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अगर मालामाल होना है तो फरवरी महीने में इस चीज़ की खेती कर लेना

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अगर मालामाल होना है तो फरवरी महीने में इस चीज़ की खेती कर लेना

किसान भाइयों, खेती एक ऐसी ज़िम्मेदारी है, जिसे किसान हर साल अपने खेतों में हल चलाकर और सही फसल चुनकर अपनी मेहनत का फल पाते हैं। अगर आप भी किसान हैं और सोच रहे हैं कि इस साल खेती से अच्छा मुनाफा कैसे कमाया जाए, तो आपके लिए एक शानदार विकल्प हो सकता है तरबूज की खेती। यह न केवल स्वाद में लाजवाब होता है, बल्कि बाजार में इसकी डिमांड भी काफी ज्यादा रहती है, खासकर गर्मी के मौसम में। यदि आप फरवरी के महीने में इस फसल की खेती शुरू करते हैं, तो आप 2-3 महीने में अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं। क्योंकि तरबूज एक सीजनल फल है, जो गर्मी के मौसम में अच्छी तरह से विकसित होता है। गर्मी आते ही तरबूज का स्वाद और उसकी डिमांड दोनों ही बढ़ जाते हैं। इस वजह से, अगर किसान इसे सही समय पर उगाते हैं, तो उन्हें जल्दी फसल का उत्पादन मिल सकता है और वे अच्छे पैसे भी कमा सकते हैं। इसके अलावा, तरबूज के पौधे बहुत जल्दी बढ़ते हैं और इनकी देखभाल भी बहुत सरल होती है, जिससे किसानों के लिए यह एक अच्छा विकल्प बन जाता है। लेकिन इसके लिए सही किस्म का चयन और समय पर खेती करना महत्वपूर्ण है। फरवरी के महीने में तरबूज की खेती शुरू करके आप कम समय में अच्छे उत्पादन और मुनाफे की उम्मीद कर सकते हैं। इससे न केवल आपकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी, बल्कि अन्य किसान भी तरबूज की खेती की तरफ अपना ध्यान केंद्रित करेंगे। इसके अलावा, आपको बता दें कि तरबूज में विटामिन सी, ए, पोटेशियम जैसे जरूरी तत्व होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद हैं। यही कारण है कि तरबूज का मार्केट में हमेशा अच्छा रेट रहता है। यदि आप भी इसकी खेती सही समय पर करते हैं, तो न केवल आप इसका भरपूर फायदा उठा सकते हैं, बल्कि इससे जुड़ी कई उन्नत किस्में भी बाजार में उपलब्ध हैं, जो अच्छा उत्पादन देती हैं। तो चलिए, तरबूज की कुछ प्रमुख किस्म और तरबूज की खेती को करने के लिए सही समय और सही तरीके के बारे में विस्तार से समझते हैं इस रिपोर्ट में।

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तरबूज की उन्नत किस्में

किसान साथियों, यदि आप भी तरबूज की खेती करना चाहते हैं तो तरबूज की कुछ उन्नत किस्में हैं, जो किसानों को ज्यादा उत्पादन और मुनाफा देने में मदद करती हैं। यहां कुछ प्रमुख किस्मों के बारे में जानेंगे, जो खासतौर पर फरवरी में उगाने के लिए उपयुक्त होती हैं:

अर्का ज्योति
किसान भाइयों, तरबूज की यह किस्म भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बंगलौर द्वारा विकसित की गई है। अर्का ज्योति की खास बात यह है कि इसके फल का वजन 6-8 किलोग्राम तक हो सकता है। इसके फल न केवल स्वाद में अच्छे होते हैं, बल्कि इनकी भंडारण क्षमता भी अधिक होती है। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 350 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है, जो किसानों के लिए एक शानदार अवसर है।


