रामायण और महाभारत काल में कैसे होती थी खेती | इस विधि से अब भी कमा सकते हैं लाखों | देखें पूरी डिटेल्स
किसान साथियो भारत में कृषि की एक लंबी और समृद्ध परंपरा रही है। रामायण और महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी कृषि का उल्लेख मिलता है। आज भी भारत में कई किसान पारंपरिक तरीकों से खेती करते हैं। ऐसे ही एक किसान हैं भोपाभाई, जो भावनगर जिले के शिहोर तालुका के कनाड गांव के एक सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। उन्होंने 'ऋषि कृषि' नामक एक नया मॉडल विकसित किया है। इस मॉडल के तहत, किसानों ने लगभग 15 विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई हैं। इसके अलावा, उन्होंने वेनिला के पौधे भी लगाए हैं, जो वेनिला आइसक्रीम बनाने में उपयोग किए जाते हैं। भोपाभाई का यह प्रयोग पारंपरिक कृषि पद्धतियों को आधुनिक तरीकों से जोड़ने का एक बेहतरीन उदाहरण है।
कैसे तैयार किया जाता है ऋषि कृषि मॉडल
भोपाभाई खसिया, एक सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, जिन्होंने रामायण, महाभारत और उपनिषदों से प्रेरणा लेकर ऋषि कृषि मॉडल विकसित किया है। उनका लक्ष्य किसानों को प्राचीन ऋषियों और मुनियों की तरह खेती करने के लिए प्रेरित करना है। इस खेती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें खर्च सिर्फ बीज बोने के समय ही होता है। चूंकि यह एक प्राकृतिक खेती पद्धति है, इसलिए इसमें रासायनिक खादों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं होता है, जिससे उत्पादन लागत कम होती है और फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है। कई अन्य किसान भी भोपाभाई के मॉडल से प्रेरित होकर इस तरह की खेती कर रहे हैं और 2 लाख से 7 लाख रुपये तक का उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं।
कैसे बोया जाता है पेड़
भोपाभाई खसिया, जो रतनपुर भाल में कृषि शिक्षक रह चुके हैं, अब शिहोर तालुका के कनाड गांव में खेती करते हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में बातचीत के दौरान अपनी अनूठी कृषि पद्धति के बारे में बताया। उन्होंने अपने खेत में एक एकड़ भूमि पर ऋषि कृषि मॉडल को लागू किया है। इस मॉडल की सबसे खास बात यह है कि इसमें किसी भी पेड़ को कलम लगाकर नहीं उगाया जाता है। सभी पेड़ों को बीज से उगाया जाता है और भविष्य में भी यही प्रक्रिया जारी रहेगी। भोपाभाई का मानना है कि केवल मात्रीक पेड़ मिलने पर ही कलम लगाने की विधि का उपयोग किया जाना चाहिए। इस तरह, वे बीज और कलम दोनों विधियों का संतुलित उपयोग करते हुए एक स्वस्थ और समृद्ध कृषि प्रणाली का निर्माण करना चाहते हैं।
ये विधि किस किस पर काम करती है
यह एक ऐसी खेती की तकनीक है जिसमें पौधों को इस तरह से उगाया जाता है कि न केवल फसल का उत्पादन अच्छा हो बल्कि फल भी प्राकृतिक रूप से पक कर गिरें। इस विधि में फसल के साथ-साथ सब्जियों को भी उगाया जाता है। जब फल पेड़ पर पक कर गिरते हैं, तो उन्हें तुरंत उपयोग में लाया जाता है। इस तरह से उगाए गए फलों का स्वाद और पोषण मूल्य अधिक होता है क्योंकि वे प्राकृतिक रूप से पकते हैं। यह तकनीक पारंपरिक खेती के मुकाबले अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल होती है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।