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1 एकड़ से लाखों रुपये कमाने हैं तो सर्दी के मौसम बस ये सब्जी लगा लो

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दोस्तों सर्दी का मौसम अक्सर किसानों के लिए एक नए मौके की शुरुआत होता है। इस मौसम में कुछ ऐसी खास सब्जियाँ होती हैं, जिनकी डिमांड हमेशा हाई रहती है, और ये सब्जियाँ आपके लिए बेहतरीन मुनाफा कमा सकती हैं। जैसे ही ठंड का मौसम बढ़ता है, बाजार में गोभी, मूली, गाजर और आलू जैसे आम सब्जियों का ट्रेंड कम होने लगता है। इस समय आपको उन सब्जियों की तलाश करनी चाहिए, जो सर्दी में मार्केट में अच्छा मुनाफा दे सकती हैं। लेकिन सवाल ये है कि कौन सी सब्जियाँ इस मौसम में आपको अच्छा प्रॉफिट दे सकती हैं? क्या आप जानते हैं कि सर्दी में कुछ खास सब्जियाँ होती हैं, जो न केवल जल्दी उगती हैं, बल्कि इनके लिए सर्दी का मौसम भी सबसे उपयुक्त होता है? इस ब्लॉग में हम आपको उन दो सब्जियों के बारे में बताएंगे, जिन्हें आप सर्दी में उगा सकते हैं और शानदार प्रॉफिट कमा सकते हैं।

अगर आप सर्दी के मौसम में अच्छी उपज और अच्छे दाम चाह रहे हैं, तो आपको उन सब्जियों की पहचान करनी होगी, जिनकी डिमांड हमेशा मार्केट में बनी रहती है। एक ऐसी सब्जी जिसे किसान भाई अक्सर सर्दियों में उगाते हैं, वह है तुरई तुरई (Ridge Gourd) एक ऐसी सब्जी है जिसका सर्दी के मौसम में बहुत अच्छा मार्केट रहता है। ये न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि इसकी खेती भी बहुत आसान है। जैसे ही आप इसे बाजार में लाते हैं, तुरई की डिमांड तुरंत बढ़ जाती है। तुरई के पौधों को सर्दी में उगाने के लिए सबसे अच्छा समय नवंबर और दिसंबर का होता है, जब ठंड का असर बढ़ता है। इस समय इसकी खेती करने से आपको अच्छे दाम मिल सकते हैं

तुरई की खेती की विधि: सबसे पहले, आपको बीजों की तैयारी करनी होती है। बीजों को उगाने से पहले अच्छी गुणवत्ता के बीजों का चुनाव करें। तुरई के पौधों को अधिकतर खुले और धूप वाले स्थान पर उगाना चाहिए। इसके लिए मिट्टी का pH स्तर 6-7 होना चाहिए। सर्दी में तुरई के पौधों को थोड़ा सा संरक्षण देने की आवश्यकता हो सकती है, क्योंकि जब बहुत ज्यादा ठंड होती है, तो पौधों की वृद्धि धीमी हो जाती है। ऐसे में, आप पॉलीहाउस या पन्नी से ढककर पौधों की सुरक्षा कर सकते हैं।

तुरई को नाली विधि से लगाना सबसे अच्छा होता है। नाली की दूरी 8 से 10 फीट रखनी चाहिए, और पौधों के बीच की दूरी 3 फीट रखनी चाहिए। आप 2 से 4 बीज एक जगह पर लगा सकते हैं, और बाद में अच्छे पौधों को ही रखने का निर्णय ले सकते हैं।
सड़ी हुई गोबर की खाद, डीआईपी (सिंगल सुपर फास्फेट), और जड़ कांड के लिए कार्बो फन का उपयोग करना चाहिए। पौधे को शुरु में ज्यादा वृद्धि नहीं करनी चाहिए, ताकि बाद में उत्पादन में कोई समस्या न आए।
सर्दियों में पाले से बचाने के लिए पूर्व से पश्चिम दिशा में नाली निकालनी चाहिए और पन्नी या फॉलोम का उपयोग करना चाहिए।
2 महीने बाद से फर्स्ट हार्वेस्टिंग शुरू हो जाती है, और अच्छे देखभाल के साथ 4-5 महीने तक उत्पादन लिया जा सकता है। शुरुआती मार्केट में कीमत 80 से 100 रुपये प्रति किलो हो सकती है।

तुरई में आने वाली बीमारियाँ: किसी भी पौधे की तरह तुरई में भी कुछ सामान्य बीमारियाँ होती हैं, जैसे पत्तों का पीला पड़ना, कीटों का हमला और मोल्ड। इन बीमारियों से बचने के लिए आपको समय-समय पर पौधों का निरीक्षण करना होगा और सही उपाय करना होगा। कीटनाशक का प्रयोग करने से पहले हमेशा स्थानीय कृषि विशेषज्ञ से परामर्श करें।

तुरई की उपज और मुनाफा: तुरई की खेती में निवेश कम होता है, लेकिन मुनाफा अच्छा होता है। यदि आप एक बीघा जमीन पर तुरई की खेती करते हैं, तो आपको 2-3 क्विंटल तक उपज हो सकती है, और इसकी कीमत स्थानीय मंडियों में ₹20 से ₹30 प्रति किलो के बीच हो सकती है।

56 टिंडा की खेती और उसकी विधि:

किसान भाई, यदि आप 56 टिंडा लगाने का सोच रहे हैं तो यह आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। 56 टिंडा का मार्केट इस साल भी अच्छा रहने की संभावना है, क्योंकि इस बार सर्दियाँ सामान्य से अधिक ठंडी होने की उम्मीद जताई जा रही है। ठंडे मौसम का असर टिंडे की फसल पर पड़ेगा, जिससे आपको अच्छे दाम मिल सकते हैं। कुछ स्थानों पर इसे 56 कद्दू भी कहा जाता है

