साथ ही, सिंचाई की सही तकनीक की जानकारी का चयन गेहूं की फसल के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इस रिपोर्ट में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे सिंचाई और MOP का प्रयोग मिलकर गेहूं की फसल को लाभकारी बना सकते हैं और किसान अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। तो चलिए इसे विस्तार से समझने के लिए शुरू करते हैं आज की यह रिपोर्ट।

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सिंचाई के बाद MOP का प्रयोग

किसान साथियों, सिंचाई और उर्वरकों का सही समय पर प्रयोग किसी भी फसल के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, और गेहूं की फसल में यह और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। क्योंकि जब गेहूं की फसल 60-70 दिन की हो जाती है, तो MOP (Muriate of Potash) का प्रयोग करने से फसल की गुणवत्ता में वृद्धि होती है। इसका उपयोग गेहूं के पौधों की मजबूती और बाली के आकार को बढ़ाने में मदद करता है। आपको बता दें कि MOP एक उर्वरक है, जो पोटाश का मुख्य स्रोत है, और यह पौधों की वृद्धि को तेज करता है, साथ ही उनके फल और दानों को बेहतर बनाता है। इसके अतिरिक्त MOP का प्रयोग करने से गेहूं की बाली अधिक लंबी और मोटी होती है, जिससे दाने भी बड़े और बेहतर होते हैं। इसके अलावा, यह उर्वरक पौधों को अधिक तगड़ा बनाता है, जिससे फसल गिरने का खतरा कम होता है और बंपर पैदावार की संभावना बढ़ती है। इस उर्वरक के प्रयोग से गेहूं की फसल का भूसा भी बेहतर होता है, जो पशुओं के लिए अच्छे चारे के रूप में काम आता है।

सिंचाई का सही तरीका

किसान साथियों, अगर बिहार राज्य की बात करें तो बिहार में बहुत से किसान गेहूं की खेती में फ्लड सिंचाई तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें खेतों में पानी को भर दिया जाता है। हालांकि यह तकनीक सामान्य रूप से प्रभावी हो सकती है, लेकिन जब गेहूं की फसल 60 से 70 दिन की हो जाती है, तो इस तकनीक का अधिक उपयोग फसल के लिए हानिकारक हो सकता है। क्योंकि अधिक पानी का जमाव पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है और इसकी वजह से फसल गिर सकती है। कृषि विशेषज्ञ अंशुमान द्विवेदी का कहना है कि इस समय ड्रिप इरीगेशन या क्यारी सिंचाई का तरीका अपनाना बेहतर होता है। इस प्रकार की सिंचाई में पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचता है, जिससे पानी की अधिक बर्बादी नहीं होती और फसल को पर्याप्त नमी मिलती है। इसके अलावा, इन विधियों से फसल का गिरना भी कम होता है, और अधिक उत्पादन की संभावना बढ़ती है।

MOP का सही उपयोग

किसान साथियों, यदि आप अपने गेहूं की फसल से अधिक उत्पादन और सही गुणवत्ता प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको उर्वरकों का सही मात्रा में और सही विधि से उपयोग करना बहुत ही आवश्यक है। इसके लिए आप MOP का उपयोग गेहूं की फसल में सिंचाई के बाद करना एक बेहतर विकल्प है ताकि पौधों को सही पोषण मिले और उनका विकास तेज हो। जब गेहूं की फसल 60 से 70 दिन की हो जाती है, तो इस समय MOP का प्रयोग फसल की वृद्धि को एक नई दिशा देता है। इसके छिड़काव के लिए इसमें यूरिया, पोटास और बोरोन मिलाकर 25 किलो प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना फसल के लिए काफी फायदेमंद होता है। क्योंकि फसल में सिंचाई के बाद इन उर्वरकों का उपयोग करने से गेहूं की बाली लंबी, मोटी और मजबूत होती है, जिससे दाने भी अच्छे आकार के होते हैं। इसके अलावा, MOP के छिड़काव से पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं, जिससे वे अधिक पानी और पोषक तत्वों का अवशोषण कर पाती हैं। लेकिन उर्वरकों का उपयोग करते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि MOP का सही मात्रा में प्रयोग फसल को अधिक लाभ पहुंचाता है, जबकि अधिक मात्रा से नुकसान भी हो सकता है।

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सिंचाई और MOP का संयोजन

किसान भाइयों, सिंचाई और MOP का सही संयोजन बना कर गेहूं की फसल में इसका उपयोग करते हैं तो यह गेहूं की फसल को बेहतर बनाने में सहायक होता है। यदि सिंचाई और उर्वरक दोनों का प्रयोग समय पर किया जाता है, तो यह न केवल पौधों को पर्याप्त पोषण प्रदान करता है, बल्कि उनकी वृद्धि को भी तेज करता है। क्योंकि जब MOP का छिड़काव सिंचाई के बाद किया जाता है, तो इससे गेहूं की बाली मजबूत होती है, जिससे दाने अधिक होते हैं और उनका आकार भी बेहतर होता है। इसके अलावा इससे न केवल पैदावार बढ़ती है, बल्कि भूसा भी मोटा और चिकना होता है, जो पशुओं के लिए अच्छा चारा बन सकता है। इस प्रकार, सिंचाई और MOP का समुचित प्रयोग किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है, और इससे वे अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

नोट: इस रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।