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रिकार्ड तोड़ उत्पादन चहिए तो गेहूं की इस तरीके से करें देखभाल | गेहूं से लद जाएंगी ट्रॉलियां

रिकार्ड तोड़ उत्पादन चहिए तो गेहूं की इस तरीके से करें देखभाल | गेहूं से लद जाएंगी ट्रॉलियां
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किसान साथियो भारत में रबी फसलों में गेहूं का एक विशेष स्थान है। यह न केवल हमारे देश की खाद्य सुरक्षा का मुख्य आधार है, बल्कि किसानों की आय का एक प्रमुख स्रोत भी है। भारत में गेहूं की खेती के लिए सही समय पर बुवाई और बेहतर कृषि प्रबंधन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आमतौर पर गेहूं की बुवाई नवंबर के पहले सप्ताह से 25 नवंबर तक की जाती है, जिसे अगेती बुवाई कहा जाता है। हालांकि, कुछ किसान दिसंबर और जनवरी के महीने में भी गेहूं की बुवाई करते हैं, लेकिन इसके लिए सही तकनीक और देखभाल की आवश्यकता होती है। सही समय पर बुवाई करने से फसल का विकास सुचारू होता है और उत्पादन में वृद्धि होती है।

गेहूं की फसल में सिंचाई का क्या महत्व होता है
सिंचाई किसी भी फसल की वृद्धि और उत्पादन के लिए अत्यंत आवश्यक है। गेहूं की फसल में पहली सिंचाई का समय सबसे महत्वपूर्ण होता है। पहली सिंचाई बुवाई के 21 से 25 दिनों के भीतर करनी चाहिए, क्योंकि इस समय फसल में कल्ले या बालियां निकलनी शुरू होती हैं। यदि सिंचाई में देरी होती है, तो फसल की वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सिंचाई के बाद भी यदि खेत के कुछ हिस्से में जमाव न हुआ हो और वह खाली पड़ा हो, तो किसान कुदाल या लोहे की नुकीली चीज से नाली बनाकर वहां एक-एक बीज डाल सकते हैं और मिट्टी से ढक सकते हैं। यह प्रक्रिया खेत के हर हिस्से का उपयोग सुनिश्चित करती है और समग्र उत्पादन में वृद्धि करती है।

उर्वरकों का संतुलित मात्रा में करे उपयोग
उर्वरकों का सही और संतुलित उपयोग फसल की गुणवत्ता और उपज बढ़ाने के लिए आवश्यक है। सिंचाई के एक सप्ताह बाद खेत में नाइट्रोजन का प्रयोग करना चाहिए। यूरिया का छिड़काव विशेषज्ञों द्वारा बताई गई मात्रा में करें। नाइट्रोजन के उपयोग से फसल में कल्ले तेजी से निकलते हैं और पौधे मजबूत होते हैं। हालांकि, उर्वरकों का अतिरेक मिट्टी की उर्वरता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसलिए, किसानों को उर्वरकों का संतुलित उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए। यह न केवल फसल की उपज को बढ़ाता है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी मदद करता है। बुवाई के 25 दिन बाद प्रति एकड़ 40-45 किलो यूरिया का उपयोग करें। इससे पौधों की जड़ें, पत्तियां और तने बेहतर तरीके से विकसित होते हैं। यूरिया का सही मात्रा में उपयोग पौधों को हरा-भरा बनाए रखता है, लेकिन इसका अधिक या कम उपयोग फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। ध्यान रखें, गेहूं की फसल के सम्पूर्ण विकास के लिए यूरिया के साथ अन्य उर्वरकों का प्रयोग भी आवश्यक है।

फसल को बचाएं खरपतवार से
खरपतवार फसल की वृद्धि में बाधा उत्पन्न करते हैं। ये मुख्य फसल के पोषक तत्वों को चुरा लेते हैं और उपज को कम करते हैं। गेहूं की फसल में गिल्ली डंडा और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार सबसे आम समस्याएं हैं। इनके नियंत्रण के लिए बाजार में कई प्रकार के प्रभावी खरपतवार नाशक उपलब्ध हैं। सही समय पर खरपतवारों को हटाने से फसल का विकास बेहतर होता है और उत्पादन में वृद्धि होती है। किसान अपनी फसल के अनुसार उचित खरपतवार नाशक का चयन करें और उसका सही मात्रा में उपयोग करें। जैसे आप निराई-गुड़ाई फसल उगने के एक महीने बाद करें या खरपतवारनाशी का उपयोग करें। आइसोप्रोटूरान (1250 ग्राम/हेक्टेयर) या क्लोडीनाफाम-प्रोपार्जिल (60 ग्राम/हेक्टेयर) खरपतवार पर 2-3 पत्तियों की अवस्था में छिड़कें। हल्की मिट्टी में मात्रा 20% कम करें और स्टिकर मिलाने से बेहतर परिणाम मिलते हैं। जंगली जई और उब्बन घास के लिए बिजाई के 20 दिन बाद छिड़काव करें। छिड़काव के समय चौड़े फव्वारे वाली नॉजल का उपयोग करें और चौड़ी पत्तों वाली फसलों के पास रसायन का प्रयोग न करें। इन उपायों से फसल स्वस्थ और उत्पादन बेहतर होगा।

पौध संरक्षण और कैसे करे उनकी देखभाल
गेहूं की फसल को रोगों और कीटों से बचाना भी बहुत जरूरी है। अगर फसल में रोग या कीटों का प्रकोप होता है, तो उसका समय पर प्रबंधन करना चाहिए। रोगों की रोकथाम के लिए फसल चक्र का पालन करें और प्रमाणित बीजों का उपयोग करें। पौध संरक्षण के लिए विशेषज्ञों की सलाह पर कीटनाशकों और फफूंदनाशकों का छिड़काव करें। फसल की नियमित निगरानी और समय पर उपचार से उपज को नुकसान से बचाया जा सकता है। खेत की सही तैयारी और मिट्टी का परीक्षण फसल उत्पादन को बढ़ाने के लिए बुनियादी कदम हैं। बुवाई से पहले खेत को गहराई से जोतें और मिट्टी को भुरभुरा करें। मिट्टी के पोषक तत्वों की जानकारी के लिए मिट्टी का परीक्षण कराएं। परीक्षण के आधार पर उर्वरकों और खाद का उपयोग करें। खेत की अच्छी तैयारी और पोषक तत्वों का उचित प्रबंधन फसल की अच्छी वृद्धि और उत्पादन सुनिश्चित करता है।

क्या इससे मिलगा अधिक उत्पादन
गेहूं की खेती में सफलता प्राप्त करने के लिए किसानों को इन सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं का पालन करना चाहिए। सही समय पर बुवाई, सिंचाई, उर्वरकों का संतुलित उपयोग, खरपतवार नियंत्रण और पौध संरक्षण जैसे कदम फसल की गुणवत्ता और उपज को बढ़ाते हैं। खेत की तैयारी और मिट्टी परीक्षण से फसल की क्षमता में और सुधार होता है। इन सभी उपायों को अपनाकर किसान कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। आधुनिक तकनीकों और विशेषज्ञों की सलाह का उपयोग करके खेती को और अधिक लाभदायक बनाया जा सकता है।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।