सरसों में 20 क्विंटल का उत्पादन और 40 लैब से उपर लेना है तो यह रिपोर्ट देख लो
सरसों की खेती का बढ़ता आकर्षण
पिछले दो-चार सालों में, रबी सीजन के दौरान अगर किसी फसल की तरफ किसानों का सबसे ज्यादा रुझान देखा गया है, तो वह है सरसों की फसल। इसके पीछे का मुख्य कारण है इसकी कम लागत में अधिक उत्पादन और अच्छा मुनाफा देने की क्षमता। सरसों की फसल न केवल किसानों को अच्छा उत्पादन देती है, बल्कि इसका बाज़ार भाव भी मुख्यतः तेल की मात्रा पर आधारित होता है। इसलिए, सरसों की खेती में अधिक तेल मात्रा और रोगमुक्त उत्पादन प्राप्त करने के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
बुवाई का उपयुक्त समय
सरसों की बुवाई का समय भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। उदाहरण के लिए, उत्तर भारत में सरसों की बुवाई 1 अक्टूबर से शुरू होती है, जबकि मध्य भारत (मध्य प्रदेश और राजस्थान) में 25 सितंबर से ही बुवाई शुरू हो जाती है। यह इस पर निर्भर करता है कि सोयाबीन की कटाई कब पूरी होती है और खेत कब खाली होते हैं।
28 वर्षों के कृषि अनुभव के आधार पर कहे तो है कि सरसों की बुवाई का सबसे सही समय 5 अक्टूबर से 20 अक्टूबर के बीच होता है। खासकर, 10 अक्टूबर से 20 अक्टूबर के बीच का समय सबसे अधिक उपज देने वाला माना जाता है। यह वह समय है जब बीज अंकुरण और फसल विकास के लिए मौसम अनुकूल होता है।
समय से पहले बुवाई के नुकसान
2022 और 2023 के अनुभवों से यह स्पष्ट होता है कि जो किसान 10 अक्टूबर से पहले बुवाई करते हैं, उन्हें अक्सर नुकसान का सामना करना पड़ता है। 2022 में, समय से पहले बुवाई करने वाले किसानों की फसलों को अत्यधिक बारिश के कारण नुकसान हुआ। 2023 में, अधिकतर किसान 10 अक्टूबर से पहले बुवाई कर चुके थे, लेकिन उनके खेतों में वाइट रस्ट (धोलिया) की बीमारी ने फसल को नुकसान पहुंचाया। समय से पहले बुवाई करने से फसल में रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे उत्पादन घट जाता है।
देर से बुवाई का प्रभाव
अगर किसान 20 अक्टूबर के बाद बुवाई करते हैं, तो यह फसल को पछेती मान लिया जाता है, और इसके परिणामस्वरूप उत्पादन घटता है। 25 अक्टूबर से 30 अक्टूबर के बीच बुवाई करने पर फसल को उचित मात्रा में पोषण और सीड रेट में वृद्धि की आवश्यकता होती है, ताकि उत्पादन की भरपाई की जा सके।
तो सरसों की बुवाई का सही समय / सबसे उपयुक्त समय 10 अक्टूबर से 20 अक्टूबर के बीच होता है। इस अवधि में बुवाई करने से बेहतर उत्पादन की संभावना होती है। समय पर बुवाई करना इसलिए जरूरी है ताकि फसल को मौसम से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके और अधिक पैदावार ली जा सके।
खेत की तैयारी और खाद का चयन
सरसों की अधिकतम पैदावार के लिए सही तरह से खेत की तैयारी करना बेहद जरूरी है। बेसल डोज (प्रारंभिक खाद) में सही फर्टिलाइजर का उपयोग करके आप उत्पादन को बढ़ा सकते हैं। खाद का चयन इस आधार पर होना चाहिए कि फसल को किस पोषक तत्व की सबसे अधिक जरूरत है। इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि फसल को रोग जैसे कि रस्ट (धोलिया) से बचाया जा सके, जो पौधे को पूरी तरह से नष्ट कर देता है।
तेल मात्रा बढ़ाने के तरीका
सरसों की गुणवत्ता मुख्य रूप से उसके तेल की मात्रा पर निर्भर करती है। यदि तेल की मात्रा 42% या उससे अधिक हो, तो सरसों का बाज़ार भाव बेहतर होता है। इसके लिए खेती के दौरान संतुलित खाद का प्रयोग और उचित रोग प्रबंधन आवश्यक है
खेत की तैयारी
