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लखपति बनना है तो इस तरीके से करें आलू की उन्नत खेती | उत्पादन के टूटेंगे सारे रिकॉर्ड

लखपति बनना है तो इस तरीके से करें आलू की उन्नत खेती | उत्पादन के टूटेंगे सारे रिकॉर्ड
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आलू की खेती: किसान के लिए सुनहरा अवसर
आलू, जिसे सब्जियों का राजा कहा जाता है, की खेती किसानों को कम समय में बेहतर उत्पादन प्राप्त करने का एक शानदार मौका देती है। आलू की मांग सालभर बनी रहती है, जिससे किसान इसे एक लाभदायक फसल के रूप में अपना सकते हैं। हालांकि, आलू की खेती करते समय कुछ छोटी-बड़ी बातों का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि किसान कुछ तकनीकों को अपनाएं, तो वे रोगमुक्त और बंपर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

कीटनाशक और उर्वरक का योगदान
आलू की खेती के विसेश्ग्यों का कहना है कि आलू की बुवाई का सबसे सही समय अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक होता है . इसी समय के दौरान बुवाई  कर देने से आलू की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते है। ढाई एकड़ यानि कि 1 हेक्टेयर खेत को बुवाई के लिए तैयार करने के लिए लगभग 15 से 20 टन सडी हुई मतलब पुरानी गोबर खाद को मिट्टी में अच्छे से मिलाना आवश्यक है। साथ ही, यदि एक हेक्टेयर में 40 से 50 किलो नीम की खली भी मिलाई जाए, तो यह विभिन्न रोगों से फसल की सुरक्षा करेगी। नीम की खली न केवल कीटनाशक के रूप में कार्य करती है, बल्कि नीम की खली मिट्टी की उर्वरक क्षमता को भी बढ़ा देती है।

बुवाई के दौरान ध्यानयोग्य बाते
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि आलू की बुवाई के लिए मेड़ की चौड़ाई 35 से 40 cm रखनी चाहिए। एसा करने से आलू के पौधों को पर्याप्त पोषण मिलता है और उत्पादन बेहतर होता है। एक हेक्टेयर में आलू की खेती के लिए 80 किलो पोटाश और 80 किलो डीएपी का उपयोग मिट्टी में मिलाना अनिवार्य है।

आलू के बीजों का उपचार भी अत्यंत आवश्यक है। बुवाई से पहले, बीजों पर स्ट्रेप्टोसाइक्लिन या कॉर्बेंडाजिन को अच्छी तरह से मिलाना चाहिए। इसके अलावा, कोल्ड स्टोरेज से लाए हुए आलू के बीजों को तुरंत बुवाई नहीं करनी चाहिए इन आलू को 3 से 4 दिन तक खुली हवा में रखे ताकि वे सही तरीके से तैयार हो सकें।

वैज्ञानिक विधि से पाला का प्रभाव कम करें
आलू की फसल कई बार अधिक ठंड का सामना नहीं कर पाती, जिससे उसे झुलसा रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है। इससे पूरी फसल खराब हो सकती है। हालांकि, अगर किसान नियमित अंतराल पर सिंचाई करते रहें, तो आलू की फसल पाले से बच सकती है। यहाँ कुछ उपाय दिए गए हैं, जिनसे किसान आलू की फसल को ठंड से सुरक्षित रख सकते हैं:

आलू की बुवाई करने के लगभग 25 से 30 दिन मे पहली सिंचाई करनी चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि आलू की फसल में पाला लगने की समस्या उत्तपन हो सकती है। लेकिन यदि खेत की तैयारी, बीज का उपचार, और फर्टिलाइज़र एवं सिंचाई का प्रबंध वैज्ञानिक तरीके से किया जाए, तो आलू की फसल में पाले के साथ साथ अन्य रोग लगने की संभावना कम हो जाती है। आमतौर पर एक एकड़ में 6-7 क्विंटल बीज लगाकर आप अगर सही से देखभाल करें तो 90-110 दिन में करीब 300 क्विंटल तक का उत्पादन आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

दूसरा उपाये, किसान फसल के ऊपर रात के समय प्लास्टिक की चादर डाल सकते हैं, क्योंकि इसी समय तापमान में अधिक गिरावट होती है। दिन में चादर को हटा देना चाहिए ताकि फसल को धूप मिल सके और पौधा हस्थ पुस्त रहे । इसके अलावा, यदि ठंड के कारण तापमान अत्यधिक बढ़ता है, तो 10 से 12 किलोग्राम लकड़ी की राख का छिड़काव भी किया जा सकता है, जिससे फसल को थोड़ी गर्मी मिलती है और पाले लगने की संभावना कम होती है। सड़ी हुई छाछ का उपयोग भी किया जा सकता है, जो न केवल कीटों से बचाती है, बल्कि पाले से भी सुरक्षा प्रदान करती है। इन उपायों को अपनाकर किसान अपनी आलू की फसल को ठंड के मौसम में सुरक्षित रख सकते हैं और उत्पादन को बढ़ा सकते हैं।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।