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गेहूं के खेत में बस ये खाद डाल दो | मुरझाए पेड़ भी खिल उठेंगे

गेहूं के खेत में बस ये खाद डाल दो | मुरझाए पेड़ भी खिल उठेंगे
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गेहूं के मुरझाए पौधे भी खिल उठेंगे, उर्वरकों का करें इस तरह उपयोग।

किसान भाइयों, गेहूं की फसल की सफलता के लिए कई पहलुओं का ध्यान रखना पड़ता है, जिनमें से खाद और स्प्रे का सही तरीके से उपयोग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खाद और उर्वरकों का सही समय पर और सही मात्रा में प्रयोग फसल के स्वास्थ्य और उत्पादकता को सीधे प्रभावित करता है। इसके अलावा, कीटों और रोगों से फसल की रक्षा करने के लिए सही समय पर स्प्रे करना भी अनिवार्य है। यदि इन तत्वों का सही ढंग से उपयोग किया जाए, तो किसान बेहतर पैदावार और स्वस्थ फसल प्राप्त कर सकते हैं। साथियों, हर किसान का सपना होता है कि उसकी फसल न केवल गुणवत्तापूर्ण हो, बल्कि उच्च उत्पादन भी दे। लेकिन इसके लिए एक विशेष योजना की जरूरत होती है, जिसमें खाद, उर्वरक और स्प्रे का समय पर उपयोग शामिल हो। इस रिपोर्ट में हम इन सभी पहलुओं को विस्तार से समझेंगे। हम यह जानेंगे कि खाद के प्रकार, उनका सही समय पर उपयोग, उर्वरक और पोषण तत्वों का स्प्रे, कीटनाशकों और रोगनाशकों का सही उपयोग कैसे फसल की वृद्धि और उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि गेहूं की फसल की देखभाल के दौरान किसानों को बहुत से छोटे-छोटे उपायों पर ध्यान देना होता है, जिनसे न केवल पैदावार में वृद्धि होती है, बल्कि फसल स्वस्थ रहती है और कीटों या रोगों से प्रभावित नहीं होती। यह लेख उन सभी महत्वपूर्ण बातों पर रोशनी डालेगा जो गेहूं की खेती में सफलता प्राप्त करने के लिए बेहद उपयोगी हैं। तो चलिए शुरू करते हैं यह रिपोर्ट।

गेहूं की फसल में खाद का महत्व

किसान साथियों, गेहूं की फसल के विकास के लिए उचित खाद और उर्वरक का सही समय पर उपयोग अनिवार्य है। अगर किसी फसल को उचित पोषण नहीं मिलता, तो उसकी वृद्धि प्रभावित हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप पैदावार कम हो सकती है और फसल का स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है। खाद के इस्तेमाल से पौधों को बढ़ने में जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं, जो फसल के स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं।

खाद डालने का सही समय और तरीका

किसान साथियों, गेहूं की फसल में खाद डालने का सही समय बहुत महत्वपूर्ण है। खाद के सही समय पर प्रयोग से पौधों में पोषण की कमी को पूरा किया जा सकता है और वृद्धि को बढ़ावा मिलता है। आप नीचे बताए गए तरीके और समय के हिसाब से अपनी गेहूं की फसल में खाद का उपयोग करके फसल के उत्पादन को बेहतर बना सकते हैं।

1. बुवाई के समय खाद डालना:
साथियों, गेहूं के बढ़िया उत्पादन के लिए खेत में बुवाई के समय खाद का उपयोग सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस समय उर्वरक का इस्तेमाल बीज को मजबूत करने और उसकी बेहतर वृद्धि के लिए किया जाता है। यूरिया, डाई-ऐमोनियम फास्फेट, और सिंगल सुपर फास्फेट जैसी खाद का बुवाई के समय उपयोग किया जा सकता है।

2. प्रथम सिंचाई के समय:
दोस्तों, गेहूं की बिजाई के बाद फसल के 20 से 25 दिन बाद, जब पहली सिंचाई की जाती है, तो इस समय भी खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे पौधों को हरा-भरा रखने और उनके विकास में मदद मिलती है।

3. दूसरी सिंचाई के समय:
साथियों, गेहूं की फसल में 45-50 दिन की अवस्था में जब आप दूसरी सिंचाई करें तो खाद की दूसरी खुराक देने से पौधों का विकास गति पकड़ता है और फसल का उत्पादन बढ़ता है। आप इस बात का भी ध्यान रखें कि दूसरी सिंचाई के समय खाद का किसान भाइयों के पास आखिरी मौका होता है, इसलिए इस समय आप अपनी फसल में उन सभी उर्वरकों की पूर्ति कर दें जो पहले आप अपनी फसल में नहीं डाल सके थे।