खेत की तैयारी में सबसे पहला कदम होता है सही जुताई। यदि खरीफ सीजन की फसल लगी थी, तो खेत को अच्छे से जोतना बेहद जरूरी है ताकि खरपतवार पूरी तरह मिट्टी में मिल जाएं। जुताई के बाद खेत को रोटावेटर से चलाएं और खरपतवार को बारीक करके मिट्टी में मिला दें।
नमी की आवश्यकता
सरसों की बुवाई से पहले खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है। खेत में पहले से नमी होना चाहिए ताकि बुवाई के बाद सिंचाई की जरूरत कम पड़े। अगर खेत में नमी नहीं होगी, तो उत्पादन कम हो जाएगा और खरपतवार ज्यादा उगेंगे। खेत में पलेवा (हल्की सिंचाई) करने के बाद बुवाई करें।
खेत की मिट्टी भुरभुरी होनी चाहिए, ताकि बुवाई के बाद बीज अच्छे से जर्मिनेट हो सकें। मिट्टी में नमी भी जरूरी है ताकि बीज अंकुरित हो सके। बुवाई के बाद पाटा लगाकर मिट्टी को समतल कर लें।
बेसल डोज और खाद
बुवाई के समय खेत में उचित खाद डालना भी आवश्यक है। इसके लिए बेसल डोज में खाद का सही मिश्रण बहुत जरूरी है। आप 70 किलो प्रति एकड़ सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी), 30 किलो डीएपी, 30 किलो म्यूरियेट ऑफ पोटाश, 20 किलो यूरिया, और 15 किलो बेंटोनाइट सल्फर का उपयोग कर सकते हैं। यूरिया को सीधा खेत में छिटकना चाहिए और बाकी खाद को फर्टिलाइजर मशीन के द्वारा मिलाकर बुवाई कर दें।
बीज चयन और बुवाई
पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न बीजों से उत्पादन की तुलना करें, तो बीज का सही चयन भी उत्पादन को प्रभावित करता है। इसके अलावा, बीज की मात्रा का सही अनुपात में उपयोग भी महत्वपूर्ण होता है, ताकि पौधों को आवश्यक स्थान और पोषण मिल सके।
अच्छी पैदावार के लिए गुणवत्ता युक्त बीज का चयन करना जरूरी है। सबसे ज्यादा बोए जाने वाले बीजों में पायनियर 45S46 और ADV 414 शामिल हैं। पायनियर 45S46 ठंड के प्रति अधिक सहनशील होता है, जबकि एडवांटा कंपनी का 414 अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जाना जाता है। बीज की मात्रा 1 किलो प्रति एकड़ होनी चाहिए।
बीज उपचार
बुवाई से पहले बीज का उपचार करना जरूरी है ताकि फसल को फंगस या कीड़ों से बचाया जा सके। बीज को इमिडाक्लोरोपिड (गॉचो) और कार्बेन्डाजिम (बाविस्टीन) जैसे फंगीसाइड और कीटनाशकों से उपचारित करें। इससे बीज अंकुरण के बाद होने वाले कीटों से सुरक्षा मिलती है।
बुवाई की विधि
बुवाई के लिए दो प्रमुख विधियां हैं:
सीड ड्रिल मशीन से बुवाई: इसमें बीज को मशीन से बारीकी से बोया जाता है, जिससे पौधों के बीच समान दूरी बनी रहती है और उत्पादन अच्छा होता है।
छिटक विधि से बुवाई: यह विधि में बीज छिटककर बोए जाते हैं। इसमें पौधे पास-पास हो जाते हैं, जिससे उत्पादन में कमी हो सकती है। इसलिए सीड ड्रिल मशीन का उपयोग बेहतर माना जाता है।
बीज अंकुरित होने के बाद, पौधों के बीच की दूरी लगभग 1 से 1.5 फीट होनी चाहिए। इससे पौधों को पर्याप्त स्थान मिलेगा और वे अच्छे से विकसित होंगे, जिससे उत्पादन में वृद्धि होगी।
खरपतवार नियंत्रण
सरसों की खेती में खरपतवार (वीड्स) भी एक बड़ी समस्या है, जो शुरुआत में ही नियंत्रण में लिया जा सकता है। शुरुआती चरण में सही दवाओं और विधियों का उपयोग करके आप खरपतवार को नियंत्रित कर सकते हैं, जिससे फसल को बिना किसी अवरोध के बढ़ने का मौका मिलता है।
खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए पेंडा मेथिल का स्प्रे करें। स्प्रे बुवाई से पहले, गीले खेत में 1 लीटर प्रति एकड़ की दर से करें। इसके बाद हल्की जुताई करें ताकि खरपतवार नष्ट हो जाएं।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।