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DAP या नैनो DAP, आपकी फसल को कौन देगा बढ़िया पोषण | रिपोर्ट में जाने

DAP या नैनो DAP, आपकी फसल को कौन देगा बढ़िया पोषण | रिपोर्ट में जाने
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आपकी फसल के लिए डीएपी और नैनो डीएपी में से कौन सी खाद है बेहतर, जानिए इस रिपोर्ट के माध्यम से।

किसान भाइयों, कृषि क्षेत्र में समय-समय पर नई तकनीकों और उत्पादों का आगमन होता रहा है। यह उत्पाद न केवल फसल उत्पादन में वृद्धि के लिए, बल्कि किसानों की लागत को कम करने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। वर्तमान में डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) और नैनो डीएपी ने किसानों के बीच चर्चा का विषय बना दिया है। डीएपी का पारंपरिक उपयोग वर्षों से फसल उत्पादन में हो रहा है, वहीं नैनो डीएपी को एक नई और उन्नत तकनीक पर आधारित उत्पाद के रूप में पेश किया गया है।

डीएपी, जो फॉस्फोरस और नाइट्रोजन का मिश्रण है, भूमि की उर्वरता को बढ़ाने और फसल की जड़ों को पोषण प्रदान करने में सहायक होता है। दूसरी ओर, नैनो डीएपी, जिसे उन्नत नैनो तकनीक से तैयार किया गया है, पौधों के पोषण की क्षमता को तेजी से और प्रभावी ढंग से बढ़ाने का दावा करता है। आज किसानों के सामने यह सवाल खड़ा है कि उन्हें पारंपरिक डीएपी का उपयोग करना चाहिए या नई नैनो डीएपी को अपनाना चाहिए। यह निर्णय फसल की ज़रूरत, लागत, और दीर्घकालिक प्रभाव जैसे कई कारकों पर निर्भर करता है। इस रिपोर्ट में हम डीएपी और नैनो डीएपी के उपयोग, फायदे, लागत, और उनके प्रभाव की विस्तार से चर्चा करेंगे, ताकि किसानों को अपने खेतों के लिए सही निर्णय लेने में मदद मिल सके। इन सब कारकों पर विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त करने के लिए चलिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।

डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट)

किसान भाइयों, डीएपी उर्वरक फॉस्फोरस और नाइट्रोजन का मिश्रण है। डीएपी का फॉर्मूला 18:46:0 है, जिसमें 18% नाइट्रोजन और 46% फॉस्फोरस होता है। यह फॉस्फोरस का एक प्रमुख स्रोत है और फसल की जड़ों के विकास के लिए आवश्यक है। इसे मुख्यतः फसल बुवाई के समय बीज के नीचे उपयोग किया जाता है। सामान्यत: एक एकड़ खेत के लिए एक बोरी (50 किग्रा) डीएपी की आवश्यकता होती है। डीएपी की एक बोरी की कीमत लगभग 1350 से 1400 रुपए तक होती है। डीएपी पौधों को शुरुआती चरण में आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराता है, जिससे उनकी जड़ें मजबूत बनती हैं।

समस्याएं

किसान साथियों, बेसल डोज के रूप में जहां एक तरफ डीएपी फसलों के लिए सबसे ताकतवर उर्वरक के रूप में जाना जाता है, वहीं इसके साथ कुछ समस्याएं भी आती हैं। डीएपी का 40-60% हिस्सा पौधे द्वारा उपयोग नहीं किया जा पाता और यह मिट्टी में स्थिर हो जाता है। इसका मतलब यह है कि आपके द्वारा किया गया डीएपी का आधे से ज्यादा उपयोग और खर्चा बेकार हो जाता है। साथ ही, डीएपी का pH मान 8.2 होता है, जिसके कारण इसका अधिक मात्रा में या लगातार उपयोग करना आपकी खेत की मिट्टी को क्षारीय बना सकता है। आर्थिक दृष्टि से देखा जाए तो इसे खेत में फैलाने और मिट्टी में मिलाने के लिए ट्रैक्टर या अन्य साधनों की आवश्यकता होती है, जिससे फसल पर आने वाला खर्चा बहुत अधिक बढ़ जाता है।

