अगर 40 दिन की गेहूं में भी फुटाव नहीं हो रहा है तो बस यह काम कर लो
40 दिन बाद भी गेहूं में फूटाव नहीं बन रहा तो इस खाद का करें उपयोग
किसान भाईयों, हाल ही में पिछले दो-तीन दिनों में कई क्षेत्रों में बारिश हुई है, जिससे मौसम में ठंडक आई है। ठंड और बारिश में किसानों के लिए यह समय बेहद महत्वपूर्ण है। यह बारिश गेहूं की फसल के लिए लाभकारी साबित हो सकती है, क्योंकि गेहूं के पौधों को पानी की जरूरत होती है, खासकर जब उनकी वृद्धि की प्रक्रिया तेज हो रही हो। ऐसे मौसम में यदि सही तरीके से खेती के उपाय अपनाए जाएं, तो आप अपनी फसल की पैदावार को और भी बढ़ा सकते हैं। लेकिन बारिश के साथ-साथ कई जगहों पर ओलावृष्टि भी हुई है, जिसके कारण किसानों की फसल को अत्यधिक नुकसान की संभावना भी बनी हुई है। इसलिए यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बारिश के बाद गेहूं के पौधों में कई बदलाव हो सकते हैं। जिनके लिए फसल में आवश्यक सभी पोषक तत्वों की सही मात्रा को डालना बहुत ही जरूरी है। यदि आपने पहले से ही खादों का उपयोग नहीं किया है, तो यह समय एक अच्छा अवसर है। इस मौसम में सही पोषक तत्वों की आपूर्ति से गेहूं के पौधों की वृद्धि को तेज किया जा सकता है और इससे कल्लों की संख्या भी बढ़ सकती है। अगर आप चाहते हैं कि आपकी गेहूं की फसल में अधिक कल्ले फूटें और पैदावार में वृद्धि हो, तो कुछ विशेष उपायों को अपनाना जरूरी है। अब, इस रिपोर्ट में हम आपको उन उपायों के बारे में बताएंगे, जिन्हें अपनाकर आप अपनी गेहूं की फसल में कल्लों की संख्या बढ़ा सकते हैं और बारिश का पूरा फायदा उठा सकते हैं। अगर आपने अभी तक इन उपायों का पालन नहीं किया है, तो यह समय बिल्कुल उपयुक्त है। चाहे यूरिया का इस्तेमाल हो या बायो बीटा का, सही समय पर सही खाद और उर्वरक का प्रयोग आपकी फसल की गुणवत्ता और पैदावार को दोगुना कर सकता है। तो, किसान भाईयों, अगर आप भी इस मौसम में अपनी गेहूं की फसल को ऊंचा उठाना चाहते हैं, तो यह रिपोर्ट आपके लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है। तो चलिए, सभी बातों पर विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं इस रिपोर्ट के माध्यम से।
कल्ले फूटने की प्रक्रिया
किसान भाइयों, गेहूं के पौधों में कल्ले फूटने की प्रक्रिया का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। जब गेहूं की फसल लगभग 25 दिन की होती है, तो इसमें कल्ले फूटने शुरू हो जाते हैं। यह प्रक्रिया करीब 65 से 70 दिनों तक चलती है। इसका मतलब यह है कि जब तक आपकी फसल 65 से 70 दिन की नहीं हो जाती, तब तक आपको कल्ले बढ़ाने के उपायों को लागू करना होगा। यदि आप इस समय में सही उपाय करते हैं, तो आपके पौधों में अधिक कल्ले निकलेंगे, जो कि आने वाली बालियों और दानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
यूरिया का प्रयोग
किसान साथियों, जैसा कि आप जानते हैं, यूरिया एक महत्वपूर्ण उर्वरक है, जो पौधों की वृद्धि में मदद करता है। अगर आप अपनी गेहूं की फसल में कल्लों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं, तो यूरिया का प्रयोग करें। इसकी सही मात्रा लगभग 30 से 35 किलो प्रति एकड़ होती है। यूरिया से पौधों में नाइट्रोजन की आपूर्ति होती है, जो गेहूं के पौधों की वृद्धि को तेज करता है। इससे पौधे जल्दी बढ़ते हैं और थोड़े समय में ज्यादा कल्ले फूटने लगते हैं। हालांकि, सिर्फ यूरिया डालने से पूरे पौधे का विकास नहीं होगा। यदि आपको अधिक कल्ले और बेहतर वृद्धि चाहिए, तो आपको इसके साथ अन्य खादों का भी उपयोग करना होगा।
बायो बीटा का प्रयोग
किसान साथियों, यूरिया के बाद आपको बायो बीटा का उपयोग करना चाहिए। बायो बीटा 100% ऑर्गेनिक खाद है, जिसमें बहुत सारे सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं, जो गेहूं के पौधों के लिए बेहद लाभकारी हैं। इसमें सल्फर, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, जिंक, बोरान, अमीनो एसिड, जिब्रेलिक एसिड जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो पौधों की वृद्धि को तेज करते हैं और कल्लों की संख्या बढ़ाते हैं। अगर आपकी गेहूं की फसल 50 दिन से कम की है, तो आप बायो बीटा का दानेदार रूप उपयोग कर सकते हैं। इसे यूरिया के साथ मिलाकर डालें, जिससे पौधों को पोषक तत्वों की सही मात्रा मिल सके। अगर आपकी फसल 50 दिन से ज्यादा की हो, तो बायो बीटा को पानी में घोलकर स्प्रे के रूप में डालें। इसके लिए आपको लगभग 250 मिली बायो बीटा और 120 लीटर पानी का घोल तैयार करना होगा और इसे पौधों पर स्प्रे करना होगा। यह घोल एक एकड़ के लिए सही मात्रा है।
बायो बीटा के फायदे
किसान साथियों, बायो बीटा का उपयोग करने से गेहूं की फसल को अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है। बायो बीटा मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है। इसके अलावा यह मिट्टी को भुरभुरी बनाएगा, जो पौधों की जड़ को अधिक पोषक तत्व प्राप्त करने में मदद करेगा। बायो बीटा से पौधों में पोषक तत्वों की कमी पूरी होती है, जिससे पौधों में कल्ले तेजी से फूटने लगते हैं। यह आपके गेहूं के खेत को जल्दी से कल्लों से भर देता है। इसके साथ ही बायो बीटा से पौधों के प्रकाश संश्लेषण की क्रिया तेज होती है, जिससे पौधों में हरियाली आती है और वृद्धि तेज होती है। इसके अलावा, बायो बीटा दानों की उत्पादन प्रक्रिया को भी बेहतर करता है, जिससे अधिक बालियां बनती हैं और उनमें दाने भी अच्छे से भरते हैं।
सही समय पर उपयोग करना
किसान भाईयों, गेहूं की फसल में कल्ले बढ़ाने के लिए यह जरूरी है कि आप सही समय पर इन उर्वरकों का उपयोग करें। 25 से 65 दिनों के बीच, जब पौधों में कल्ले फूटने की प्रक्रिया चल रही हो, तब आपको यूरिया और बायो बीटा जैसे खादों का सही तरीके से प्रयोग करना होगा। यदि आप इस समय पर इन उपायों का पालन करेंगे, तो आपका खर्चा भी कम होगा और पैदावार में भी अच्छी बढ़ोतरी होगी।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट
👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव
👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें
About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।