अगर आपका गेहूं पीला हो रहा है तो बस आप ये पोस्ट देख लो | पीलेपन का रामबाण इलाज
गेहूं की फसल में पीलापन आना किसानों के लिए एक आम समस्या है, जो अक्सर फसल की शुरुआती अवस्था में देखी जाती है। यह समस्या तब और बढ़ जाती है जब पौधा पोषण सही से नहीं ले पाता या जड़ों पर कीटों का हमला होता है। पौधे की पत्तियां पीली हो जाती हैं, जिससे फसल की उपज और गुणवत्ता प्रभावित होती है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि गेहूं में पीलापन क्यों आता है और इसे ठीक करने के लिए कौन-कौन से उपाय किए जा सकते हैं।
जड़ों पर कीटों का हमला
जब गेहूं की फसल 30-40 दिनों की अवस्था में होती है, तो जड़ों पर कीटों का हमला होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। जड़मऊ और दीमक जैसे कीट जड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है। जड़मऊ जड़ों का पोषण खींच लेते हैं, और दीमक जड़ों को काटकर पौधे को कमजोर बना देती हैं। इससे पौधे में पीलापन आना शुरू हो जाता है। इसके अलावा, जड़ों में निमेटोड के कारण गांठें बन जाती हैं, जो जड़ों की कार्यक्षमता को बाधित करती हैं और पौधा पोषण लेना बंद कर देता है।
इस समस्या को रोकने के लिए कांफिडोर cofidor नामक कीटनाशक का उपयोग करें। कांफिडोर में मौजूद अमीदा क्लोपिड रसायन जड़मऊ और दीमक को मारने में सक्षम होता है। इसे यूरिया के साथ मिलाकर फसल में छिड़काव करें। निमेटोड की समस्या के लिए Carbofuran 3%CG का उपयोग करें। इसे यूरिया के साथ मिलाकर खेत में डालने से निमेटोड का प्रभाव खत्म हो जाता है।
पोषक तत्वों की कमी
पोषक तत्वों की कमी गेहूं में पीलापन आने का एक बड़ा कारण है। यदि पौधे को नाइट्रोजन, जिंक, सल्फर या पोटाश जैसे तत्व सही मात्रा में नहीं मिलते, तो पत्तियां पीली होने लगती हैं। नाइट्रोजन की कमी से पुरानी पत्तियां पीली होती हैं, जबकि जिंक की कमी से नई पत्तियों की नसें हरी और बाकी हिस्सा पीला हो जाता है। सल्फर की कमी से पौधे की नई पत्तियां गीली और कमजोर दिखती हैं। पोटाश की कमी से पत्तियों के किनारे जले हुए प्रतीत होते हैं।
इन पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए नाइट्रोजन की कमी के लिए यूरिया का छिड़काव करें। जिंक की कमी को पूरा करने के लिए जिंक सल्फेट (21% या 33%) का उपयोग करें। इसके अलावा सल्फर की कमी के लिए 80% WDG फॉर्मूलेशन वाली सल्फर का उपयोग करें। ये भुजिया टाइप में आती है पाउडर फॉर्म में भी आती है तो आप ऐसे जो है सल्फर की पूर्ति कर सकते हैं या फिर 80% में जो सल्फर आती है इसका आप स्प्रे भी कर सकते हैं तो वो भी इसका आपको तुरंत रिजल्ट मिलेगा |
और यदि पोटाश की कमी है तो पत्तियों के किनारे लाल पीली होते हुए आपको नजर आएंगे और एक प्रकार से ऐसा लगेगा की पौधे की पत्तियों के किनारों से जली हुई हैं या फिर किनारो से आपको जली हुई महसूस होगी लाल और पीले रंग की आपको भूरे कलर के पत्तियों के ऊपर निशान दिखाई देंगे तो पोटाश की कमी को दूर करने के लिए एनपीके 00:00:50 का छिड़काव करें। अगर फसल में एक से ज्यादा पोषक तत्वों की कमी है,तो एनपीके का प्रयोग करना है जो एनपीके 19:19:19 आती है इसके अलावा ऐसे ही 20-20-20 एमपी के आती है तो इनमें से कोई भी एक एनपीके 1 किग्रा की मात्रा लेनी है इसके साथ में 100 ग्राम से चिलेटेड जिंक chelated zinc जो 12% में आता है और इसको इन दोनों को आपको अलग-अलग घोल बनाकर 100 लीटर पानी के साथ में एक एकड़ में स्प्रे करना है बहुत ही शानदार रिजल्ट मिलता है
खरपतवार नाशक का प्रभाव
कई बार पहली सिंचाई के साथ खरपतवार नाशक का छिड़काव किया जाता है, जिससे पौधे पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। खरपतवार नाशक फसल की वृद्धि को धीमा कर देते हैं और पीलापन बढ़ जाता है। यह समस्या अधिक मात्रा में खरपतवार नाशक के उपयोग से बढ़ सकती है।
इस स्थिति में 2 किलोग्राम यूरिया और 100 ग्राम chelated zinc को 100 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें। इससे फसल का पीलापन दूर होकर उसका रंग हरा-भरा हो जाएगा।
मौसम परिवर्तन भी फसल में पीलापन का कारण बनता है। दिन में अत्यधिक गर्मी और रात में ठंड के कारण पौधे को तनाव होता है, जिससे पत्तियां पीली पड़ सकती हैं। यह समस्या आमतौर पर मौसम स्थिर होने पर अपने आप ठीक हो जाती है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।