पूसा बेदाना
दोस्तों, तरबूज की यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा विकसित की गई है। इस किस्म की विशेषता यह है कि इसके फल में बीज नहीं होते, जिससे इसे खाने में आसानी होती है। गुलाबी रंग के गूदे वाले इस तरबूज को तैयार होने में 85 से 90 दिनों का समय लगता है। इस किस्म से मिठास और स्वाद में भी कोई कमी नहीं होती, और यह बाजार में अच्छे दामों में बिकता है।


काशी पितांबर
साथियों, तरबूज की इस किस्म के फल का छिलका पीले रंग का होता है और इसका गुदा गुलाबी रंग का होता है। इस किस्म का औसत फल 2.5 से 3.5 किलोग्राम वजन का होता है। अगर इसके उत्पादन की बात करें तो इससे प्रति एकड़ खेत से लगभग 160 से 180 क्विंटल फलों की प्राप्ति होती है। यह किस्म शहरी बाजारों में अच्छा बिकता है, और किसानों को बेहतर मुनाफा देती है।


डब्ल्यू 19
किसान साथियों, तरबूज की यह किस्म ज्यादा तापमान सहन करने वाली है, इसलिए इसे शुष्क क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है। इसके फल पर हल्की हरी धारियाँ होती हैं, और इसका गुदा गहरे गुलाबी रंग का होता है। इसके अलावा तरबूज की इस किस्म में बहुत कम समय में पककर तैयार हो जाती है। 75 से 80 दिनों में तैयार होने वाली इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 45 से 50 टन तक उपज प्राप्त की जा सकती है, जो किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प साबित हो सकता है।


शुगर बेबी
दोस्तों, तरबूज की इस किस्म के फल का औसत वजन 4-6 किलोग्राम होता है और यह बीज बोने के 95-100 दिनों में तैयार हो जाते हैं। शुगर बेबी में बीज बहुत कम होते हैं और इसके फल स्वाद में बेहद मीठे होते हैं। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है, जो एक अच्छे मुनाफे का संकेत है।

किसान कैसे करें इन किस्मों की खेती

भूमि की तैयारी
किसान साथियों, किसी भी फसल की खेती करने के लिए भूमि का सही प्रकार से तैयार करना फसल के उत्पादन को बढ़ाने की पहली निशानी होती है। तरबूज की खेती के लिए उबड़ी हुई, जल निकासी वाली और बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसके अलावा, मिट्टी के प्रकार को ध्यान में रखते हुए खेत में अच्छे से नमी बनाए रखने के लिए ध्यान देना चाहिए। तरबूज की बुवाई करने से पहले खेत की सही प्रकार से दो-तीन बार जुताई और हल से सफाई कर लें, ताकि मिट्टी को अच्छे से तैयार किया जा सके।


बीज बोने का समय
किसान साथियों, जैसा कि पहले बताया गया, फरवरी का महीना तरबूज की खेती के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। गर्मी का मौसम शुरू होने से पहले इसे बोना चाहिए, ताकि फसल गर्मी में पूरी तरह तैयार हो सके। यदि आप फरवरी के महीने में तरबूज की खेती करते हैं तो यह सही मौसम पर पककर तैयार हो जाती है और आपको बाजार में अत्यधिक मुनाफा प्रदान करती है।

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सिंचाई और देखभाल
किसान भाइयों, अन्य फसलों की तरह तरबूज की फसलों को भी नियमित सिंचाई की जरूरत होती है, खासकर जब वे बढ़ रहे होते हैं। लेकिन अतिरिक्त पानी से बचना चाहिए, क्योंकि इससे पौधे सड़ सकते हैं। तरबूज की खेती में पहली सिंचाई बुआई के लगभग 10-15 दिन के बाद करनी चाहिए। नदियों के कछारों में जो किसान खेती करते हैं, तो वहाँ सिंचाई की बहुत कम आवश्यकता नहीं पड़ती है, क्योंकि पौधों की जड़ें बालू के नीचे से पानी को सोख लेती हैं। अगर किसान बहाव के माध्यम से फसल को पानी देते हैं तो 7 से 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई कर सकते हैं। इसके अलावा, पौधों की नियमित सफाई और देखभाल करना भी आवश्यक है।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।