56 टिंडा लगाने की विधि:

आपको 56 टिंडे को नाली विधि से लगाना चाहिए। नाली विधि से लगाने से फसल की अच्छी वृद्धि होती है। हालांकि, आप इसे ड्रिप विधि से भी लगा सकते हैं, लेकिन नाली विधि अधिक प्रभावी रहती है। मैंने भी नाली विधि से ही टिंडा लगाया है और अब एक से दो दिन में मुझे अपनी पहली हार्वेस्टिंग मिलने वाली है।

नाली से नाली की दूरी लगभग 1.5 से 2 फीट रखनी चाहिए। यह दूरी पर्याप्त होगी ताकि पौधों को ठीक से बढ़ने के लिए जगह मिल सके। इसके साथ ही बेसल डोज़ में आप गोबर की खाद, बोन मील और ब्लू कॉपर भी मिला सकते हैं। इस डोज़ को पहले खेत में डालने के बाद नाली निकाल लें, फिर गदाई करवाएं और अंत में टिंडे के बीज लगा दें।

बीज की दूरी और अंकुरण:

बीज से बीज की दूरी 8 इंच रखनी चाहिए। टिंडा बीज को लगाने के बाद अंकुरण में 4 से 5 दिन का समय लग सकता है, क्योंकि सर्दी का मौसम आ चुका है। यदि आप बीज को भिगो कर लगाते हैं तो अंकुरण समय में एक दिन की कमी हो सकती है। इस समय में टिंडे के पौधों में वायरस लगने का खतरा कम है, क्योंकि तापमान स्थिर हो चुका है। पहले के मुकाबले अब वायरस की समस्या नहीं रहेगी।

फसल की वृद्धि बढ़ाने के उपाय:

आपकी टिंडे की फसल की वृद्धि बढ़ाने के लिए आप बेसल डोज़ का सही इस्तेमाल करें और साथ ही ग्रोथ प्रमोटर 19 और जी पा 34 जैसे उत्पादों का भी उपयोग कर सकते हैं। इससे फसल की बढ़ोतरी तेज़ होगी और उत्पादन की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा।

उत्पादन और मार्केट की जानकारी:

56 टिंडा की पहली हार्वेस्टिंग 25 से 30 दिन के भीतर हो सकती है। अगर आप अच्छी देखभाल और न्यूट्रिएंट्स का सही तरीके से इस्तेमाल करेंगे, तो टिंडे की फसल लगातार 2.5 से 3 महीने तक उत्पादन देती रहेगी। शुरुआती मार्केट में आपको 30 से 50 रुपये प्रति किलो मिल सकते हैं, लेकिन जैसे-जैसे मंडी में टिंडे का आना बढ़ेगा, कीमत 20 से 22 रुपये तक भी गिर सकती है।

कुल मिलाकर सलाह:

अगर आपके पास उपयुक्त जगह उपलब्ध है, तो आप 56 टिंडा और तुरई दोनों ही फसलें लगा सकते हैं। दोनों फसलें लाभकारी हैं और यदि इनकी सही देखभाल की जाए, तो आपको अच्छा मुनाफा मिल सकता है। 56 टिंडा को मैं प्राथमिक रूप से लगाने की सलाह देता हूं, क्योंकि इसका मार्केट इस बार अच्छा रहने की संभावना है।

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तीसरी सब्जी - पालक (Spinach): अब हम बात करेंगे दूसरी सब्जी की, जो सर्दी के मौसम में अच्छा प्रॉफिट दे सकती है। वह है पालक। पालक की डिमांड भी सर्दी में शानदार रहती है, और इसकी खेती करना भी बहुत आसान है। पालक की खेती से भी आपको सर्दी में अच्छा मुनाफा मिल सकता है। जैसे ही सर्दी बढ़ती है, पालक की पत्तियों की डिमांड भी बढ़ जाती है। यह सब्जी न केवल सेहत के लिए फायदेमंद होती है, बल्कि सर्दी में इसके प्रयोग की भी बहुत मांग होती है।

पालक की खेती की विधि: पालक की खेती के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर और नवंबर का होता है। पालक के बीज को अच्छी तरह से गीली मिट्टी में बोना चाहिए। इसे ज्यादा धूप की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन हल्की धूप इसे उगने में मदद करती है।

पालक के पौधों को नमी वाले स्थानों पर उगाना चाहिए, और जमीन में खाद और उर्वरक का सही प्रयोग करना चाहिए।

पालक में होने वाली बीमारियाँ: पालक में आमतौर पर कीटों का हमला और पत्तियों पर धब्बे देखने को मिलते हैं। इनसे बचने के लिए उचित उपचार जैसे कीटनाशक का प्रयोग किया जा सकता है।

पालक की उपज और मुनाफा: पालक की खेती पर भी बहुत अच्छा मुनाफा मिलता है। अगर आप एक बीघा जमीन पर पालक की खेती करते हैं, तो आपको 4-5 क्विंटल तक उपज मिल सकती है, और इसकी कीमत ₹10 से ₹20 प्रति किलो तक हो सकती है।

कुल मिलाकर, यदि आप सर्दी के मौसम में इन दोनों सब्जियों, तुरई और पालक की खेती करते हैं, तो न केवल आपको अच्छा मुनाफा मिलेगा, बल्कि इनकी खेती करने का तरीका भी आसान और सस्ता है। तो देर मत कीजिए, अब ही इन दोनों सब्जियों को उगाने के बारे में सोचें 

नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।