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अगर चने की फसल को फली छेदक कीट से बचाना है तो | यह उपाय है बहुत जरूरी

अगर चने की फसल को फली छेदक कीट से बचाना है तो |  यह उपाय है बहुत जरूरी
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किसान साथियों, चना एक महत्वपूर्ण दलहनी फसल है, जो रबी सीजन में उगाई जाती है और किसानों की आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। चने में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा होती है, जो इसे पोषण के लिए आवश्यक बनाती है और यह भारतीय आहार में प्रमुख स्थान रखता है। इसकी खेती विशेष रूप से सूखे और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में होती है, जहां इसे कठिन जलवायु परिस्थितियों में भी अच्छे उत्पादन के लिए जाना जाता है। चने की खेती में कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें से एक प्रमुख चुनौती कीटों और रोगों का बढ़ता प्रकोप है। खासकर उस समय जब चने की फसल में फूल आने और फलियां बनने का समय आता है, तो यह कीटों के हमले के प्रति संवेदनशील हो जाती है। इस समय सबसे खतरनाक कीटों में से एक है "फली छेदक" जो फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। चने की फसल में फली छेदक कीट का आक्रमण बहुत ही चिंताजनक विषय है। फली छेदक कीट न केवल फली में छेद कर उसके अंदर के भाग को खा जाता है, बल्कि इसके कारण फसल में पैदावार भी 99 प्रतिशत तक घट सकती है। साथ ही फसल की गुणवत्ता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके प्रकोप से बचने के लिए किसानों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। लेकिन अगर समय रहते इस कीट की पहचान कर ली जाए तो इसकी रोकथाम का उचित उपाय करके इससे होने वाले फसल के नुकसान को बचाया जा सकता है। इस रिपोर्ट में हम फली छेदक कीट से चने की फसल को बचाने के कुछ प्रभावी उपायों के बारे में जानेंगे, जिनका पालन करके किसान अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं और बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। इस विषय पर विस्तारपूर्वक चर्चा करने के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

फली छेदक कीट
किसान भाइयों, चने की फसल के लिए फली छेदक चने का एक खतरनाक कीट है जो विशेष रूप से चने की फसल में फूल आने और फल बनना शुरू होने के समय सक्रिय होता है। यह कीट फली और दानों में छेद कर देता है और अंदर का हिस्सा खा जाता है, जिसके कारण फसल की फलियां थोथी हो जाती हैं जिससे न केवल फसल की गुणवत्ता घटती है बल्कि उत्पादन में भी भारी गिरावट आती है। फली छेदक कीट के प्रभाव से आपकी फसल में 95% तक का नुकसान हो सकता है इसलिए इसकी पहचान बहुत ही आवश्यक है जिससे किसान इसकी समय पर पहचान करके और इसका उचित उपाय करके अपनी फसल में होने वाले नुकसान को बचा सकते हैं। इसके लिए आप अलग-अलग कीटनाशकों का उपयोग कर सकते हैं। फली छेदक कीट को नियंत्रित करने के कुछ प्रभावी उपाय निम्नलिखित हैं:

1. नीम तेल का छिड़काव
किसान भाइयों, नीम के तेल का उपयोग फली छेदक कीट से फसल को बचाने में अत्यंत लाभकारी और फायदेमंद तरीका है। आप चने की फसल में फली छेदक कीट की रोकथाम के लिए नीम तेल का छिड़काव अपनी चने की फसल में कर सकते हैं। इसके उपयोग से आप फली छेदक कीट की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। नीम तेल की गंध कीटों को आकर्षित नहीं करती जिससे मादा कीट अंडे देने से बचती है और कीटों की संख्या में कमी आती है। नीम का तेल फली छेदक कीट के रोकथाम के लिए एक बहुत ही बढ़िया विकल्प है। यह एक प्राकृतिक और सुरक्षित उपाय है जो कीटों के प्रभाव को नियंत्रित करने में काफी मददगार होता है। नीम तेल के उपयोग से आपकी फसल की गुणवत्ता में भी सुधार होता है। नीम तेल का उपयोग आप 3000 पीपीएम का प्रति 1 लीटर पानी में घोल बनाकर चने की फसल पर इसका छिड़काव कर सकते हैं।

2. फेरोमोन ट्रैप का उपयोग
दोस्तों, अगर आपको लगता है कि आपकी फसल में फली छेदक कीट का प्रकोप बढ़ रहा है, तो इसके लिए फेरोमोन ट्रैप का उपयोग किया जा सकता है। हेलीकॉर्पा लियोर फेरोमोन ट्रैप को खेत में लगाकर कीटों को आकर्षित किया जा सकता है, जिससे उनकी संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे कीटों का प्रकोप काफी हद तक कम होता है और फसल सुरक्षित रहती है।

3. इमामेक्टिन बेंजोएट और क्लोरेंट्रानिलीप्रोल का छिड़काव
किसान भाइयों, अगर आपको लगे कि ऊपर दिए गए इन सभी उपायों के बावजूद फली छेदक कीट का प्रकोप बुरी तरह से फसल पर बना हुआ है, और यह आपकी फसल को बहुत ज्यादा प्रभावित कर रहा है तो अंतिम उपाय के रूप में इमामेक्टिन बेंजोएट या क्लोरेंट्रानिलीप्रोल का छिड़काव किया जा सकता है। इमामेक्टिन बेंजोएट को आधा ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर या क्लोरेंट्रानिलीप्रोल को आधा एमएल प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से कीटों पर काबू पाया जा सकता है। इसका उपयोग अंतिम उपाय के रूप में किया जाता है जब अन्य उपायों का प्रभाव कम हो। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

सावधानी
किसान भाइयों, चने की फसल को फली छेदक जैसे खतरनाक कीट से बचाने के लिए किसानों को नियमित रूप से अपने खेतों की देखभाल करनी चाहिए। खेतों में होने वाले रोगों और कीटों का समय पर पता लगाकर उनका उचित उपचार करना आवश्यक है। इसके अलावा, जागरूक रहकर जैसे ही फली छेदक कीट का आभास हो, तुरंत उपरोक्त उपायों का पालन करना चाहिए। सही समय पर इन उपायों को अपनाने से फसल को बचाया जा सकता है। इस प्रकार आप अपनी फसल को फली छेदक कीट से सुरक्षा करके गुणवत्ता और उत्पादन को अधिक से अधिक मात्रा में बढ़ा सकते हैं।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।