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धान पकने के समय भूलकर भी ना करें ये काम | पैदावार हो सकती है आधी

धान पकने के समय भूलकर भी ना करें ये काम | पैदावार हो सकती है आधी
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किसान सथियो धान की फसल जब पकने के अंतिम चरण में होती है तो किसानों में उत्साह और बेचैनी दोनों ही बढ़ जाती है। कई बार किसान फसल को जल्दी तैयार करने के चक्कर में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिनका असर उनकी उपज पर पड़ता है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इन गलतियों से बचा जाए तो किसान बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं। जल्दबाजी में किए गए कुछ उपायों के कारण उत्पादन आधा भी हो सकता है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि किसान धान की कटाई से पहले सभी जरूरी सावधानियां बरतें। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

अत्यधिक उर्वरक का उपयोग है हानिकारक 
कई किसान फसल को जल्दी पकाने के लिए अक्सर यूरिया या अन्य रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक प्रयोग करते हैं। यह एक आम धारणा है कि इससे फसल तेजी से पक जाएगी, लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल विपरीत है। अत्यधिक उर्वरकों के प्रयोग से पौधों की प्राकृतिक वृद्धि बाधित होती है और परिणामस्वरूप फसल की पैदावार कम हो सकती है। श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के प्रमुख, प्रो. अशोक कुमार सिंह का मानना है कि फसल के अंतिम चरण में उर्वरकों का उपयोग न केवल फसल के पकने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है बल्कि पैदावार को भी कम कर सकता है।

बार-बार सिंचाई करनइ से हो सकता है नुकसान 
फसल पकने के अंतिम चरण में अत्यधिक सिंचाई फसल को नुकसान पहुंचा सकती है। कई किसान यह सोचकर कि इससे पौधे स्वस्थ दिखेंगे और जल्दी तैयार होंगे, बार-बार सिंचाई करते हैं। लेकिन ऐसा करने से धान के दानों में पानी की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे धान का रंग और गुणवत्ता खराब हो सकती है। इस अतिरिक्त पानी के कारण धान के पौधे अधिक पानी सोख लेते हैं, जिससे दाने ठीक से नहीं भर पाते और उत्पादन में कमी आ जाती है। इसलिए, फसल पकने के अंतिम चरण में सिंचाई का सही प्रबंधन करना बहुत महत्वपूर्ण है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से उपज में पद सकता है असर 
फसल पकने के समय कई किसान कीटों के प्रकोप से अपनी फसल को बचाने के लिए अत्यधिक मात्रा में कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं। लेकिन यह तरीका न केवल धान की गुणवत्ता को बिगाड़ता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता को भी नुकसान पहुंचाता है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि फसल पकने के अंतिम चरण में कीटनाशकों का उपयोग कम से कम किया जाना चाहिए। इसके बजाय, कीटों के नियंत्रण के लिए जैविक या प्राकृतिक तरीकों को अपनाना अधिक उपयुक्त होता है। इन तरीकों से न केवल फसल सुरक्षित रहती है, बल्कि इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचता।

जल्दी कटाई करना भी सही नहीं है 
कई किसानों के मन में यह जल्दबाजी रहती है कि वे मौसम खराब होने से पहले अपनी फसल काट लें। हालांकि, यह जल्दबाजी उन्हें भारी नुकसान पहुंचा सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर धान के दाने पूरी तरह से पकने से पहले ही काट लिए जाते हैं, तो इससे उत्पादन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। यानी किसानों को कम उपज मिलेगी। इसलिए, किसानों को धैर्य रखना चाहिए और फसल के पूरी तरह पकने का इंतजार करना चाहिए।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।