धान को तना छेदक बीमारी से बचाना है तो अभी से कर लें यह काम नहीं तो हो सकता है नुकसान
किसान साथियों आज हम धान के फसलों में लगने वाली तना छेदक सुंडी के बारे में बात करेंगे, जिसे कई किसान राइस स्टेम बोरर भी कहते हैं। कुछ जगहों पर इसे पेडि स्टेम बोरर या येलो स्टेम बोरर के नाम से भी जाना जाता है। यह कीड़ा एशिया के लगभग सभी देशों में पाया जाता है और रबी व खरीफ दोनों सीजन में धान की फसलों को नुकसान पहुंचाता है।
इसकी मादा की पहचान करना आसान है। इसकी तितली लगभग 2 सेंटीमीटर लंबी होती है और इसके गोलाकार पंखों पर दो काले धब्बे होते हैं। मादा की पहचान के लिए एक महत्वपूर्ण बात यह है कि यह रात के समय लाइट की ओर आकर्षित होती है, जिससे इसका हमला तेज होता है। मादा द्वारा दिए गए अंडे हल्के क्रीमी सफेद रंग के होते हैं और इन्हें खेत में पत्तियों पर देखा जा सकता है। अंडों के अंदर लगभग 40 से 80 अंडे होते हैं, जो मौसम की अनुकूलता के अनुसार 5 से 8 दिन के अंदर लार्वा (सुंडी) में बदल जाते हैं।
सुंडी का रंग हल्का पीला होता है, जिससे इसे येलो स्टेम बोरर कहा जाता है। यह सुंडी धान के पौधों के तनों में सुराख करती है और मल छोड़ती है, जिससे सुराख बंद हो जाता है। जब धान की बाली बनने की अवस्था शुरू होती है, तो सुंडी बाली को खाना शुरू कर देती है। इस कारण बाली सफेद रंग की निकलती है, क्योंकि उसकी पोषण क्षमता खत्म हो जाती है और उसे न्यूट्रिशन नहीं मिल पाता।
यदि सुंडी ने बाली को काट दिया है, तो वह पूरी तरह से सफेद हो जाती है और उसमें चावल नहीं बनते, जिससे 100% नुकसान हो जाता है। सुंडी की औसतन लंबाई 2 सेंटीमीटर होती है और यह 30 से 40 दिन तक खेतों में नुकसान करती है। प्यूप स्टेज (प्यूपा अवस्था) आने के बाद सुंडी खेत में नुकसान नहीं करती है।
अब बात हम आगे बताते हैं कि कुछ खेतों में सुंडी का हमला अधिक क्यों होता है। यदि आपने धान की अगेती धान की किस्म लगाई है, तो नुकसान 1% से 19% तक हो सकता है। लेट बुवाई या शॉर्ट टर्म वैरायटी वाले खेतों में नुकसान 38% से 40% हो सकता है। अगर आपने फसल को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त ग्रोथ प्रोडक्ट्स या ज्यादा मात्रा में यूरिया नहीं डाला है, तो नुकसान कम हो सकता है। अत्यधिक नाइट्रोजन या ग्रोथ प्रमोटर के उपयोग से पौधे मुलायम हो जाते हैं, जिससे सुंडी आसानी से हमला करती है।
सुंडी की रोकथाम के लिए, आप विभिन्न स्प्रे कर सकते हैं
नोवेल्यूरॉन 10 ईसी=150 ml/एकड़
नोवेल्यूरोन + इमामेक्टिन
बेंजोएट = 200 मि.ली./ एकड़
नोवेल्यूरॉन + इंडोक्साकार्ब=150 मि.ली./ एकड़
इमामेक्टिन बेंजोएट 5 एसजी-100 ग्राम/एकड़
मोनोक्रोटोफॉस 36 एसएल=400मिली/ एकड़
इंडोक्साकार्ब 14.5 एससी =300मिली/एकड़
फ्लुबेंडियामाइड(39.35% 33ml/एकड़ ,
फ्लुबेंडियामाइड(20% WDG,100/एकड़
क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5 % 60 ml/एकड़
यहां पर कुछ ब्रांड के नाम भी दिए हैं, जैसे टाको, अदामा की ब्रोज, कार टेप, और फिप्रो। इनकी डोज भी बताई गई है। ध्यान रखें कि दानेदार जहर का प्रयोग कम प्रभावी हो सकता है, इसलिए इन्सेक्टिसाइड स्प्रे का प्रयोग करना बेहतर है। आप स्प्रे के साथ फंगी साइड भी मिला सकते हैं अगर लीफ स्पॉट या लीफ ब्लास्ट की समस्या भी हो रही हो।
किसानों के लिए सुझाव
हर साल अलग-अलग फसलें लगाने से सुंडी के प्रकोप को कम किया जा सकता है।
खरपतवारों को समय-समय पर नष्ट करना चाहिए क्योंकि ये सुंडी के लिए शरणस्थली का काम करते हैं।
ट्राइकोग्रामा नामक परजीवी कीट सुंडी के अंडों को नष्ट करता है।
फसल कटाई के बाद खेत को साफ-सफाई करके सुंडी के अंडों और लार्वा को नष्ट किया जा सकता है।
सुंडी के हमले के लक्षणों को समय पर पहचानकर उपचार किया जा सकता है।
किसी भी नए कीटनाशक का उपयोग करने से पहले कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेनी चाहिए।
निष्कर्ष
धान में तना छेदक सुंडी एक गंभीर समस्या है जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है। उपरोक्त उपायों को अपनाकर किसान इस समस्या से प्रभावी ढंग से निपट सकते हैं और अपनी फसल को बचा सकते हैं। उम्मीद है कि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी होगी। धन्यवाद।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।