नैनो डीएपी

किसान भाइयों, नैनो डीएपी एक तरल उर्वरक है। यह नैनो तकनीक पर आधारित है और पारंपरिक डीएपी की तुलना में कम मात्रा में उपयोग के बावजूद अधिक प्रभावी होने का दावा करता है। नैनो डीएपी का फॉर्मूला 8:16:0 है, जिसमें 8% नाइट्रोजन और 16% फॉस्फोरस होता है। नैनो डीएपी पौधों को सीधे पोषक तत्व उपलब्ध कराता है। नैनो डीएपी की एक एकड़ खेत के लिए 500 मिलीलीटर (एक बोतल) मात्रा पर्याप्त होती है। इसकी एक बोतल की कीमत लगभग 600 रुपए है, जो एक एकड़ के लिए पर्याप्त मात्रा है। नैनो डीएपी का उपयोग बीज उपचार के रूप में किया जाता है, जिसके कारण बीज जड़ों तक आवश्यक पोषक तत्व तेजी से पहुंच जाते हैं।

नैनो डीएपी का लगभग पूरा भाग फसल के लिए कार्य करता है। इसका फसल द्वारा 90% तक पोषक तत्वों का अवशोषण किया जा सकता है, जिससे उर्वरक की बर्बादी कम होती है। इन सब गुणों के साथ ही यह पारंपरिक डीएपी के मुकाबले लागत में 50-60% तक की बचत भी करता है। नैनो डीएपी का मिट्टी पर भी कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता और अन्य उर्वरकों की तुलना में पर्यावरण की दृष्टि से भी यह काफी लाभदायक है। नैनो डीएपी का एक सबसे बड़ा फायदा यह भी है कि बिजाई के समय अगर आपकी फसल में फॉस्फोरस की कमी रह जाती है, तो आप इसका उपयोग बाद में भी स्प्रे के रूप में कर सकते हैं, जो फसल में आवश्यक फॉस्फोरस की कमी को पूरा कर देता है।

समस्याएं

किसान भाइयों, नैनो डीएपी नई तकनीक का उर्वरक होने के कारण कई किसान इसे पूरी तरह नहीं समझ पाए हैं। इसलिए किसानों को उपयोग करने से पहले इसके बारे में सही जानकारी बहुत जरूरी है। नैनो डीएपी का उपयोग हर प्रकार की मिट्टी और फसल के लिए समान प्रभावी नहीं हो सकता। इसके अलावा, यदि आप नैनो डीएपी का अपनी फसल के लिए उपयोग करते हैं, तो यह आपकी फसल के उत्पादन को घटा सकता है क्योंकि आपने अपने खेत को डीएपी की आदत डाल दी है। यदि आप अचानक से डीएपी की जगह नैनो डीएपी का उपयोग करेंगे, तो यह आपकी फसल को 15 से 20% तक प्रभावित कर सकता है। इसलिए, अगर आप अपने खेत में एक बोरी डीएपी डालते हैं, तो उसकी जगह आप आधी बोरी डीएपी का उपयोग करें और शेष पूर्ति के लिए नैनो डीएपी का इस्तेमाल करें। इसी प्रकार, आप धीरे-धीरे हर फसल पर डीएपी की मात्रा को कम कर सकते हैं।

किसानों के लिए सही विकल्प

किसान भाइयों, डीएपी और नैनो डीएपी में से आपकी फसल के लिए बेहतर विकल्प कौन सा है, यह आपकी मिट्टी और फसल की आवश्यकता के अनुसार ही तय किया जा सकता है। इसके अलावा, यदि आप कम लागत में उच्च प्रभाव चाहते हैं, तो नैनो डीएपी बेहतर विकल्प है। नैनो डीएपी के साथ पोषक तत्वों का अवशोषण अधिक होता है, लेकिन पारंपरिक डीएपी में पोषक तत्वों की बर्बादी अधिक होती है। आपको इस बात का ध्यान रखना भी आवश्यक है कि यदि आपकी मिट्टी अत्यधिक क्षारीय है या फसल की आवश्यकता अधिक फॉस्फोरस की है, तो पारंपरिक डीएपी उपयोगी हो सकता है।

कहने का मतलब यह है कि पारंपरिक डीएपी और नैनो डीएपी दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं। यदि आप लागत में कमी और आधुनिक तकनीक का लाभ लेना चाहते हैं, तो नैनो डीएपी अपनाएं। लेकिन यदि आप किसी विशेष फसल या मिट्टी की स्थिति के अनुसार पारंपरिक डीएपी का उपयोग करना चाहते हैं, तो उसे सही मात्रा में और समय पर उपयोग करें।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।