कौन से उर्वरकों का करें उपयोग

किसान साथियों, अब हम बात करेंगे कि आप अपनी गेहूं की फसल में उत्पादन को बढ़ाने के लिए कौन-कौन सी खादों का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए किसान भाई अपनी गेहूं की फसल में कई प्रकार की खादों का उपयोग कर सकते हैं। और इन्हें सही समय पर डालना आवश्यक है, ताकि पौधों को पर्याप्त पोषक तत्व मिल सकें। ये खाद इस प्रकार हैं:

1. यूरिया:
यह नाइट्रोजन का बेहतरीन स्रोत है, जो पौधों की हरी-भरी बढ़त के लिए जरूरी है। इसकी सही मात्रा का प्रयोग करके फसल की वृद्धि में वृद्धि की जा सकती है। यूरिया का उपयोग गेहूं की फसल में आप तीन चरणों में कर सकते हैं: यूरिया को आप शुरुआत में बुवाई के समय खेत में डालें और फिर पहली सिंचाई और दूसरी सिंचाई पर भी यूरिया का उपयोग फसल के बेहतर उत्पादन के लिए करें।

2. सागरिका खाद:
इसमें पोषक तत्वों का अच्छा मिश्रण होता है, जो पौधों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। सागरिका का उपयोग आपकी गेहूं की फसल की बढ़िया वृद्धि और फसल की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए काफी फायदेमंद है। सागरिका से गेहूं के पौधों की जड़ों का विकास होता है, जिससे पौधे ज्यादा गहराई तक पोषक तत्वों की प्राप्ति करने में सफल रहते हैं।

3. जिंक सल्फेट:
यह गेहूं की फसल में जिंक की कमी को पूरा करने के लिए उपयोगी है। जिंक का प्रयोग पौधों की मजबूती और बेहतर वृद्धि में सहायक होता है। जिंक से अंकुर मजबूत होता है, जिंक से प्रकाश संश्लेषण होता है, और जिंक से पौधे और बीज अनाज झिल्ली का काम करते हैं। जिंक की कमी से गेहूं की फसल की बढ़वार एक समान नहीं रहती और फसल पकने में ज्यादा समय लेती है।

4. फेरस सल्फेट:
यह आयरन का अच्छा स्रोत है, जो गेहूं के पौधों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है। फेरस सल्फेट में मौजूद आयरन, पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्व है। आयरन की कमी से पौधों की पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और उनका विकास रुक जाता है। फेरस सल्फेट से पौधों को आयरन मिलता है, जिससे क्लोरोफिल बनता है और पत्तियां हरी-भरी रहती हैं। फेरस सल्फेट से मिट्टी का पीएच संतुलित होता है। क्षारीय मिट्टी में पीएच को कम करके, यह मिट्टी को थोड़ा अम्लीय बनाता है, जिससे मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ती है। फेरस सल्फेट से पौधों के रूट डेवलपमेंट में मदद मिलती है।

स्प्रे का महत्व

किसान साथियों, गेहूं की फसल में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने और कीटों तथा रोगों से बचाव करने के लिए स्प्रे करना बहुत आवश्यक है। फसल की उचित देखभाल के लिए न केवल खाद, बल्कि सही समय पर स्प्रे का उपयोग भी जरूरी है। जब गेहूं की फसल 45-50 दिन पुरानी होती है, तो उसे पोषक तत्वों और कीटनाशक के स्प्रे की आवश्यकता होती है। इससे फसल स्वस्थ रहती है और उपज की गुणवत्ता में सुधार होता है। इसके लिए किसान भाई एनपीके 19:19:19 और 18:18:18 स्प्रे अपनी फसल में कर सकते हैं। यह उर्वरक नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाशियम का सही संतुलन प्रदान करता है। इसका स्प्रे करने से फसल में पोषण की कमी दूर होती है, जिससे पौधे हरे-भरे और मजबूत होते हैं। किसान भाई फसल में पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए सागरिका का स्प्रे भी 45 से 50 दिन की अवस्था में अपनी फसल में कर सकते हैं।

कीटनाशक और रोगनाशक स्प्रे

किसान भाइयों, गेहूं की फसल के बढ़िया उत्पादन के लिए उर्वरकों के साथ-साथ कीटों और रोगों से बचाव के लिए स्प्रे करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि समय रहते इनसे बचाव न किया जाए, तो ये फसल को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। कीटनाशक और फंगीसाइड का सही उपयोग फसल की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। कीटों से फसल की सुरक्षा के लिए किसान भाई अल्ड्रिन और डीडीटी का स्प्रे अपनी फसल में कर सकते हैं। ये वो कीटनाशक हैं, जो कीटों के नियंत्रण के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। गेहूं की फसल को रोगों से बचने के लिए मैन्कोज़ेब और कार्बेन्डाज़िम 10 अप्रैल गेहूं की फसल के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो सकता है। ये वो फंगीसाइड्स हैं, जो फंगल रोगों को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।