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मक्का के खेत में बस ये तीन चीजें डाल देना | खेत बन जाएगा नोट छापने की मशीन

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मकई के खेत में यह तीन चीज मिलाकर डाल दो अनाज से भर जाएंगी ट्रोलियां

किसान भाइयों, मक्का जो रबी सीजन में बोई जाती है और किसानों के लिए एक लाभकारी उपज साबित होती है। इसके लिए सही तरीके से देखभाल और खाद का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसके लिए हमें यह समझना जरूरी है कि मक्के की उपज को बेहतर बनाने के लिए सिर्फ सिंचाई ही नहीं, बल्कि सही खाद का चयन और समय पर डालना भी आवश्यक है। यूरिया, पोटाश और मिक्सचर का सही मिश्रण मक्के की फसल को मजबूत और बेहतर बनाता है। इसके साथ ही, बुवाई से पहले और बाद में सही खाद का उपयोग, और सही बीजों का चयन मक्के की पैदावार को बढ़ाने में सहायक होता है। अगर आपने मक्के की खेती कर रखी है, तो इन टिप्स को अपनाकर आप भी अपनी फसल से बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। खेती में सावधानी और सही तरीके से काम करने से हमेशा सफलता मिलती है, मक्की की खेती से बढ़िया उत्पादन प्राप्त करने के लिए आज हम बात करेंगे कि कैसे मक्के की खेती में सिंचाई से पहले कौन सी तीन प्रमुख खादों का उपयोग करना चाहिए, ताकि उत्पादन बेहतर हो और किसानों को अच्छे परिणाम मिलें। तो चलिए इन उर्वरकों के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त करने के लिए शुरू करते हैं आज की यह रिपोर्ट।

मक्के की खेती में खाद का उपयोग

किसान साथियों, मक्के की फसल से अच्छी पैदावार के लिए खाद का सही उपयोग बहुत जरूरी होता है। खाद का उपयोग मक्के के पौधों को बढ़ने में मदद करता है, और उनकी सेहत को बनाए रखने में सहायक होता है। मक्के के खेत में यूरिया, पोटाश और मिक्सचर का मिश्रण डालने से पौधों को सभी जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं। ये तत्व मक्के के पौधों को मजबूत बनाने और अधिक फसल देने में मदद करते हैं। एक जाने माने किसान लालबाबू सिंह ने अपने अनुभव से यह साबित किया है कि यूरिया, पोटाश और मिक्सचर को एक साथ डालने से मक्के के दानों का आकार बड़ा और मजबूत होता है। यह तरीका पिछले कई सालों से उनके लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। गोपालगंज के किसान इस विधि को अपनाकर बेहतर उपज प्राप्त कर रहे हैं।

बुवाई से पहले खाद का उपयोग

किसान भाइयों, जब मक्के की बुवाई शुरू होती है, तब सबसे पहले खेत की तैयारी की जाती है। इस समय यदि खाद का सही उपयोग किया जाता है तो यह पैदावार के लिए काफी फायदेमंद होता है। किसान लालबाबू सिंह के अनुसार, बुवाई से पहले खेत में खाद डालना बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है और मक्के के पौधों को सही तरीके से बढ़ने में मदद करता है। इसके बाद, जब मक्का थोड़ा ऊंचाई पर पहुंच जाता है, तो सिंचाई के साथ-साथ खाद डालना जरूरी होता है। इस समय खाद डालने से मक्के के पौधों में ताकत आती है और फसल बेहतर होती है। इसके बाद, लगातार सिंचाई और खाद का सही प्रयोग मक्के की अच्छी फसल की ओर मार्गदर्शन करता है।

सिंचाई के समय खाद का उपयोग

किसान साथियों, मक्का की फसल से बढ़िया उत्पादन प्राप्त करने के लिए मक्का की खेती में सिंचाई बहुत जरूरी होती है। सिंचाई के दौरान, किसान खाद डालने की प्रक्रिया को भी महत्वपूर्ण मानते हैं। सिंचाई से पहले खाद डालने से मक्के के पौधों को जल और पोषक तत्व एक साथ मिलते हैं। इससे पौधों की वृद्धि में मदद मिलती है और पैदावार अधिक होती है। इसलिए आपको इस बात का भी ध्यान रखने की आवश्यकता है कि सिंचाई के समय खाद का सही मात्रा में उपयोग करना भी फसल के उत्पादन के लिए बहुत आवश्यक है। पहली सिंचाई के बाद फसल के विकास के बाद, अगले तीन महीने में और सिंचाई करनी होती है, लेकिन उसमें यूरिया ही डाला जाता है। यूरिया एक महत्वपूर्ण नाइट्रोजन स्रोत है जो मक्के की फसल को बेहतर बढ़ने में मदद करता है।

बीजों का चयन

किसान भाइयों, मक्का की फसल में अधिक उत्पादन प्राप्त करने और मक्का की फसल की सफलता में बीज का चयन भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सही बीज का चयन फसल की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। इसलिए, बुवाई से पहले कृषि वैज्ञानिकों से राय लेकर और अनुभवी किसानों से सलाह लेकर बीजों का चुनाव किया जाना चाहिए। क्योंकि किसी भी फसल की सफलता की शुरुआत सही बीज के चुनाव से ही होती है। बीजों के सही चयन से मक्के की फसल में बीमारी का खतरा कम होता है और उत्पादन बढ़ता है। यही कारण है कि समझदार किसान बीजो का चुनाव सोच-समझकर करते हैं और हमेशा फसल से बहुत अधिक उत्पादन प्राप्त करते हैं।

खाद की मात्रा

किसान भाइयों, अब हम बात करेंगे मक्का की फसल से बेहतर उत्पादन लेने के लिए इन तीनों खादों का आप कितनी मात्रा में फसल में उपयोग करें, तो इसके लिए आप यूरिया की आधी मात्रा बराबर-बराबर मात्रा में दो बार पहली बुवाई से 30-35 दिन बाद तथा दूसरी मात्रा नर मंजरी (टैसलिंग) निकलते समय छिड़काव के रूप में देनी चाहिए। बेवीकार्न मक्का हेतु आधी नत्रजन बोते समय तथा आधी मात्रा बुवाई के 25-30 दिन बाद फसल में डाले। यानी की एक बैग यूरिया का पहली सिंचाई के समय और एक बैग यूरिया का दूसरी सिंचाई के समय प्रति एकड़ के हिसाब से आपको मक्की की फसल में डालना चाहिए। इसके अलावा जल्दी पकने वाली मक्का के लिए 60-80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फ़ॉस्फ़ोरस, और 40 किलोग्राम पोटाश की ज़रूरत होती है। मध्यम और देर से पकने वाली मक्का के लिए 100-120 किलोग्राम नाइट्रोजन की ज़रूरत होती है। मक्का की फ़सल में उर्वरक की मात्रा का पता लगाने के लिए, प्रति हेक्टेयर लक्ष्य उपज को 20-25 किलोग्राम से गुणा करें।

नोट:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।