लहसून में 70 दिन बाद बस यह काम कर लो | उत्पादन के टूट जाएंगे सारे रिकॉर्ड।
किसान साथियों, लहसुन की फसल को उगाने में बहुत मेहनत और धैर्य की जरूरत होती है। यदि आपने भी लहसुन की खेती की है और आपकी फसल 70 से 90 दिन की हो चुकी है, तो यह समय आपकी फसल के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि इस दौरान लहसुन की फसल में कई बदलाव आते हैं, और इस समय पर लहसुन की फसल की अगर सही तरीके से देखभाल की जाए, तो आप अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। लहसुन की फसल को सही तरीके से उगाने के लिए यह समझना जरूरी है कि 70 से 90 दिन की अवस्था में लहसुन की फसल में क्या बदलाव होते हैं। इस दौरान फसल में छोटे-छोटे लहसुन के गुच्छे बनने लगते हैं, और यही वह समय होता है जब आपको अपनी फसल के पोषण, जलवायु और देखभाल पर विशेष ध्यान देना पड़ता है। अगर आप यह जानना चाहते हैं कि इस समय में किस प्रकार की देखभाल और उपाय अपनाने से आपकी लहसुन की फसल और भी बेहतर होगी, तो इस रिपोर्ट को अंत तक पढ़ें। क्योंकि इस रिपोर्ट में हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि इस समय में आपको कौन-कौन सी बातें ध्यान में रखनी चाहिए और कौन सी गलतियों से बचना चाहिए, ताकि आपकी लहसुन की फसल सही तरीके से बढ़ सके। तो चलिए उन सब प्रमुख कारकों पर विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं जो इस अवस्था में लहसुन की फसल को प्रभावित कर सकते हैं।
ग्रोथ प्रमोटर खाद से बचें
किसान भाइयों, लहसुन की फसल में 70 से 90 दिन के बीच सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको किसी भी प्रकार की ग्रोथ प्रमोटर खाद जैसे यूरिया या अन्य किसी भी रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। यूरिया और अन्य ग्रोथ प्रमोटर खादों से लहसुन की फसल में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि कंद का फटना और तने का फटना। यह समस्याएं आपकी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों को प्रभावित कर सकती हैं। इसके अलावा इस समय में लहसुन की फसल में केवल प्राकृतिक पोषक तत्वों का ही उपयोग करना चाहिए। इससे लहसुन के कंद का सही विकास होता है और फसल में अच्छे परिणाम मिलते हैं। इसलिए, इस समय यूरिया या अन्य ग्रोथ प्रमोटर खाद से पूरी तरह से बचें।
एनपीके का स्प्रे
किसान साथियों, अगर आपकी लहसुन की फसल 70 से 90 दिन के बीच में पीली पड़ने लगी है, तो यह संकेत हो सकता है कि फसल को कुछ पोषक तत्वों की कमी हो रही है। ऐसे में आप एनपीके 12-6-10 या एनपीके 13-0-45 का स्प्रे कर सकते हैं। यह स्प्रे लहसुन के पीलेपन को दूर करने में मदद करता है और फसल की बढ़त को सही दिशा में बनाए रखता है। इन एनपीके स्प्रे से लहसुन की फसल में आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति होती है, जिससे पौधों की वृद्धि धीमी होती है और कंद का आकार अच्छा रहता है। ध्यान रखें कि स्प्रे करते समय मौसम का ध्यान रखें और सुबह या शाम के समय स्प्रे करें ताकि पौधों पर ज्यादा तनाव ना पड़े। इसके अलावा उर्वरक की मात्रा का भी ध्यान रखना आवश्यक है। फसल के चक्र और समय के हिसाब से उर्वरक का इस्तेमाल करें। आप इसे पौधों की मध्य अवस्था से लेकर परिपक्वता तक कर सकते हैं। किसान भाई इसे ड्रिप सिंचाई या पत्ती स्प्रे विधि से भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए पौधों पर छिड़काव करने के लिए, 1 लीटर पानी में 1 चम्मच उर्वरक घोलकर डालें।
थ्रिप्स की समस्या
