अगर आपने अगेता गेहूं बोया है तो ये पोस्ट जरूर पढ़ लें नहीं तो हो सकता है भारी नुकसान
किसान साथियों, जैसा कि आप सबको पता है कि इस साल गेहूं की अगेती बुवाई के समय मौसम अनुकूल नहीं रहा है। 15 नवंबर तक चला गर्म तापमान कहीं न कहीं गेहूं की अगेती फसल को जरूर प्रभावित करेगा। हालांकि, 15 नवंबर के बाद मौसम ने करवट बदली है और इस तारीख के बाद के तापमान को गेहूं की बिजाई के अनुकूल माना जा सकता है। आशंका है कि 60-70% गेहूं की बिजाई गर्म तापमान में हो चुकी थी। इसका असर गेहूं की फसल पर फुटाव, कल्लों और पैदावार पर पड़ना निश्चित है। अब सवाल यह है कि इस प्रभाव को कम कैसे किया जाए और हम ऐसा क्या करें कि फुटाव और कल्ले भरपूर हों, पीलापन दूर हो, और गेहूं की फसल स्वस्थ हो। अगर आप अपनी गेहूं की फसल में ज्यादा फुटाव चाहते हैं, ज्यादा कल्ले निकलवाना चाहते हैं और फसल की तेजी से बढ़वार करना चाहते हैं, तो आपको अपनी खेती में कुछ खास पोषक तत्त्वों का सही समय और मात्रा में इस्तेमाल करना होगा। अगर ये पोषक तत्त्व सही समय पर प्रयोग किए जाएं, तो आपकी गेहूं की फसल में न सिर्फ कल्लों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि इसके साथ ही फसल की बढ़वार भी बहुत तेज होगी। इसके समाधान के लिए वैसे तो सभी आवश्यक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, लेकिन आज हम आपके साथ दो खास पोषक तत्त्वों के बारे में चर्चा करेंगे, जिन्हें सही समय पर उपयोग करने से गेहूं की फसल में बेहतरीन फुटाव और ग्रोथ हो सकती है। तो चलिए जानते हैं इन पोषक तत्त्वों के बारे में और कैसे इनका उपयोग आपकी गेहूं की फसल को बेहतर बना सकता है।
गेहूं में फुटाव की प्रक्रिया
किसान भाइयों, जब भी हम अपनी गेहूं की फसल में फुटाव की बात करते हैं, तो यह समझना जरूरी है कि फुटाव की शुरुआत कब होती है। गेहूं की फसल में लगभग 20 दिन के बाद फुटाव शुरू होने लगता है, और यह प्रक्रिया लगभग 50 से 55 दिन के बीच पूरी होती है। इस दौरान अगर सही समय पर और सही मात्रा में उर्वरक का प्रयोग किया जाए, तो न केवल फुटाव बढ़ता है, बल्कि कल्लों की संख्या भी काफी बढ़ जाती है। इसलिए, किसान भाइयों, अगर आप चाहते हैं कि आपकी गेहूं की फसल में ज्यादा से ज्यादा कल्ले फूटें और इसकी वृद्धि भी अच्छी हो, तो आपको 25 से 40 दिन के बीच उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए। इस समय फसल में इन दो खास पोषक तत्त्वों का उपयोग करने से न केवल पौधों में फुटाव बढ़ेगा, बल्कि आपकी फसल भी ताकतवर होगी।
ह्यूमिक एसिड का उपयोग
किसान साथियों, ह्यूमिक एसिड को अगर सही समय और मात्रा में उपयोग किया जाए तो यह गेहूं की फसल में बेहतरीन परिणाम दे सकता है। ह्यूमिक एसिड का उपयोग अगर आप 25 से 30 दिन के बीच करते हैं, तो इसका असर बहुत अच्छा होता है। इसका उपयोग आप गेहूं की फसल में 1 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से उड़िया या किसी अन्य उर्वरक के साथ मिलाकर अपने खेत में कर सकते हैं। ह्यूमिक एसिड गेहूं की फसल में कई तरह के फायदे करता है। ह्यूमिक एसिड मिट्टी को भुरभुरी बनाता है, जिससे पानी और हवा का संचार बेहतर होता है और पौधों की जड़ों को मजबूती मिलती है। यह पौधों की जड़ों को गहरी जमीन तक फैलने में मदद करता है, जिससे पौधा मजबूत होता है और अधिक पोषक तत्वों को अवशोषित करता है। ह्यूमिक एसिड प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को तेज करता है, जिससे पौधे की वृद्धि में सुधार होता है। अगर गेहूं की फसल में पीलापन आ रहा है, तो यह ह्यूमिक एसिड उसे दूर करने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त, ह्यूमिक एसिड नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जैसे पोषक तत्वों को सक्रिय कर देता है, जिससे पौधा इन्हें आसानी से अवशोषित कर सकता है।
