सरसों में 42 लैब का उत्पादन चाहिए तो बस ये एक काम कर लो
किसान साथियो पिछले कुछ दिनों से सरसों के भाव कमजोर हो रहे हैं। खास तौर पर नान कंडीशन सरसों के केस में बढ़िया भाव लेना आज एक चैलेंज की तरह हो गया है। अब किस सोचने लगे हैं कि कुछ ऐसा तरीका अपनाया जाए जिससे सरसों में बढ़िया उत्पादन होने के साथ-साथ बढ़िया लैब भी मिल जाए। सरसों किसानों को आमतौर पर 8 से 10 क्विंटल सरसों का उत्पादन प्रति एकड़ में मिलता है। और इस सरसों में तेल की मात्रा भी 35-40 प्रतिशत की रहती है। आज के समय में इतने उत्पादन और इतने तेल में सरसों की खेती से गुजारा करना मुश्किल है। लेकिन साथियो अगर सरसों की खेती को आधुनिक तरीके से किया जाए तो एक एकड़ जमीन से 15-16 क्विंटल उत्पादन और 42 % तेल वाली सरसों का उत्पादन लिया जा सकता है। साथियो आज की रिपोर्ट में हम आपको सरसों में पहली सिंचाई के समय डाली जाने वाली खाद और न्यूट्रिएंट की जानकारी देने वाले हैं जो आपकी सरसों के उत्पादन को बढ़ाने के साथ साथ तेल बढ़ाने में भी सहायक होंगे।
दोस्तो क्योंकि सरसों का भाव सरसों में तेल की मात्रा के ऊपर निर्भर करता है, इसलिए किसान भाई सरसों की फसल में तेल की गुणवत्ता और मात्रा को बढ़ाने के लिए तरह-तरह के उर्वरकों का उपयोग करते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार सल्फ़र, तिलहनी फसलों के लिए बहुत ज़रूरी होता है। सल्फ़र की कमी से पौधों की वृद्धि गंभीर रूप से प्रभावित होती है। आम तौर पर, पौधों को नाइट्रोजन की तुलना में दसवें हिस्से की मात्रा में सल्फ़र की ज़रूरत होती है। लेकिन इसकी कमी आपकी फसल में तेल की मात्रा को घटा सकती है। इंटरनेशनल जनरल ऑफ़ प्लांट एंड सॉइल साइंस के अनुसार भारतीय मिट्टी में आमतौर पर 10 से 6319 मिलीग्राम किग्रा-1 सल्फ़र होता है। ज़्यादातर कृषि मिट्टी में औसतन 30 से 300 मिलीग्राम किग्रा-1 सल्फ़र होता है। सल्फर मिलाने से एसिटाइल-सीओए कार्बोक्सिलेज नामक एंजाइम की गतिविधि को बढ़ाकर सरसों के तेल की मात्रा बढ़ जाती है। विभिन्न शोध कार्यक्रमों के आधार पर सरसों उगाने वाले विभिन्न क्षेत्रों में सल्फर निषेचन के लिए सिफारिशें की गई हैं। दोस्तो इसके अलावा सरसों की फसल में तेल के प्रतिशत को बढ़ाने के लिए, किसानों को सही समय पर उर्वरकों का प्रयोग, सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण और रोगों से सुरक्षा की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, पौधों की सही देखभाल और पोषण सुनिश्चित करने के लिए जैविक और अजैविक तत्वों का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। इस रिपोर्ट में हम इन सभी पहलुओं को विस्तार से समझेंगे, ताकि आप अपनी फसल की तेल उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर गुणवत्ता के आधार पर फसल से अपनी आय को अधिकतम कर सकें। तो चलिए विस्तार से जानने के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।
मिट्टी परीक्षण और उर्वरकों की मात्रा
किसान साथियों, सरसों की फसल में तेल की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ाने के लिए सबसे पहला कदम मृदा परीक्षण करना है। मृदा परीक्षण से यह जानने में मदद मिलती है कि भूमि में किस पोषक तत्व की कमी है और किन उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। सल्फ़र सरसों के तेल की गुणवत्ता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब मिट्टी में सल्फ़र की कमी होती है, तो यह सरसों की फसल की वृद्धि में रुकावट डालता है और तेल की गुणवत्ता भी घट जाती है। आमतौर पर बुआई के समय, एक एकड़ में 10 किलोग्राम बेंटोनाइट सल्फ़र का इस्तेमाल करना चाहिए और सिंचाई के बाद, प्रति एकड़ 4 किलोग्राम सल्फ़र का छिड़काव करें। या सिंचाई से पहले, यूरिया के साथ 5 किलोग्राम प्रति बीघा की दर से सल्फ़र का भुरकाव करें। इसके अलावा, नाइट्रोजन और फास्फेट जैसे उर्वरकों का संतुलन भी आवश्यक होता है। सल्फ़र की कमी से पत्तियों में पीलापन और क्लोरोसिस जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसके लिए किसानों को अमोनियम सल्फेट और एसएसपी जैसे सल्फ़र युक्त उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। मृदा परीक्षण के बाद आपको मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की कमी के बारे में पता लग जाता है, जिससे आपको उर्वरकों का सही चयन फसल की सही वृद्धि और तेल उत्पादन में मदद मिलती है।
खरपतवार नियंत्रण और परजीवी की रोकथाम
