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अगर गेहूं की फसल में पीलापन बढ़ रहा है तो सिंचाई के समय रखें इन बातों का ध्यान

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अगर गेहूं की फसल में पीलापन बढ़ रहा है तो सिंचाई के समय रखें इन बातों का ध्यान
किसान साथियों, जनवरी का महीना किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, खासकर गेहूं की फसल के लिए। इस समय गेहूं की फसल में हल्की ठंडक होती है, जिससे इसकी वृद्धि धीरे-धीरे होती है। हालांकि, इस मौसम में गेहूं की फसल के कुछ हिस्सों में पीलेपन की समस्या भी देखने को मिल रही है। यह पीला होना आमतौर पर किसानों के लिए चिंता का कारण बन सकता है क्योंकि इससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर असर पड़ सकता है। इस समस्या को सही प्रकार से समझने और इसे ठीक करने के लिए, सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि गेहूं की पत्तियों का पीला होना क्यों होता है। क्या यह सिंचाई की गलतियां हैं या फिर कुछ और कारण हैं? इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि गेहूं की फसल में पत्तियों के पीले होने के मुख्य कारण क्या हो सकते हैं और इस समस्या से बचने के लिए किसानों को सिंचाई के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। तो चलिए गेहूं के पीलापन के मुख्य तथ्यों को विस्तार से समझने के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।

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गेहूं की फसल में पीलापन

किसान भाइयों, गेहूं की फसल में पत्तियों का पीला होना एक आम समस्या है, जो कई कारणों से हो सकती है। लेकिन ज्यादातर जनवरी महीने में इस समस्या का मुख्य कारण पानी की अधिकता होता है। जब खेत में पानी ज्यादा जमा होता है या पानी की सही तरीके से सिंचाई नहीं की जाती, तो यह गेहूं के पौधों को प्रभावित करता है और उनकी पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं। इसके अलावा, पोषक तत्वों की कमी भी इस समस्या का एक बड़ा कारण है। गेहूं की फसल को सही मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जैसे फास्फोरस, जिंक, और सल्फर। इन पोषक तत्वों की कमी से भी पत्तियां पीली पड़ सकती हैं। लेकिन सिंचाई का सही तरीका न अपनाना और समय पर सिंचाई न करना भी इस समस्या को बढ़ा सकता है। कई बार किसानों द्वारा लापरवाही के कारण ये समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यदि खेत में जल भराव हो, तो यह गेहूं के पौधों की वृद्धि को प्रभावित कर सकता है, जिससे फसल का उत्पादन भी कम हो सकता है।

सिंचाई के दौरान रखें ध्यान

किसान साथियों, अब हम बात करेंगे उन महत्वपूर्ण विषयों की, जिन्हें गेहूं की फसल में पीलापन से बचने के लिए ध्यान में रखना चाहिए। दोस्तों, जैसा कि हम जानते हैं, सिंचाई गेहूं की फसल के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे सही तरीके से करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। गेहूं की फसल में सही सिंचाई प्रक्रिया अपनाने के लिए जब आप गेहूं की फसल में सिंचाई करें, तो ध्यान रखें कि यह सिंचाई हल्की हो। फसल में ज्यादा पानी देने से बचें क्योंकि इससे खेत में जल भराव हो सकता है, जो पौधों के लिए हानिकारक है। हल्की सिंचाई से पानी का स्तर नियंत्रित रहता है और पौधों को आवश्यकता के अनुसार पानी मिलता है। सिंचाई करते समय दूसरी जो समझना वाली बात है वह सबसे अच्छा यह है कि सिंचाई शाम के समय करें। दिन के तापमान में पानी जल्दी वाष्पित हो सकता है, जबकि शाम के समय पानी धीरे-धीरे मिट्टी में समा जाता है। इससे खेत में अधिक पानी जमा नहीं होता और पौधों को समय से पानी मिलता है। इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखें कि सिंचाई करते वक्त यह सुनिश्चित करें कि खेत में पानी का जलभराव न हो। सुबह तक पानी खेत से निकल जाना चाहिए, जिससे गेहूं के पौधे सही से बढ़ सकें। जल भराव होने से गेहूं की पत्तियों का पीला होना एक सामान्य समस्या बन जाती है, जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। खेत में जल भराव की समस्या को कम करने के लिए खेत में सिंचाई करते समय ध्यान रखें कि ट्यूबल या नहर के पानी का अधिक प्रेशर ना हो। इसके अलावा यदि सिंचाई से पहले बारिश हो जाती है, तो फसल में सिंचाई करने से पहले बारिश की मात्रा के हिसाब से सिंचाई के समय को आगामी दिनों पर टाल दें। इसके अलावा फसल में पानी की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए ड्रिप सिंचाई, फ़व्वारा सिंचाई, और बौछारी सिंचाई जैसी विधियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इन विधियों से पानी की बचत के साथ-साथ, फ़सल की पैदावार भी बढ़ती है। फसल में सिंचाई के लिए इन विधियों का प्रयोग करने से न सिर्फ आपकी फसल को सही मात्रा में पानी मिलता है, अपितु इससे पानी की बचत भी होती है और आपका सिंचाई में लगने वाले समय में भी बचत होती है।

सिंचाई का सही समय

किसान भाइयों, जैसा कि हर किसान जानता है, सिंचाई का समय गेहूं की फसल की बढ़त और उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है। सिंचाई के सही समय को जानना फसल की गुणवत्ता को बेहतर बना सकता है। इसलिए गेहूं की फसल में पहली सिंचाई बुवाई के 20 से 25 दिनों के बाद करनी चाहिए। इस समय पौधों को पहला पानी मिलना चाहिए ताकि उनकी जड़ें अच्छी तरह से बढ़ सकें। उसके बाद आप गेहूं की फसल में दूसरी सिंचाई लगभग 40 से 45 दिन बाद करनी चाहिए, ताकि पौधों का विकास जारी रहे। लेकिन उस समय आप इस बात का ध्यान रखें कि अगर मिट्टी में नमी की मात्रा अधिक है तो आप इस समय को थोड़ा आगे भी बढ़ा सकते हैं। उसी हिसाब से अगर आपको तीसरी सिंचाई करनी हो तो दूसरी सिंचाई के 20 से 25 दिन के अंतराल पर आप गेहूं की फसल में तीसरी सिंचाई कर सकते हैं, जो फसल के लिए काफी उपयोगी मानी जाती है। इन सभी सिंचाई के समयों का ध्यान रखते हुए, अगर आप हल्की सिंचाई करते हैं और जलभराव से बचते हैं, तो गेहूं की फसल में पीलापन नहीं होगा और यह स्वस्थ बढ़ेगी।

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नतीजा

किसान भाइयों, गेहूं की फसल में सिंचाई के सही तरीके से न केवल पानी की बचत होती है, बल्कि गेहूं की फसल भी ज्यादा लाभकारी होती है। सिंचाई के दौरान ध्यान रखने से जलवायु और मिट्टी के अनुसार फसल की बेहतर वृद्धि होती है और पत्तियों के पीले होने की समस्या दूर होती है। अगर किसान इन सरल और महत्वपूर्ण टिप्स का पालन करते हैं, तो गेहूं की फसल हरियाली से भरपूर होगी और यह उत्पादन में भी वृद्धि करेगी। इसके अलावा पोषक तत्वों की सही मात्रा और सही समय पर ध्यान देने से गेहूं की फसल में सुधार देखा जा सकता है, जिससे उत्पादन और लाभ दोनों में वृद्धि हो सकती है।

नोट: इस रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।