यूरिया, जिंक सल्फेट, फेरस सल्फेट और मैंगनीज सल्फेट
किसान साथियों, कभी-कभी, गेहूं की फसल कमजोर होती है और फुटाव में कमी आती है। ऐसी स्थिति में, आप एक खास फार्मूला इस्तेमाल कर सकते हैं जो कम खर्च में आपकी फसल की वृद्धि बढ़ाएगा। इस फार्मूले में चार महत्वपूर्ण तत्व होते हैं, यूरिया, जिंक सल्फेट, फेरस सल्फेट और मैंगनीज सल्फेट। यूरिया (1 किग्रा प्रति एकड़) पौधों की सामान्य वृद्धि के लिए आवश्यक नाइट्रोजन प्रदान करता है। जिंक सल्फेट (500 ग्राम प्रति एकड़) पौधों को आवश्यक जिंक प्रदान करता है, जो पौधों की वृद्धि और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। फेरस सल्फेट (500 ग्राम प्रति एकड़) पौधों में लौह तत्व की कमी को पूरा करता है और पौधों के हरेपन को बनाए रखता है। मैंगनीज सल्फेट (300 ग्राम प्रति एकड़) पौधों में मैंगनीज की कमी को दूर करता है, जिससे पौधों की शक्ति और वृद्धि में सुधार होता है। इन चारों पोषक तत्त्वों को अलग-अलग घोल में मिलाकर लगभग 100 लीटर पानी में डालकर शाम के समय गेहूं की फसल पर स्प्रे करें। ध्यान रखें कि इस स्प्रे के दौरान पौधों में नमी होनी चाहिए, जिससे यह तत्त्व बेहतर तरीके से काम करें। इन तत्वों का स्प्रे 3-4 दिन में फसल में फर्क लाएगा। स्प्रे करने के बाद पौधों की हरियाली बढ़ेगी, फुटाव होगा और कल्ले सही तरीके से विकसित होंगे। चिलटे तत्व जैसे जिंक, फेरस, मैंगनीज और मैग्नीशियम आयनिक रूप में होते हैं, जो पौधों के लिए बहुत सूक्ष्म और असरदार होते हैं। इन तत्वों की कम मात्रा से ही पौधे की सारी जरूरतें पूरी हो जाती हैं।
स्प्रे करने का सही तरीका
किसान भाइयों, स्प्रे करने का तरीका सही होना चाहिए ताकि पौधों को बेहतर लाभ मिल सके। सबसे पहले, चिलटे जिंक 100-150 ग्राम, चिलटे फेरस 100-150 ग्राम, मैंगनीज सल्फेट 500 ग्राम, मैग्नीशियम सल्फेट 1 किलो और यूरिया 1 किलो लेकर 1 किल्ली में पानी में मिलाकर स्प्रे करें। ये तत्व फुटाव, बढ़वार और हरियाली के लिए प्रभावी होते हैं। स्प्रे के बाद, पौधों में फर्क 3-4 दिन में दिखाई देगा।
अन्य उपाय
किसान साथियों, फसल के सही विकास के लिए सही समय पर पानी देना और उर्वरकों का प्रयोग करना अत्यंत आवश्यक है। इस समय गेहूं की फसल क्राउन रूट इनिशिएशन स्टेज पर होती है, जिसका मतलब है कि पौधों की जड़ों का विकास हो रहा है। अगर पानी सही तरीके से दिया जाए तो जड़ें अच्छे से विकसित होती हैं और पौधों को पानी, खाद और पोषक तत्व आसानी से मिलते हैं। अगर हम पहला पानी सही समय पर, सही मात्रा में और कम लगाते हैं, तो इससे गेहूं की फसल का विकास बेहतर होगा। 21 दिन के बाद, पहले पानी के बाद पौधों के पास कम से कम पानी देना चाहिए। इससे पौधों की जड़ों का विकास होगा और फसल का फुटाव भी बढ़ेगा। अगर पानी ज्यादा दिया जाता है, तो इससे मिट्टी में हवा का अभाव हो सकता है, जिससे जड़ें ठीक से नहीं बढ़ पातीं और फसल का विकास रुक सकता है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।