साथियों, सरसों की फसल में बेहतरीन उत्पादन और तेल की मात्रा को बढ़ाने के लिए खरपतवारों पर नियंत्रण करना भी बहुत आवश्यक है, क्योंकि खरपतवार सरसों की फसल से पोषक तत्वों को अवशोषित कर लेते हैं, जिससे तेल उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ता है। खासकर, ओपन जैसे परजीवी खरपतवारों को नियंत्रित करना बहुत महत्वपूर्ण है। इन खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए समय-समय पर खरपतवार नाशक का प्रयोग करना चाहिए। खरपतवारों की अधिकता से फसल को पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिससे तेल का उत्पादन कम हो सकता है। इसलिए, फसल में खरपतवारों का समय पर नियंत्रण करना और फसल में पोषक तत्वों का सही संतुलन बनाए रखना बहुत आवश्यक है। इसके लिए आप फसल में बिजाई के 30 दिन बाद राउंड अप या ग्लाइसल 25 ग्राम का 150 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें। उसके बाद दूसरा छिड़काव 50-55 दिन बाद 50 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से करें। खरपतवार की रोकथाम के लिए आप बुआई से पहले फ़्लूक्लोरोलिन 45 ई.सी. की 880 मिली प्रति 300-400 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। या बुआई के दो तीन दिन के अंदर पैन्डीमेथलीन 30 ई.सी. 1320 मिली प्रति एकड़ की दर से 300-400 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। खरपतवारों को नष्ट करने के लिए आप निराई-गुड़ाई भी कर सकते हैं। निराई-गुड़ाई के दौरान बुआई के 15-20 दिन के अंदर घने पौधों को निकालकर उनकी आपसी दूरी 15 सेमी कर देना चाहिए। आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि खरपतवारनाशक रसायन हमेशा रसीद के साथ प्रमाणित स्थान या दुकान से खरीदें ताकि मिलावट की कोई संभावना न हो।
सिंचाई और जल प्रबंधन
किसान भाइयों, फसल में अधिक उत्पादन और गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए सिंचाई की भी अहम भूमिका होती है। सिंचाई का सही तरीका और समय पर जल देना सरसों की फसल के उत्पादन और गुणवत्ता को प्रभावित करता है। पानी से न केवल पौधों को पोषण मिलता है, बल्कि यह मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म पोषक तत्वों को घोलने में भी मदद करता है। यदि आप चाहते हैं कि आपकी फसल का तेल उत्पादन बेहतर हो, तो दो से तीन सिंचाई का तरीका अपनाएं। विशेष रूप से 35 से 40 दिन के बाद, जब पौधों की वृद्धि तेज होती है, उस समय सिंचाई जरूरी है। क्योंकि आपके द्वारा फसल में डाले गए उर्वरकों का फायदा फसल को तभी मिलता है जब खेत में पर्याप्त नमी की मात्रा होती है।
फूल और फल आने के समय पोषक तत्वों का प्रयोग
किसान भाइयों, सरसों की फसल का सबसे महत्वपूर्ण समय फूल और फल आने के समय सरसों के पौधों को विशेष पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इस समय सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रयोग जैसे जिंक सल्फेट, कॉपर सल्फेट, और फेरस सल्फेट फसल की वृद्धि और तेल की गुणवत्ता में मदद करते हैं। इसके साथ-साथ सल्फ़र युक्त उर्वरकों का प्रयोग भी तेल की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक होता है। जैसे सल्फ़र 90% या थायोयूरिया का उपयोग करके आप फूलों और फलों की संख्या बढ़ा सकते हैं और तेल की उत्पादन क्षमता को बेहतर बना सकते हैं।
टॉप ड्रेसिंग का उपयोग
किसान भाइयों, टॉप ड्रेसिंग से सरसों की फसल में तेल की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है। इस प्रक्रिया में सल्फ़र का उपयोग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सल्फ़र पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देता है और तेल उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है। सरसों की फसल में बुवाई से 20 से 40 दिनों की वृद्धि के बाद, टॉप ड्रेसिंग के रूप में सल्फ़र युक्त उर्वरकों का प्रयोग करें। अमोनियम सल्फेट और एसएसपी जैसे सल्फ़र युक्त उर्वरकों का प्रयोग करके आप फसल को अधिक पोषण दे सकते हैं और तेल की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं। यह सल्फ़र पौधों में पोषक तत्वों की अधिक उपलब्धता सुनिश्चित करता है, जिससे तेल की मात्रा में वृद्धि होती है।
फसल की रोगों से सुरक्षा
किसान साथियों, सरसों की फसल में फूलों और फलीयों के बनने के समय में उच्च आद्रता और ठंडे मौसम के कारण कई रोग फैल सकते हैं, जो फसल की गुणवत्ता और तेल की मात्रा को प्रभावित करते हैं। सल्फ़र की कमी के कारण पत्तियों में पीलापन और क्लोरोसिस जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। इन रोगों से बचाव के लिए समय पर फफूंदनाशक और कीटनाशक का उपयोग करें। इससे फसल की सुरक्षा सुनिश्चित होती है और तेल की गुणवत्ता में सुधार होता है। इसके साथ ही सरसों की फसल में जिप्सम या एलिमेंट सल्फ़र का प्रयोग करके तेल की उपज को बढ़ाया जा सकता है। यदि हम 16 किलोग्राम सल्फ़र प्रति एकड़ के हिसाब से इसका प्रयोग करते हैं, तो हम अपनी सरसों की फसल में लगभग 2% तक तेल की उपज बढ़ा सकते हैं। इससे न केवल तेल की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि फसल के वजन में भी वृद्धि होती है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।