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यह रहा गेहूं से खरपतवार मिटाने का हिट फार्मूला | नुकसान से बचाने वाली रिपोर्ट

यह रहा गेहूं से खरपतवार मिटाने का हिट फार्मूला | नुकसान से बचाने वाली रिपोर्ट
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किसान साथियो खेतों में खरपतवार की समस्या अक्सर किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती बनती है। खरपतवार न केवल फसल की वृद्धि में रुकावट डालते हैं, बल्कि इनसे खाद्य सुरक्षा और उत्पादन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। गेहूं जैसी महत्वपूर्ण फसल में खरपतवार के नियंत्रण के लिए दवाइयों का उपयोग किया जाता है। हालांकि, इन दवाइयों का सही समय पर और सही तरीके से उपयोग करना आवश्यक है ताकि फसल को किसी प्रकार का नुकसान न हो। इस लेख में हम गेहूं की फसल में खरपतवार नाशक दवाइयों का सही उपयोग, सही समय पर छिड़काव और इन दवाइयों के प्रकारों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे।

खरपतवार नाशक दवाइय डालने का क्या है सही समय
खेती में खरपतवार को नियंत्रण में रखना हर किसान की प्राथमिकता होती है, क्योंकि ये खरपतवार फसल की वृद्धि को अवरुद्ध करते हैं और फसल की उत्पादकता को प्रभावित करते हैं। जब बात खरपतवार नाशक दवाइयों की आती है, तो सही समय पर इनका छिड़काव करना बेहद महत्वपूर्ण होता है। गेहूं की फसल में खरपतवार नाशक दवाइयों का छिड़काव बिजाई के तुरंत बाद करना सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है। इस दौरान यदि आप सही समय पर दवाइयों का उपयोग करते हैं, तो खरपतवार का जमाव नहीं होता और फसल को शुरुआती नुकसान से बचाया जा सकता है। बिजाई के तुरंत बाद, खेत में नमी बनी रहती है, जिससे खरपतवार जल्दी उगते हैं, और यदि उस समय छिड़काव किया जाता है, तो खरपतवार नियंत्रित हो जाते हैं। बिजाई के 72 घंटे के भीतर पेंड मेथलीन (स्टोप) दवाई का छिड़काव करना चाहिए। इस दौरान खरपतवार अंकुरित होने से पहले ही प्रभावी रूप से कंट्रोल किए जा सकते हैं। इसके बाद, खरपतवार के प्रकार के आधार पर अलग-अलग दवाइयों का प्रयोग किया जाता है। जैसे ही खरपतवार के प्रकार के आधार पर छिड़काव किया जाता है, फसल के लिए कोई खतरा नहीं होता है और उत्पादकता बनी रहती है।

चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार को कैसे करे नियंत्रण
गेहूं की फसल में अक्सर चौड़ी पत्तियों वाले खरपतवार जैसे बथुआ, पालक, कंडा आदि उगते हैं। ये खरपतवार गेहूं की फसल के लिए एक बड़ी समस्या बन जाते हैं, क्योंकि ये बहुत जल्दी फैलते हैं और फसल के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। इन चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए 24D, अलगरिप और एफिनिटी जैसी दवाइयों का उपयोग किया जा सकता है। इन दवाइयों का प्रयोग 200-250 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से किया जा सकता है। इन दवाइयों का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि खरपतवार किस प्रकार के हैं और उनकी वृद्धि की स्थिति क्या है। यदि बथुआ, पालक या अन्य चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार उग चुके हैं, तो इन दवाइयों का छिड़काव 100-150 लीटर पानी में घोलकर किया जा सकता है। यदि कोई खरपतवार पूरी तरह से उग चुका हो, तो दवाइयों की मात्रा को बढ़ा दिया जाता है ताकि प्रभावी रूप से इनका नियंत्रण हो सके। 24D दवाई का इस्तेमाल अधिकतर बथुआ और कंडा पर प्रभावी रूप से काम करता है, जबकि एफिनिटी और अलगरिप जैसे विकल्प विशेष रूप से पौधों की रोकथाम में उपयोगी होते हैं।