किसान साथियों, लहसुन की फसल में थ्रिप्स की समस्या 70 से 90 दिन के बीच बहुत आम होती है। थ्रिप्स छोटे कीड़े होते हैं जो पौधों के रस को चूसकर उन्हें कमजोर कर देते हैं। इससे लहसुन के कंद का विकास ठीक से नहीं हो पाता और फसल का उत्पादन कम होने के साथ-साथ फसल की गुणवत्ता में भी कमी आती है। अगर आपकी लहसुन की फसल में थ्रिप्स की समस्या आ रही है, तो इसके लिए आपको कीटनाशक का इस्तेमाल करना पड़ेगा। कीटनाशक दवाई में आप गार्डा कंपनी के पुलिस या बायर कंपनी के लिसेंट कीटनाशक का उपयोग कर सकते हैं। इन कीटनाशकों से थ्रिप्स का नियंत्रण किया जा सकता है और फसल की सेहत में सुधार हो सकता है। इसके अलावा इस रोग के नियंत्रण के लिए आप डाइमिथोएट 30 ईसी या फिर इमिडाक्लोप्रिड एक मिली दवा प्रति लीटर पानी की दर से घोल तैयार कर छिड़काव करें। या फिर लैंब्डा साइहेलोथ्रिन 2.5 अथवा पांच प्रतिशत का भी उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए 2.5 प्रतिशत वाली दवा 400 मिली और पांच प्रतिशत वाली दवा 250 मिली प्रति एकड़ में का उपयोग किया जा सकता है।
बोरान का स्प्रे
किसान साथियों, 70 से 90 दिन की अवस्था में लहसुन के कंद के अच्छे विकास के लिए बोरान का उपयोग करना बहुत फायदेमंद होता है। क्योंकि बोरान से कंद में फटने की समस्या कम होती है और कंद का आकार बेहतर होता है। फसल की सही बढ़वार के लिए इस समय आपको कम से कम 300 से 400 ग्राम बोरान प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करना चाहिए। इसके अलावा इसके साथ ही एनपीके 05-23-34 का स्प्रे भी करें, जिसमें 52% फास्फोरस और 34% पोटाश होता है, जो कंद के विकास में मदद करता है। इन पोषक तत्वों से लहसुन की फसल में कंद का आकार बढ़ता है और फसल की गुणवत्ता में सुधार आता है।
डीएपी या 12-16 खाद
साथियों, कुछ किसान भाई 70 से 90 दिन के बीच लहसुन की फसल में डीएपी या 12-16 खाद का उपयोग करने की गलती करते हैं, लेकिन इस समय इन खादों की आवश्यकता नहीं होती है। डीएपी या 12-16 खादों का अधिक प्रयोग लहसुन की फसल में नुकसान कर सकता है, क्योंकि ये तत्व फसल के पोषण के लिए आवश्यक नहीं होते हैं। अगर आपको इस अवस्था में खाद डालनी ही है, तो आप कैल्शियम नाइट्रेट का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह फसल में 20-25 किग्रा प्रति एकड़ की दर से डाला जा सकता है, जिससे पौधों की संरचना मजबूत होती है और कंद का विकास अच्छे से होता है।
म्यूरेट ऑफ पोटाश का उपयोग
किसान भाइयों, लहसुन की फसल के 70 से 90 दिन के बीच म्यूरेट ऑफ पोटाश का इस्तेमाल करना भी फायदेमंद रहता है। यह फसल में पोटाश की कमी को पूरा करता है, जिससे कंद का आकार और गुणवत्ता बेहतर होती है। आप इस समय पर लहसुन की फसल में 30-50 किग्रा प्रति एकड़ की दर से म्यूरेट ऑफ पोटाश डाल सकते हैं। क्योंकि म्यूरेट ऑफ पोटाश से लहसुन में कंद का सही विकास होता है और फसल अधिक मात्रा में तैयार होती है। यह खाद खासतौर पर कंद के आकार को बढ़ाने में मदद करती है, जिससे आपको अच्छी पैदावार मिलती है।
सिंचाई का रखें ध्यान
किसान भाइयों, जहां लहसुन की फसल की बढ़िया बढ़वार और अधिक उत्पादन के लिए उर्वरकों का प्रयोग अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, इस प्रकार सिंचाई भी लहसुन की फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। 70 से 90 दिन के बीच में आपको सिंचाई की मात्रा पर ध्यान देना चाहिए। इस समय फसल की जरूरत के अनुसार पानी देना चाहिए, लेकिन अत्यधिक पानी देने से बचें। ज्यादा पानी से कंद खराब हो सकता है। अंतिम अवस्था में जब लहसुन का कंद तैयार हो रहा हो, तो पानी की मात्रा को कम कर दें और सिंचाई का गैप बढ़ा दें। इससे कंद का आकार बढ़ेगा और फसल भी ज्यादा समय तक खराब नहीं होगी।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।