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DAP या NPK, आलू की खेती में कोन देगा बेहतर रिज़ल्ट | इस रिपोर्ट में जाने

 DAP या NPK, आलू की खेती में कोन देगा बेहतर रिज़ल्ट
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किसान साथियों भारत में आलू की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है, जहां किसान हर साल करीब 60 मिलियन टन के आसपास आलू का उत्पादन करते हैं। इतना उत्पादन करने के बावजूद भी किसानों की माली हालत में कोई बड़ा सुधार नहीं हो रहा है। दोस्तो अगर आलू की पैदावार में और अधिक सुधार और अधिक लाभ चाहते हैं, तो आपको खेती के पारम्परिक तरीके को छोड़ कर उन्नत खेती को अपनाना होगा। उदाहरण के तौर पर डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) की जगह एनपीके खाद का उपयोग करके आप उत्पादन को बेहतर कर सकते हैं । आज की रिपोर्ट में हम DAP और NPK के उपयोग को लेकर उत्पादन का विश्लेषण करेंगे।

डीएपी की अपेक्षा एनपीके में तीनों मुख्य पोषक तत्व - नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटैशियम - पाए जाते हैं, जो फसल के विकास और उत्पादन में सहायक होते हैं। इससे आलू की फसल न सिर्फ बेहतर पोषण पाती है, बल्कि स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता की भी होती है।

डीएपी और एनपीके में अंतर

डीएपी और एनपीके खाद में मुख्य अंतर यह है कि डीएपी में केवल नाइट्रोजन और फास्फोरस होता है, जबकि एनपीके में तीनों आवश्यक पोषक तत्व - नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम - पाए जाते हैं। डीएपी में 46% फास्फोरस और 18% नाइट्रोजन होती है, जबकि एनपीके में नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटैशियम की मात्रा संतुलित रूप से 20-20% तक होती है। पोटैशियम के अतिरिक्त होने से एनपीके आलू की फसल के लिए एक समग्र और प्रभावी खाद साबित होती है, क्योंकि यह पौधे के संपूर्ण विकास में योगदान देता है।

खाद का सही उपयोग कैसे करें?

आलू की खेती में खाद का सही तरीके से उपयोग करना बहुत आवश्यक है। डीएपी का उपयोग फसल की बुआई के समय करना उचित माना जाता है, हालांकि कुछ किसान इसे पहली या दूसरी सिंचाई के दौरान भी उपयोग करते हैं। एक एकड़ क्षेत्र में डीएपी का 50 किलो तक का प्रयोग करना पर्याप्त होता है। दूसरी ओर, एनपीके में उपस्थित पोषक तत्वों का फायदा पाने के लिए इसे बुआई के समय ही मिलाना लाभदायक होता है।

नाइट्रोजन: पौधे हरे-भरे और मजबूत रखने मे एनपीके में मौजूद नाइट्रोजन तत्व पौधों की पत्तियों के विकास को बढ़ावा देता है

फास्फोरस के कारण फसल अधिक पैदावार देती है क्योंकि इस तत्व से पौधों में स्वस्थ फूल, कलियों, जड़ों और फलों के विकास होता है,

पोटैशियम पौधे को स्वस्थ रखता है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढाता है

लागत और लाभ की तुलना
अब सबसे महत्वपूर्ण सवाल उठता है कि किसानों के लिए लागत टोटल लागत कितनी लगेगी तो दोस्तों डीएपी की कीमत करीब 1,350 रुपये प्रति बैग है, जबकि एनपीके का मूल्य 1,470 रुपये प्रति बैग है। हालांकि, एनपीके की थोड़ी अधिक कीमत के बावजूद, इसके फायदे इसे एक बेहतर विकल्प बनाते हैं। एनपीके में तीनों पोषक तत्वों की उपस्थिति से किसान को उत्पादन में वृद्धि मिल सकती  है, जिससे खेती में निवेश के मुकाबले अधिक मुनाफा कमा सकते है

क्यों चुनें NPK?
आलू की खेती में NPK का उपयोग न केवल उत्पादन बढ़ाने में सहायक है, बल्कि इससे फसल में एक चमक भी आती है, जिससे उत्पाद की क्वालिटी भी सुधार जाती है। एनपीके का संतुलित पोषण फसल के विकास को संपूर्ण और संतुलित रूप से बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त, आलू की बुआई के समय किसानों को एनपीके का उपयोग कर फसल की लागत कम रखने और अधिक लाभ कमाया जा सकता है,

नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।