संकरी पत्ती वाले खरपतवार को कैसे करे नियंत्रण
गेहूं की फसल में संकरी पत्तियों वाले खरपतवार जैसे जंगली जई और गोली डंडा भी अक्सर होते हैं। ये खरपतवार संकरी पत्तियों वाले होते हैं और इनका नियंत्रण चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार से थोड़ा अलग होता है। संकरी पत्तियों वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए टॉपिक, एक्सील, अटलांटिस या टोटल दवाइयों का उपयोग किया जा सकता है। इन दवाइयों का छिड़काव 3-4 पत्तियों के बाद किया जाता है, क्योंकि इस समय इन खरपतवारों की वृद्धि धीमी होती है और दवाइयों का प्रभाव अधिक प्रभावी होता है। इन दवाइयों के छिड़काव से जंगली जई और गोली डंडा जैसे खरपतवार नियंत्रित हो जाते हैं। विशेष ध्यान रखना चाहिए कि इन दवाइयों को सही समय पर और सही मात्रा में इस्तेमाल किया जाए, क्योंकि इनसे फसल को भी नुकसान हो सकता है। इन दवाइयों का इस्तेमाल 100-150 लीटर पानी में घोलकर किया जाता है और दवाइयों का प्रभाव 7-15 दिनों में दिखाई देता है।

किस समय खरपतवार नाशक नहीं डालना चाहिए
खरपतवार नाशक दवाइयों का छिड़काव गलत समय पर करने से फसल को बहुत अधिक नुकसान हो सकता है। यदि इन दवाइयों का छिड़काव देर से किया जाता है, तो इसका सीधा असर गेहूं की बालियों पर पड़ता है। देर से किए गए स्प्रे के कारण बालियों में दाने नहीं बन पाते और फसल पूरी तरह से खराब हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप फसल में पैदावार में भारी कमी आ जाती है और किसान को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए, किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खरपतवार नाशक दवाइयों का उपयोग 40-45 दिन के बाद न करें। इस समय के बाद, गेहूं की फसल का रिप्रोडक्टिव स्टेज शुरू हो जाता है और बालियों में दाने बनने की प्रक्रिया शुरू होती है। यदि इस समय स्प्रे किया जाता है, तो दवाइयों के कारण बालियों के अंदर दाने नहीं बन पाते, जिससे फसल का उत्पादन पूरी तरह से नष्ट हो सकता है।

कृषि वैज्ञानिकों का क्या कहना है
किसान भाइयों को हमेशा कृषि वैज्ञानिकों से मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिए। वैज्ञानिकों की सलाह से खरपतवार नाशक दवाइयों का सही समय और सही मात्रा में उपयोग करना बहुत फायदेमंद होता है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और ई मौसम ग्रुप जैसे संस्थानों से किसानों को विशेष जानकारी और सहायता मिल सकती है। इन संस्थानों के वैज्ञानिकों से संपर्क करके किसान अपनी फसल के लिए उचित दवाइयों का चयन कर सकते हैं और सही तरीके से उनका प्रयोग कर सकते हैं। खरपतवार नाशक दवाइयों का उपयोग करते समय कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतनी चाहिए। विशेष रूप से, नमी वाले खेतों में इन दवाइयों का छिड़काव करते समय विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि खेत में अत्यधिक नमी है, तो दवाइयों का उपयोग टॉक्सिक प्रभाव डाल सकता है, जिससे फसल को नुकसान हो सकता है। इसलिए, नमी की स्थिति का सही आकलन करें और दवाइयों का उपयोग करें। इसके अलावा, किसानों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि छिड़काव करते समय नोजल का सही चयन किया जाए। फ्लैट नेट नोजल का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि दवाई सही तरीके से खेत में बिखर सके और कोई भी दवाई इधर-उधर न फैले।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।